01 मई 2019
इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया में आपने देखा होगा कि हिन्दू संत आसाराम बापू के बेटे को दो-दो उम्रकैद की सजा सुनाई है और जुर्माना भी लगाया गया है लेकिन उस केस की वास्तविक में जांच करना जरूरी है कि ये सजा सही है या नही? सही है तो कितनी हद तक सही है? ये भी जानना जरूरी है और किस आधार पर उम्रकैद दी गई है?
आपको बता दें कि नारायण साईं पर 11 साल पुराना दुष्कर्म केस दर्ज हुआ है और जिस लड़की ने आरोप लगाया वे उनके सत्संग के कार्यक्रम में जनवरी 2013 तक आती रही और अक्टूबर 2013 में आरोप लगाया ।
वरिष्ठ अधिवक्ता बी.एम गुप्ता का कहना है कि कोई भी मेडिकल प्रूफ नही है, लेकिन केवल लड़की के बयान पर सजा दी गई । लड़की के बयान पूर्ण रूप से संदेह भरे हैं । जिस लड़की ने नारायण साईं पर आरोप लगया है उसने बोला कि जिस समय मेरे साथ दुर्व्यवहार हुआ, उस समय मेरी एक सहेली थी लेकिन जिस सहेली का नाम ले रही थी उसने ही न्यायलय में खंडन किया कि झूठी कहानी बताई जा रही है इस तरह से कोई भी गलत कार्य हुआ ही नहीं है।
दूसरी बात ये कि जिस समय आरोप लगाने वाली लड़की ने बताया कि मेरे साथ गुजरात में इस जगह दुष्कर्म हुआ उस समय तो नारायण साईं गुजरात में थे ही नहीं और लड़की भी उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में घूम रही थी । लड़की ने अपने बयान में बताया कि STD बूथ से उनके सेवादार हनुमान ने फोन करके नारायण साईं को बताया कि लड़की आ गई है पर जब पता किया तो वहाँ कोई STD बूथ ही नहीं था और जिस आश्रम में दुष्कर्म हुआ वहाँ कोई आश्रम नहीं था ना ही किसी जगह रजिस्ट्रेशन ।
गुप्ताजी ने ये भी बताया कि लड़की ने नारायण साईं से पैसे की मांग भी की थी लेकिन पैसे नहीं दिए गए । इसकी CD भी है और न्यायलय में पेश भी की गई है और यह CD फोरेंसिक जांच में सही पाई गई है।
गुप्ताजी का कहना है कि पूरा केस बोगस है और हिंदू संत आसाराम बापू के पूरे परिवार को फंसाने का षड़यंत्र चल रहा है । जैसे आरुषि मर्डर केस में मीडिया ट्रायल के दबाव में आकर सेशन कोर्ट ने तलवार दंपति को उम्रकैद की सजा सुना दी । लेकिन हाईकोर्ट ने 9 साल बाद निर्दोष बरी किया ऐसा ही ये केस भी है।
सरकारी वकील को पूछा गया कि किस आधार पर उम्रकैद सुनाई तो उसने बताया कि धर्मगुरु हैं और ऐसे कार्य करेंगे तो उम्रकैद मिलनी चाहिए लेकिन आपने ऊपर पढ़ा कि लड़की वहाँ थी ही नही, कोई प्रूफ नहीं है फिर भी उम्रकैद होना बड़ा आश्चर्य लगता है । कहीं ऐसा तो नहीं है कि हिंदुओं के धर्मगुरु होने के कारण फँसाया जा रहा हो । नहीं तो ईमाम बुखारी पर 65 गैरजमानती वारंट है अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई । इससे लगता है कि कहीं न कहीं यह षडयंत्र ही हुआ है ।
गुजरात द्वारका के केशवानंदजी को बलात्कार के केस में सेशन कोर्ट ने 12 साल की सजा की और ऊपरी कोर्ट ने 7 साल बाद निर्दोष बरी किया । शंकरचार्य जयेंद्र सरस्वती, स्वामी नित्यानंद जी आदि को भी ऊपरी कोर्ट ने निर्दोष बरी किया था।
भारतीय संस्कृति अति प्राचीन और महान से भी महान है पर उसको तोड़ने के लिए अनेक दुष्ट शक्तियां लगी हुई हैं । सदियों से चारों तरफ से प्रहार किया जा रहा है । अभी हाल ही में ईसाई मिशनरियां, विदेशी कंपनियाँ, इस्लामिक स्टेट, जिहाद, वामपंथी, मीडिया, सेकुलर, राष्ट्र विरोधी ताकतें आदि संस्कृति को नष्ट करने में लगे हुए हैं । उसे रोकने के लिए हिंदू साधु-संत पुरजोर प्रयत्न कर रहे हैं, करते रहते हैं, जनता में जागरूकता पैदा कर रहे हैं, उनके खिलाफ लोहा ले रहे हैं तो उन साधु-संतों के खिलाफ ही ऐसे षड्यंत्र रचे जा रहे हैं । साधु-संतों पर झूठे आरोप लगाये जाते हैं । बाद में मीडिया में बदनाम किया जाता है और फिर जेल में डाल दिया जाता है, कुछ साधु-संतों की तो हत्या भी करवा दी जाती है ।
एक के बाद एक निर्दोष हिन्दू साधु-संतों को बदनाम किया जा रहा है क्योंकि राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा हिन्दू धर्म खत्म करने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ हिन्दू संतों को टारगेट किया जा रहा है, हिन्दुस्तानी अब इस षड्यंत्र को समझो और उसका विरोध करो तभी हिन्दू संस्कृति बच पाएगी । अन्यथा तो भारत फिर से गुलाम बनने की राह पर है । अगर ऐसे ही निर्दोष साधु-संतों को न्यायालय जेल भेजता रहा तो आने वाले समय में कोई भी साधु-संत, संस्कृति के लिए आगे नहीं आएगा ।
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