28 जनवरी 2019
विश्व में कई ऐसे देश हैं जो आतंकवादियों की चपेट में आये हैं, उससे देश में काफी दहशत भी रहती है, डर के कारण चारों ओर चेकिंग शुरू हो जाती है, सेक्युरिटी टाइट हो जाती है और इसपर कई देश बोल चुके हैं कि हम मिलकर आतंकवाद को खत्म कर देंगे, लेकिन जिन देशों के प्रमुखों ने ये बात बोली है उनकी नज़र आतंकवाद के मूल में कभी नहीं गई है, केवल लड़ाई करके आतंकवाद खत्म नहीं होगा, लेकिन जहाँ से उनको ऐसी कट्टरपंथी की शिक्षा दी जा रही है वहीं रोक लगाई जाए तो आतंकवाद आगे बढ़ेगा ही नहीं और आतंकवाद समूल नष्ट हो जाएगा ।
भारत में आतंकवादी विचारधारा वाले लोग न बनें इस उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने एक बार फिर मदरसों को बंद करने की मांग दोहराई है । पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर वसीम रिज़वी ने प्राथमिक मदरसों को बंद करने को कहा है । वसीम रिज़वी ने लिखा कि “मदरसों में बच्चों को बाकियों से अलग कर कट्टरपंथी सोच के तहत तैयार किया जाता है । यदि प्राथमिक मदरसे बंद ना हुए तो 15 साल में देश का आधे से ज्यादा मुसलमान आईएसआईएस का समर्थक हो जाएगा । उन्होंने इसके बजाय हाई स्कूल के बाद धार्मिक तालीम के लिए मदरसे जाने के विकल्प का सुझाव दिया । कोई भी मिशन आगे बढ़ाने के लिए बच्चों का सहारा लिया जाता है और हमारे यहां भी ऐसा ही हो रहा है ! ये देश के लिए भी खतरा है।
आपको बता दें कि इससे पहले शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने पिछले दिनों कहा था कि आतंकवाद को मदरसे से जोड़कर बयान देने के कारण सोशल मीडिया पर उनको धमकियां मिल रही हैं । इस कारण उन्होंने अपने लिए कब्र बनवा ली है, जिस पर बकायदा उन्होंने अपना नाम भी लिखा दिया है । वसीम ने कहा कि उन्होंने राजधानी लखनऊ के तालकटोरा में अपने वालिद (पिता) की कब्र के पास अपनी कब्र बनवा ली है । ऐसा करने के पीछे का कारण बताते हुए रिजवी ने कहा कि आजकल उन्हें सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकी दी जा रही है । उन्होंने कहा, “मैं मरने से नहीं डरता, मैं मरने को तैयार हूं, लेकिन मैंने कोई गलत बयान नहीं दिया” ।
उन्होंने कहा था कि ‘कुछ मरदसों में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां हैं, जो बंद होनी चाहिए । यह वह नहीं कह रहे हैं, यह तो साफ-साफ सरकार की रिपोर्ट कह रही है । उन्होंने तो बस मुस्लिम समाज के बच्चों की नस्ल सुधार के लिए ऐसा कहा’। वसीम रिजवी ने कहा था कि “लेकिन कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए ऐसे मदरसे चलाना चाहते हैं, इसलिए मुस्लिम समाज को भड़काकर समाज को उनका दुश्मन बनाया जा रहा है । उन्होंने कहा कि अब सोशल मीडिया पर पूरे देशभर के मुस्लिम समाज से उन्हें धमकियां मिल रही हैं ।”
आपको बता देते हैं कि जुलाई 2018 में पुणे के एक मदरसे के मौलवी को अपने ही मदरसे के बच्चों का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है । साथ ही 36 बच्चों को भी मुक्त कराया गया था ।
पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन के स्तंभकार नाजिहा सईद अली ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें बताया कि, राजस्थान से लगती सीमा पर 2000 में जहां इक्का-दुक्का मदरसे थे, वे 2015 से अचानक 20 तक पहुंच गए हैं । ये मदरसे धर्म परिवर्तन कर नए मुस्लिमों के बच्चों की तालीम के लिए खुले हैं ।
आपको बता दें कि जाकिर नाईक ने कई मदरसे खोले थे उन मदरसों में वह कट्टरता की ट्रेनिंग देता था ।
पाकिस्तान में जिहाद में झोंके जाने वाले बच्चे गरीब घरों के तथा मदरसों से निकले बच्चे हैं । इनकी शिक्षा पद्धति ही इन्हें आतंकवाद के रास्ते पर प्रेरित करती है ।
कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट भेजी है जिसमें कहा गया था कि कश्मीर में मस्जिदों, मदरसों और मीडिया पर नियंत्रण रखना होगा ।
शिवसेना ने भी कहा है कि देश के मदरसों में उर्दू और अरबी की पढ़ाई बंद की जानी चाहिए और उनकी जगह हिंदी को लाया जाना चाहिए ।
फ़्रांस ने तो कई मस्जिदें बन्द कर दी वहाँ के गृहमंत्री बर्नार्ड कैजनूव ने कहा था कि “फ्रांस में मस्जिदों या प्रेयर हॉल में नफरत भड़काने वाली शिक्षा दी जाती है, इसलिए मस्जिदों को बंद कर दिया है, इन मस्जिदों में धार्मिक विचारों के प्रचार के नाम पर कट्टरवादी(देश विरोधी)शिक्षा दी जाती थी । कई मस्जिदों पर छापे के दौरान जेहादी दस्तावेज बरामद किए गए थे । इन मस्जिदों में सऊदी अरब से फंडिग होती थी ।
फ़्रांस ने तो समझ लिया कि देश को तोड़ने के लिये विदेशी फण्ड से चलने वाली मस्जिदों में आतंकवादी बनने की ट्रेंनिग दी जाती है और देश विरोधी बातें सिखाई जाती हैं ।
देश में हिन्दुओं पर मुस्लिमों के बढ़ते आतंक की हालत देखकर भारत सरकार को फ्रांस से सीख लेनी चाहिए मुस्लिमों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण करना चाहिये ।
आज जो लव जिहाद के लिए विदेश से पैसा आता है और आतंकवादी संगठनों में जो मुस्लिम युवक- युवतियां भर्ती होने जाते हैं उसका कारण मदरसों में दी जा रही कट्टरपंथी शिक्षा ही है ।
मदरसों में जब कट्टरपंथी की शिक्षा दी जाती है और कई मदरसों में बच्चों का मौलवी यौन शोषण कर रहे है तो ऐसे मदरसों पर बेन तो लगना ही चाहिए ।
सरकार को तो मदरसों पर बैन लगाना चाहिए किंतु उसके विपरित सरकार मदरसों को अनुदान देती है। जबकि ‘मदरसों को अनुदान देना अर्थात सरकारी (जनता के टैक्स ) पैसों से आतंकवादियों का निर्माण करना है ।
देश को बाहरी आतंकवादियों से इतना खतरा नही जितना इन कट्टरपंथियों से है इसलिए सरकार को जांच करवानी चाहिए और विदेशी फंड से जितनी भी मस्जिदें चल रही हैं उसमें अगर देश विरोधी बातें सिखाई जाती हैं तो ऐसे मदरसों और मस्जिदों को बंद कर देना चाहिए जिससे देश सुरक्षित रहे और सुख शांति बनी रहे ।
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ऐसे गंभीर मसलों पर सरकार को तत्काल निर्णय लेने चाहिए।
भारत देश सहिष्णु है,कायर नही,हिन्दुओ संगठित हो जाओ।
एकदम सही कहा इसलिए हमारे पूर्वज पहले गुरुकुलों आश्रमों मे जाकर विद्या अध्ययन करते थे ! और लौकिक विद्या के साथ ही आध्यात्मिक विद्या भी प्राप्त करते थे !
एकदम सही कहा इसलिए हमारे पूर्वज पहले गुरुकुलों आश्रमों मे जाकर विद्या अध्ययन करते थे ! और लौकिक विद्या के साथ ही आध्यात्मिक विद्या भी प्राप्त करते थे !
#गुरुकुल_पद्धति