06 फरवरी 2020
*भारत देश की संस्कृति में वैलेंटाइन डे मनाने का विधान नहीं है, लेकिन आज के कुछ नासमझ युवक-युवतियां वेलेंटाइन डे मनाने से भविष्य में होने वाले भयावह परिणाम से अंजान हैं इसलिए इस बर्बादी करने वाले पर्व को मनाने को लालायित रहते हैं ।*
*आपको बता दें कि भारत में अपने व्यापार का स्तर बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कम्पनियां वैलेंटाइन डे की गंदगी यहाँ लेकर आई हैं और वे ही कम्पनियां मीडिया को पैसे देकर वैलेंटाइन डे का खूब जोरों-शोरों से प्रचार-प्रसार करवाती हैं जिसके कारण उनका व्यापार लाखों- करोड़ों और अरबों में नहीं वरन खरबों में हो जाता है । इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया भी जनवरी से ही वैलेंटाइन डे यानि पश्चिमी संस्कृति का प्रचार करने लगते हैं जिसके कारण विदेशी कम्पनियों के गिफ्ट, कंडोम, गर्भनिरोधक सामग्री, नशीले पदार्थ आदि 10 गुना बिकते हैं तथा उन्हें खरबों रुपये का फायदा होता है ।*
*भारत में इसके भयंकर परिणाम देखे बिना ही वैलेंटाइन डे मनाना शुरू कर दिया गया जबकि कई रिकार्ड्स के आधार पर देखा जाए तो विदेशों में वैलेंटाइन डे मनाने के भयावह परिणाम सामने आए हैं ।*
*आँकड़े बताते हैं कि आज पाश्चात्य देशों में वैलेंटाइन डे जैसे त्यौहार मनाने के कारण कितनी दुर्गति हुई है । इस दुर्गति के परिणामस्वरूप वहाँ के निवासियों के व्यक्तिगत जीवन में रोग इतने बढ़ गये हैं कि भारत से 10 गुनी ज्यादा दवाइयाँ अमेरिका में खर्च होती हैं जबकि भारत की आबादी अमेरिका से तीन गुनी ज्यादा है । मानसिक रोग इतने बढ़े हैं कि हर दस अमेरिकन में से एक को मानसिक रोग होता है | दुर्वासनाएँ इतनी बढ़ी हैं कि हर छः सेकण्ड में एक बलात्कार होता है और हर वर्ष लगभग 20 लाख कन्याएँ विवाह के पूर्व ही गर्भवती हो जाती हैं | मुक्त साहचर्य (free sex) का हिमायती होने के कारण शादी के पहले वहाँ का प्रायः हर व्यक्ति जातीय संबंध बनाने लगता है । इसी वजह से लगभग 65% शादियाँ तलाक में बदल जाती हैं । हर 10 सेकण्ड में एक सेंधमारी होती है, 1999 से 2006 तक आत्महत्या का वार्षिक दर प्रति वर्ष लगभग एक प्रतिशत था लेकिन 2006 से 2014 के बीच में आत्महत्या दर प्रतिवर्ष दो प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है । आत्महत्या की दर में 24 प्रतिशत तक वृद्धि हो गई है ।*
*पाश्चात्य संस्कृति के इन आंकड़ों को देखकर भी अगर आप वैलेंटाइन डे मनाने को आकर्षित होते हैं तो निःसंदेह आप अपना जीवन स्वयं बर्बादी के रास्ते ले जा रहे हैं । पाश्चात्य संस्कृति का अगर अन्धानुकरण किया तो यकीनन आपको मानसिक, शारीरिक रोग घेर लेंगे फिर आप डॉक्टरों के पास चक्कर लगाते रहेंगे और अस्पताल आपका एक अतिरिक्त निवासस्थान बन जाएगा जिसके कारण आपको आर्थिक परेशानी भी उठाने की नौबत आ सकती है और नतीजन इतनी सारी परेशानियों का बोझ उठाते-उठाते थक जाएँ और फिर आत्महत्या तक कर सकते हैं ।*
*भारत के युवक-युवतियां अगर पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हुए तो परिणाम भयंकर आने वाला है । अब युवक-युवतियों का यह कहना होगा कि “क्या हम प्यार न करें, तो उनको एक सलाह है कि दुनिया में आपको सबसे पहले प्यार किया था आपके माँ-बाप ने । आप दुनिया में आने वाले थे, तबसे लेकर आज तक आपको वो प्यार करते रहे लेकिन उनका प्यार तो आप भूल गये उनको ठुकरा दिया । जब आप बोलना भी नहीं जानते थे तब उन्होंने आपका भरण पोषण किया । आपको ऊंचे से ऊँचे स्थान पर पहुँचाने के लिए खुद भूखे रहकर भी आपको उच्च शिक्षा दिलाई । उनका केवल एक ही सपना रहा कि मेरा बेटा या बेटी सबसे अधिक तेजस्वी, ओजस्वी और महान बने । ऐसा अनमोल उनका प्यार आप भुलाकर किसी लड़के-लड़की के चक्कर में आकर अपने माँ-बाप को कितना दुःख दे रहे हैं, उसका अंदाजा भी आप नहीं लगा सकते इसलिए आप यदि स्वयं को बर्बादी से बचाना चाहते हैं, माँ-बाप के प्यार का बदला चुकाना चाहते हैं, तो आपको एक ही सलाह है कि आप मीडिया, टीवी, अखबार पढ़कर वैलेंटाइन डे नहीं मनाकर उस दिन अपने माता-पिता का पूजन करें ।*
*‘जो माता-पिता और गुरुजनों को प्रणाम करता है और उनकी सेवा करता है, उसकी आयु, विद्या, यश और बल चारों बढ़ते हैं ।’ (मनुस्मृतिः 2.121)*
*अतः हे देश के कर्णधार #युवक-युवतियों आप भी #वेलेंटाइन डे का #त्याग #करके उस दिन #मातृ-पितृ पूजन मनाकर स्वयं को उन्नत बनाएं ।*
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