17 अगस्त 2021
azaadbharat.org
पाकिस्तान की तरह अफगानिस्तान भी अखंड भारत का ही हिस्सा था, गांधार और कंबोज प्राचीन काल के राज्य थे जहां हिंदू शासक राज करते थे। उसके बाद यहां पारसी और बौद्ध धर्म के राजाओं ने शासन किया। लेकिन बाद में इन भागों को मिलाकर अफगानिस्तान बना। मुगलों ने इस देश का राष्ट्रधर्म इस्लाम बना लिया।
मुस्लिम समुदाय के लोग क्यों भाग रहे हैं?
वर्ष 1990 में कश्मीर में जब हिन्दू भाग रहे थे तब मुस्लिम आतंकवाद के कारण भाग रहे थे लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान शासन आने पर वहाँ से मुस्लिम लोग भाग रहे हैं, ऐसा क्यों? जबकि तालिबान भी तो मुस्लिम समुदाय से है और उनका ही राज होगा फिर भी भाग रहे हैं। इसके पीछे कारण है वहाँ शरिया कानून लागू होगा जिसमें महिलाओं पर क्रूरतापूर्ण अत्याचार होगा किसी को स्वयं का जीवन स्वतंत्रता से जीने का हक नहीं होगा, सभी को शरिया कानून मानना होगा, नहीं मानने पर हत्या कर दी जाएगी इस डर से मुस्लिम समुदाय के लोग भाग कर दूसरे देशों में शरण ले रहे है। तालिबान के आतंक तो दुनिया ने देखा ही और आगे कैसा वहां के लोगों का बुरा हाल होगा वे तो देखेंगे आगे-आगे।
तालिबान कहाँ से आते हैं?
तालिबान शिक्षा दारुल उलूम देवबंद के मदरसों में दी जाती है। दारुल उलूम देवबंद एक ऐसे इस्लामिक स्टेट का स्वप्न देखता है जिसमें शिर्क न हो।
शिर्क का अर्थ हुआ जहाँ अल्लाह के अलावा और किसी को मानने और पूजने वाले न रहते हों। इसके लिए उनके मदरसों से तालिबान तैयार किये जाते हैं जो ये मानते हैं कि शासन करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ देवबंदी मुसलमान के पास है। बाकी जो गैर मुस्लिम या फिर गैर देवबंदी मुस्लिम भी शासन कर रहे हैं उनको शासन से बाहर निकाल देना उनका इस्लामिक दायित्व है। इसलिए आज अफगानिस्तान में तालिबान इस्लामिक शासन के खिलाफ ही लड़ रहा है।
ऐसा अनुमान है कि भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 20 प्रतिशत मुसलमान इस समय देवबंदी इस्लाम का अनुसरण करते हैं।
आपको बता दें कि भारत में मुगलों ने 700 साल राज किया था तब हिंदुओं पर अनगिनत अत्याचार किये गये, कितना सहन किया होगा उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जबकि किसी भी देश में हिन्दू राजा शासक रहा है, वहाँ की प्रजा किसी भी धर्म को मानती होगी पर उसपर अत्याचार कभी नहीं किया है।
भारत के सम्राट विक्रमादित्य ने सम्पूर्ण अरब को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाया था। विक्रमादित्य के शासन के बारे में विख्यात कवि बिन्तोई ने लिखा है कि
‘वे अत्यन्त भाग्यशाली लोग हैं जो सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल में जन्मे। अपनी प्रजा के कल्याण में रत वह एक कर्तव्यनिष्ठ, दयालु एवं नेक राजा था।
दुनिया में हिन्दू जैसा दयालु, शांतिपूर्ण, सुखद धर्म कोई भी नही है।
हिन्दुराष्ट्र क्यो जरूरी है?
आर्य संस्कृति एक दिव्य संस्कृति है। इसमें प्राणिमात्र के हित की भावना है। हिन्दुत्व अन्य मत पंथों की तरह मारकाट करके अपनी साम्राज्यवादी लिप्सा की पूर्ति हेतु किसी व्यक्ति विशेष द्वारा निर्मित नहीं है तथा अन्य तथाकथित शांतिस्थापक मतों की तरह हिन्दू धर्म ने यह कभी नहीं कहा कि जो हिन्दू नहीं है उसे देखते ही मार डालो और मंदिरों के अलावा सारे पूजास्थलों को नष्ट कर दो। जो हिन्दू बनेगा उसी का उद्धार होगा दूसरे का नहीं। ऐसी बेहूदी बातें हिन्दू धर्म एवं समाज ने कभी भी स्वीकार नहीं की।
हिन्दुत्व एक व्यवस्था है मानव में महामानव और महामानव में महेश्वर को प्रगट करने की। यह द्विपादपशु सदृश उच्छृंखल व्यक्ति को देवता बनाने वाली एक महान परम्परा है। ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ का उद्घोष केवल इसी संस्कृति के द्वारा किया गया है…..
भारतीय संस्कृति के प्रति विश्वभर के महान विद्वान की अगाध श्रद्धा अकारण नहीं रही है। इस संस्कृति की उस आदर्श आचार संहिता ने समस्त वसुधा को आध्यात्मिक एवं भौतिक उन्नति से पूर्ण किया, जिसे हिन्दुत्व के नाम से जाना जाता है।
मानवता, देश, धर्म और संस्कृति बचाने के लिए भारत को हिन्दूराष्ट्र बनाना आवश्यकता है।
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