03 मई 2020
सनातन धर्म को ही हिंदू धर्म कहते है और सनातन धर्म के साथ सदियों से षड़यंत्र होते आए हैं और ये षड़यंत्र आज भी भिन्न भिन्न रूपों में चल रहे हैं। अधिकतर षड़यंत्रों से तो आप सभी परिचित है ही और जो भी सनातन धर्मप्रेमी हिंदुनिष्ठ इन षड़यंत्रों के खिलाफ खड़े होते हैं, उन पर भी भयंकर हमले होते आये हैं।
आज भी सिलसिला जारी है। आज भी ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण के लिए, हिन्दू विरोधी ताकतों द्वारा हिन्दू धर्म को तोड़ने और बदनाम करने के लिए षड़यंत्र हो रहे हैं। इस दुःख से पीड़ित होकर कवि ने कविता लिखी जो हर धर्मप्रेमी को पढ़नी चाहिए ताकि इन षड़यंत्रों से परिचित होकर इनके खिलाफ एकजुट होकर खड़े हो सकें।
पढिए कविता:-
बहुत हुए हिन्दुत्व पर प्रहार, अब हो इस अन्याय का अंत।
छोड़ निंद्रा हो जाओ एक, ताकि सुरक्षित हो हमारे संत।।
इतिहास साक्षी हैं संतों ने ही, हिन्दुत्व को संजोया है।
अपनी अस्थियों का धागा बना, शास्त्र ज्ञान को पिरोया है।।
सनातन संस्कृति के रक्षण में, संतों ने सर्वस्व खोया हैं।
संतों के साथ हो रहे हैं षड़यंत्र, हिन्दू अभी भी सोया है।।
हिन्दुत्व की रक्षा के लिए, संतों ने सहे हैं कष्ट अनंत।
छोड़ निंद्रा हो जाओ एक, ताकि सुरक्षित हो हमारे संत।।
समय का चक्र बदलता रहा, पर षड़यंत्र नहीं हुए मंद।
कबीर जी हो, चाहे नानक जी, या स्वामी विवेकानंद।।
चाहे शंकराचार्य हो, चाहे साध्वी प्रज्ञा, या असीमानंद।
सभी के सभी भगवा वीर, लड़े सनातन के लिए सारे द्वंद।।
सनातन की रक्षा हेतु, झेले षड़यंत्रकारियों के प्रपंच।
छोड़ निंद्रा हो जाओ एक, ताकि सुरक्षित हो हमारे संत ।।
संत आशारामजी बापू ने, हिन्दुत्व का प्रचार प्रसार किया।
अपने अविरल सेवाकार्यों से, करोड़ों का उद्धार किया।।
धर्मांतरण का विरोध किया तो, इन पर भी अत्याचार किया।
लगा दिए झूठे इल्जाम, जिन्होंने प्राणिमात्र से प्यार किया।।
अभी भी कर रहे धर्म की सेवा, बना लक्ष्य जीवनपर्यंत।
छोड़ निंद्रा हो जाओ एक, ताकि सुरक्षित हो हमारे संत।।
पालघर में जो हुआ है वो, हिन्दुत्व को खुली चुनौती है।
संतों को बनाया गया निशाना, जो सनातन धर्म के मोती हैं।।
कर रहे उन नेत्रों को बंद, जो सनातन धर्म की ज्योति है।
देखकर संतों पर अत्याचार, माँ वसुंधरा भी रोती है।।
उठो सभी बन जाओ सुनामी, कर दो दुश्मन के खट्टे दंत।
छोड़ निंद्रा हो जाओ एक, ताकि सुरक्षित हो हमारे संत।।
बहुत हुए हिन्दुत्व पर प्रहार, अब हो अन्याय का अंत।
छोड़ निंद्रा हो जाओ एक, ताकि सुरक्षित हो हमारे संत।।
– कवि सुरेन्द्र भाई
बता दे कि पालघर में जिस तरह पुलिस की मौजूदगी में बर्बरतापूर्ण संतों की हत्या हुई और सोशल मीडिया पर उसका वीडियो वायरल हुआ तब पता चला कि दुष्ट लोगों को हिन्दू साधु-संतों से कितनी नफरत है। नफरत की इंतहा ये थी कि पुलिस की मौजूदगी से भी इन लोगों को कुछ फर्क नहीं पड़ा। पर ये तो मात्र एक झलक थी, बाकी इतिहास उठाकर देख लेंगे तो पता चलेगा कि हमारे साधु-संतों ने कितने कष्ट सहन किए हैं, फिर भी वे हँसते-हँसते हुए इन कष्टों को सहन करते गए और सनातन संस्कृति की रक्षा करते हुए हिंदुओं को जगाते रहे हैं। फिर भी हम इन भगवा वीरों का आदर नहीं करतें। बिकाऊ मीडिया जो इनके बारे में झूठी कहानियां बनाकर दिखाने लगती है तो हम उनको ही सच मानकर अपने ही धर्मगुरुओं को गलत समझकर अपने दिमाग में गलत छवि बना लेते हैं और उनसे नफरत करने लगते हैं।
आपके मस्तिष्क में भी प्रश्न उठता होगा कि सिर्फ सनातन संस्कृति और उसकी रक्षा करने वाले हिन्दूनिष्ठ और साधु-संतों पर ही क्यों आक्रमण किये जाते हैं? तो बता दे कि जैसे उल्लू को सूर्य पसंद नहीं आता, चोर को चौकीदार पंसद नही आता, वैसे ही दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों को हिन्दू संस्कृति और साधु-संत पसंद नहीं आते। इसलिए वें हमेशा उनके खिलाफ षड़यंत्र करते रहते हैं ताकि हिन्दुत्व और साधु-संतों को मिटाया जा सके। इसलिए समय की मांग है कि हम इन षड़यंत्रों को समझे और इन हिन्दू विरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एकजुट होकर खड़े हो।
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