27 October 2018
कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर मी टू कैम्पियन चल रहा था उसमे काफी महिलाएं सामने आई थीं और उनके साथ हुए दुष्कर्मों के बारे में बताया था, इसमें कुछ ऐसी महिलाएं भी थीं जिनके साथ कई सालो पहले उनके साथ दुष्कर्म हुआ है । ये अच्छी बात है कि किसी महिला के साथ ऐसा वास्तविकता में हुआ हो और पहले नहीं बता सकीं हो तो इस कैम्पियन में बताने का अच्छा मौका था और किसी महिला के साथ ऐसा होना भी नहीं चाहिए क्योंकि हमारे शास्त्रों में महिलाओं को “नारी तू नारायणी” कहा गया है, नारियों की पूजा होनी चाहिए ऐसे में उनके साथ कोई गलत कार्य करता है तो सजा मिलनी ही चाहिए ।
किसी महिला के साथ कोई दुष्कर्म करता है तो उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए, लेकिन अगर वास्तविकता में किसी के साथ ऐसा नहीं हुआ है और पैसे के लालच में अथवा बदला लेने की भावना से निर्दोष पुरूषों पर झूठा मुकदमा करती है तो उस महिला को भी कड़ी सजा मिलनी चाहिए क्योंकि अगर वे जेल चला गया तो उसका कैरियर, पैसे, इज्जत, समय सब बर्बाद हो जाएगा और उसके परिवार की आजीविका चलनी मुश्किल हो जाएगी इसलिए झूठा मुकदमा करने वाली महिलाओं के खिलाफ, पुरूष मी टू की तरह अब मैन टू आंदोलन की शुरुआत कर रहे हैं ।
आपको बता दे कि मी टू की तर्ज पर 15 लोगों के एक समूह ने मैन टू आंदोलन की शुरुआत करते हुए पुरुषों से कहा कि वे महिलाओं के हाथों अपने यौन शोषण के बारे में खुलकर बोलें । इन लोगों में फ्रांस के एक पूर्व राजनयिक भी शामिल हैं जिन्हें 2017 में यौन उत्पीडऩ के एक मामले में अदालत ने बरी कर दिया था । मैन टू आंदोलन की शुरुआत शनिवार को गैर सरकारी संगठन चिल्ड्रंस राइट्स इनिशिएटिव फॉर शेयर्ड पेरेंटिंग (क्रिस्प) ने की ।
क्रिस्प के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार वी ने कहा कि समूह लैंगिक तटस्थ कानूनों के लिए लड़ेगा । उन्होंने मांग की कि मी टू अभियान के तहत झूठे मामले दायर करने वालों को सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने उल्लेख करते हुए कि मी टू एक अच्छा आंदोलन है लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि झूठे आरोप लगाकर किसी को फंसाने के लिए इसका दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए । उन्होंने कहा, ‘इस आंदोलन का परिणाम समाज में बड़ी मेहनत से अर्जित लोगों के सम्मान को धूमिल करने के रूप में निकला है।’
पत्रकारों से बात करते हुए बाद में उन्होंने कहा कि मी टू में जहां पीड़िताएं दशकों पहले हुए यौन उत्पीड़न की बात बता रही हैं, वहीं इसके विपरीत मैन टू आंदोलन में हाल ही में हुई घटनाओं को उठाया जाएगा । मी टू आंदोलन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यदि यौन उत्पीड़न का मामला सच्चा है तो पीड़िताओं को सोशल मीडिया पर आने की जगह कानूनी कार्यवाही का सहारा लेना चाहिए । इस अवसर पर फ्रांस के पूर्व राजनयिक पास्कल मजूरियर भी मौजूद थे जिन पर अपनी बेटी के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था, लेकिन 2017 में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था।
उन्होंने यह भी कहा कि मैन टू आंदोलन मी टू आंदोलन का जवाब देने के लिए नहीं है, बल्कि यह पुरुषों की समस्याओं का समाधान करेगा जो महिलाओं के अत्याचारों के खिलाफ नहीं बोलते हैं । पास्कल ने कहा, ‘पुरुषों के पास असली दुख है वे भी पीड़ित हैं, लेकिन वे महिलाओं और अपने दुराचारियों के खिलाफ खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हम महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाते हैं। यह अच्छा है, लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि मानवता का आधा हिस्सा पुरुष हैं। स्त्रोत : पंजाब केसरी
निर्भया कांड के बाद नारियों की सुरक्षा हेतु बलात्कार-निरोधक नये और काफी कड़क कानून बनाए गए परंतु दहेजरोधी कानून की तरह इनका भी भयंकर दुरुपयोग हो रहा है ।
विभिन्न कानूनविदों, न्यायधीशों व बुद्धिजीवियों ने भी इस कानून के बड़े स्तर पर दुरुपयोग के संदर्भ में चिंता जताई है ।
निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के नये कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है । राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करनेवाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ इन कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों व्दारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है ।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि ऐसे कई मामले दर्ज किये जा रहे हैं जिनमें महिलाओं द्वारा बदला लेने के लिए तथा निजी प्रतिशोध की भावना से, डरा-धमकाकर पैसों के लिए कानून को हथियार के तौर पर उपयोग किया जाता है । ऐसे मामलों के चलते बलात्कार के आँकडे बढ़े हुए नजर आते हैं, जिससे हमारे ही समाज को नीचा देखना पड़ता है ।
बलात्कार कानून की आड़ में महिलाएं आम नागरिक से लेकर सुप्रसिद्ध हस्तियों, संत-महापुरुषों को भी #ब्लैकमेल कर झूठे #बलात्कार आरोप लगाकर जेल में डलवा रही हैं ।
बलात्कार निरोधक #कानूनों की खामियों को दूर करना होगा। तभी समाज के साथ न्याय हो पायेगा अन्यथा एक के बाद एक निर्दोष सजा भुगतने के लिए मजबूर होते रहेंगे ।
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निर्भया कांड के बाद नारियों की सुरक्षा हेतु बलात्कार-निरोधक नये और काफी कड़क कानून बनाए गए परंतु दहेजरोधी कानून की तरह इनका भी भयंकर दुरुपयोग हो रहा है ।