27 दिसंबर 2018
वर्तमान में जिस तरह से न्यायालय में भ्रष्टाचार व्याप्त है और हिन्दू धर्म विरोधी फैसले दिए जा रहे हैं इससे जनता में काफी रोष व्याप्त है और वो बाहर प्रकट भी होने लगा है ।
मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि न्यायालय को अपनी सीमा-रेखा का ख्याल रखना चाहिए । न्यायालय ने सबरीमाला और जलीकट्टू मामले में तो त्वरित निर्णय दिया, जबकि रामजन्मभूमि मामले को 70 साल से लटकाए हुए है । न्यायालय को अपनी सीमा-रेखा का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए ।
कृष्ण गोपाल ने अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के 15वें अधिवेशन में कहा कि धर्म सत्य से ऊपर है, इस बात का सभी को ख्याल रखना चाहिए । उन्होंने कहा कि आज के न्यायधीशों का आचरण आदर्श न्याय के अनुसार है या नहीं, इस पर विचार करना चाहिए, क्योंकि भ्रष्ट न्यायाधीश अपने भले के लिए समाज के सामने समस्या खड़ी कर देते हैं, जिससे आम जन का न्याय से भरोसा उठने लगता है ।
Religion above the truth, the court should not encroach on its boundary line: Krishna Gopal |
उन्होंने कहा, “न्याय और समाज दोनों भिन्न नहीं हैं । हमारी न्याय व्यवस्था का मौलिक तत्व, दायित्व, कर्तव्य बोध में निहित है । जब समाज में कर्तव्य बोध होता है तो समाज में अन्याय कम हो जाता है ।” कृष्ण गोपाल ने कहा कि अधिवक्ताओं का कर्तव्य बनता है कि वह जनता को न्याय दिलाएं व मौलिक, समाजिक, सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा करें । उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं को इस पर विचार करना है कि ऐसा समाज बनाएं जो अपने मौलिक दायित्वों का निर्वाहन कर सके ।
आरएसएस नेता ने कहा कि भारतीय समाज में हर एक व्यक्ति अपने अधिकार की बात करता है, वो चाहे समाज का कोई भी व्यक्ति हो । आज बच्चों के अधिकारों के लिए भी आयोग बनने लगे हैं । न्याय व्यवस्था में आज देश के सामने एक मौलिक प्रश्न खड़ा है कि जजों की कितनी संख्या बढ़ाई जाए, कितने न्यायालय बढ़ाए जाएं जिससे कि सभी पीड़ितों को न्याय मिल सके, जबकि प्राचीन न्यायिक व्यवस्था कर्तव्यों पर आधारित थी और उस समय ऐसी स्थिति बहुत ही कम देखने को मिलती है ।
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था कर्तव्यों पर आधारित है एवं अधिकार कर्तव्यों में अंतर निहित है, जबकि पश्चिमी न्याय व्यवस्था अधिकार पर आधारित है, जिसका अनुपालन किसी तीसरी संस्था की अवश्यकता होती है , जबकि भारतीय न्याय व्यवस्था में किसी तीसरी संस्था की अवश्यकता नहीं पड़ती है । भारतीय न्याय व्यवस्था में पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाना राज्य की जिम्मेदारी थी, जबकि अंग्रेजों के आने के बाद न्याय व्यवस्था में शुल्क लगने लगा । उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि पटेल अपनी पत्नी के निधन का समाचार सुनने के बाद भी न्यायालय में बहस करते रहे । उनसे जब पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो पटेल ने कहा था कि “एक तो मर ही चुका है, अब हमारा कर्तव्य दूसरे को बचाना था ।”
डॉ. गोपाल ने कहा कि अधिवक्ताओं के साथ-साथ देश के न्यायाधीशों का भी न्यायपालिका के प्रति यह दायित्व है कि वह अपने आचरण से देश के सामने एक आदर्श स्थापित करें, जिससे नैतिक सामाजिक, संस्कृतिक मूल्यों की रक्षा हो सके । उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था के अंर्तगत चाहे न्यायमूर्ति हो या वकील उन्हें संविधान के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम समाज, परमात्मा व मुवक्किल के लिए जवाबदेह हैं । समाज सुधार के लिए भी हमारा उत्तरदायित्व है ।
उन्होंने पंडित मदन मोहन मालवीय का उदाहरण देते हुए बताया कि चौरी चौरा कांड में मृत्यदंड पाए 177 भारतीय स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों का मुकदमा बिना कोई फीस लेकर लड़ा, जिसमें उन्होंने 155 लोगों को मृत्युदंड से मुक्त कराया, जबकि यह मुकदमा मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू ने लेने से मना कर दिया था । ऐसे उदाहरण न्याय व्यवस्था के लिए नजीर बन सकते हैं । – आईएएनएस
देश में जो भ्रष्टाचार व्याप्त है इसके कारण आम जनता व हिंदुनिष्ठ व्यक्तियों को न्याय नहीं मिल पा रहा है दूसरी ओर ईसाई पादरी या मौलवी होते हैं तो तुरंत जमानत हासिल हो जाती है जैसे कि जालंधर के पादरी फ्रैंको को 21 दिन में जमानत मिल गई । जबकि दूसरी ओर कोई हिन्दू कार्यकर्ता हो या हिन्दू साधू-संत हो तो सालों तक जमानत मिल नहीं पाती है जैसे कि 5 साल से झूठे आरोप में जेल में बंद हिन्दू संत आसाराम बापू को पहले तो जमानत नहीं मिली बाद में आजीवन कारावास की सज़ा सुना दी गयी । जलीकट्टू हो या दही हांडी की ऊंचाई, मिलार्ड सुनवाई के लिए तत्पर रहते हैं, लेकिन राममंदिर मामले में ‘डे टू डे’ हियरिंग की याचिका मिलार्ड समय का अभाव बताकर खारिज कर देते हैं ।
आतंकवादी याकूब मेनन की फाँसी रोकने के लिए रात को 12 बजे कोर्ट खुल सकती है, लेकिन कोई हिंदुनिष्ठ हो तो सालों तक तारीख पर तारीख मिलती रहती है ।
कश्मीरी पंडितों के केस को 27 साल पुराना केस बताकर खारिज कर दिया जाता है, लेकिन बाबरी मस्जिद का ढांचा तोड़े 25 साल हो गये फिर भी उसका केस चल रहा है । राम मंदिर बनाने की परमिशन नहीं दी जा रही है ।
न्यायपालिका के दोहरे रवैए के कारण आज जनता में काफी आक्रोश है इसके कारण आज हिंदुनिष्ठ खुलकर बोलने भी लगे हैं, डॉ. कृष्ण गोपाल का इस बयान की काफी प्रशंसा की जा रही है ।
Official Azaad Bharat Links:🏻
🔺Blogger : http://azaadbharatofficial. blogspot.com
🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk
🔺 Facebook : https://www.facebook.com/ officialazaadbharat/
🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt
🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX
🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG
🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ
सही बात है आज कानून न्यायालय राजकारण भी संस्कृति विरोधी फैसले में साथ दे रहे हैं
देश में जो भ्रष्टाचार व्याप्त है इसके कारण आम जनता व हिंदुनिष्ठ व्यक्तियों को न्याय नहीं मिल पा रहा है दूसरी ओर ईसाई पादरी या मौलवी होते हैं तो तुरंत जमानत हासिल हो जाती है जैसे कि जालंधर के पादरी फ्रैंको को 21 दिन में जमानत मिल गई । जबकि दूसरी ओर कोई हिन्दू कार्यकर्ता हो या हिन्दू साधू-संत हो तो सालों तक जमानत मिल नहीं पाती है जैसे कि 5 साल से झूठे आरोप में जेल में बंद हिन्दू संत आसाराम बापू को पहले तो जमानत नहीं मिली बाद में आजीवन कारावास की सज़ा सुना दी गयी
hey man
for me it was a game changer when I found Rockwall and started investing with them
my passive income started to grow much faster than before
I’m really happy with me results and I’m so excited, because I know my passive income will increase every day (by contrast to fixed salary)
https://janzac.com/how-to-earn-money-with-rockwall-investments/#my_rockwall_results
wish you the best man. good luck!