18 मार्च 2019
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आपको हम रासायनिक रंगों से होने वाली हानियां और अपने घर में ही सस्ते में प्राकृतिक रंग किस प्रकार बना सकते हैं, उसके बारे में बताते है।
1 – काले रंग में लेड ऑक्साइड
पड़ता है जो गुर्दे की बीमारी, दिमाग की कमजोरी करता है ।
पड़ता है जो गुर्दे की बीमारी, दिमाग की कमजोरी करता है ।
लाता है ।
3 – सिल्वर रंग में एल्युमीनियम ब्रोमाइड होता है जो कैंसर का कारक होता है ।
5 – लाल रंग में मरक्युरी सल्फाइड
होता है जिससे त्वचा का कैंसर होता है ।
होता है जिससे त्वचा का कैंसर होता है ।
होता है जिससे दमा, एलर्जी
होती है ।
https://youtu.be/DMVf3mo2Frs
यह रंग होली खेलने के लिए सबसे बढ़िया है। शास्त्रों में भी पलाश के फूलों से होली खेलने का वर्णन आता है । इसमें औषधीय गुण होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, मूत्रकृच्छ, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है । रक्तसंचार को नियमित व मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ ही यह मानसिक शक्ति तथा इच्छाशक्ति में भी वृद्धि करता है ।
लाल रंगः लाल चंदन (रक्त चंदन) पाउडर को सूखे लाल रंग के रूप में प्रयोग कर सकते हैं । यह त्वचा के लिए लाभदायक व सौंदर्यवर्धक है । दो चम्मच लाल चंदन एक लीटर पानी में डालकर उबालने से लाल रंग प्राप्त होता है, जिसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलायें ।
पीला गुलाल : (१) ४ चम्मच बेसन में २ चम्मच हल्दी चूर्ण मिलायें | (२) अमलतास या गेंदा के फूलों के चूर्ण के साथ कोई भी आटा या मुलतानी मिट्टी मिला लें ।
पीला रंग : (1) 2 चम्मच हल्दी चूर्ण 2 लीटर पानी में उबालें | (2) अमलतास, गेंदा के फूलों को रातभर भिगोकर उबाल लें ।*
जामुनी रंग : चुकंदर उबालकर पीस के पानी में मिला लें।के
आपको बता दें कि यदि पलाश का रंग आपको कहीं न मिलता हो तो अपने नजदीकी संत श्री आशारामजी आश्रम में संपर्क कर सकते हैं, उनके आश्रम में ये रंग मात्र 10 रुपये में ही मिल जाता है। 079-39877730 पर संपर्क भी कर सकते है। यहाँ से ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं ।
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