बेंगलुरु दंगे क्यों हुए ? मीडिया, भीम-मीम वाले इस पर मौन क्यों हैं ?

 13 अगस्त 2020

 
कई बार सोशल मीडिया पर आपने नारें सुने होंगे भीम-मीम भाई-भाई अर्थात दलित और मुसलमान भाई-भाई है लेकिन वास्तविकता उल्टी है बेंगलुरु में हुए दंगे उसका प्रमाण है एक दलित भाई ने पैंगबर को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणी की थी इसको लेकर मुस्लिम भीड़ ने उनका घर जला दिया, उस दलित भाई को जान से मारने की धमकी दी जा रही है और इसमे जिन पुलिसकर्मियों ने दंगाइयों को रोकने की कोशिश की, उन पर भी मुस्लिम भीड़ ने हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप 60 से अधिक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। मंगलवार रात पूर्वी बेंगलुरु में भड़की इस हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
 
 
आपको बता दें कि बेंगलुरु में मुस्लिम भीड़ द्वारा किए गए दंगों के दौरान उग्र मुस्लिम भीड़ डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के बेसमेंट में घुस गई और कथित तौर पर 200-250 वाहनों में आग लगा दी। खबरों के मुताबिक, कॉन्ग्रेस विधायक के आवास पर तोड़फोड़ करने वाली मुस्लिम भीड़ ने मंगलवार (अगस्त 11, 2020) को पुलिस थाने में यह मानकर तोड़फोड़ और वाहनों को क्षतिग्रस्त किया कि पुलिस ने आरोपितों को हिरासत में रखा है।
 
इस पर मीडिया भी मौन है और भीम-मीम के नारे लगाने वाले भी चुप हैं। क्योंकि दंगे करने वाले मुस्लिम समुदाय से है। जबकि आये दिन हिंदू देवी-देवताओं और साधु-संतों का अपमान किया जा रहा हैं लेकिन एक भी हिंदु ने सड़को पर आज तक दंगे नही किये और न ही किसी की हत्या की पर देवी-देवताओं व साधु-संतों के अपमान पर कोई प्रतिक्रिया भी दे तो भी वामपंथी मीडिया और सेक्युलर शोर मचाने लगते हैं।
 
हिंसा भड़कने के मामले में 5 लोगों का नाम FIR में शामिल किया गया है। इन पाँचों पर आरोप है कि इन्होंने ही 200-300 लोगों की इस्लामिक भीड़ को एकत्रित करके बेंगलुरु में दंगे करवाए।
 
टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस एफआईआर पर रिपोर्ट की है। रिपोर्ट के मुताबिक FIR में बताया गया है कि भीड़ के पास पहले से माचिसें, पत्थर, रॉड जैसे हथियार थे। ये भीड़ कथित तौर पर नारे लगा रही थी, “पुलिस को मारो और खत्म करो।”
 
इन लोगों ने केजी हल्ली और डीजे हल्ली थाने में 11 अगस्त को आगजनी करके हड़कंप मचाया था। इन्होंने पेट्रोल से भरी प्लास्टिक की बोतलें थाने में पुलिस के ऊपर फेंकीं थी।
 
रिपोर्ट यह भी बताती है कि यह दंगे कुछ स्थानीय मुस्लिम नेताओं की एक बैठक के बाद शुरू हुए।
 
पूर्व नियोजित दंगे में मुस्लिम भीड़ ने थाने पर पेट्रोल बम और हथियारों से हमला किया। इस दौरान भीड़ अल्लाह हू अकबर और नारा ए तकबीर के नारे लगाती रही। मामला शांत पड़ने पर कर्नाटक गृहमंत्री ने आदेश दिए कि वह इन दंगों की जाँच करवाएँगें और जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई भी दंगाइयों से की जाएगी। इस पूरे केस में अभी तक 146 लोग गिरफ्तार हुए हैं।
 
क्या आपको कमलेश तिवारी याद हैं?
 
साल 2015 में पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद से उनका जीवन खतरे में पड़ गया था। जेल में महीनों बिताने और अपनी जिंदगी पर लगातार खतरों का सामना करने के बाद, अक्टूबर 2019 में उनकी हत्या हो गई थी।
 
कमलेश तिवारी की कहानी को एक बार फिर दोहराया जा रहा है क्योंकि कर्नाटक में एक कॉन्ग्रेस विधायक के भतीजे नवीन के खिलाफ इसी तरह से आक्रामक भीड़ द्वारा हमला हुआ है। बेंगलुरु के शांतिपूर्ण शहर को हिलाकर रख देने वाले दंगों ने इसी तरह का असर दिखाना शुरू कर दिया है, जिस प्रकार कमलेश तिवारी की टिप्पणी के बाद सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था।
 
फेसबुक और ट्विटर, दोनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नवीन के खिलाफ किए गए पोस्ट और टिप्पणियों से भरे हुए हैं। ‘शांतिपूर्ण समुदाय’ के लोग उत्तेजक और आक्रामक भाषा में उनके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इसके साथ वे यह भी पूछ रहे कि अभी तक उसकी हत्या क्यों नहीं हुई?
 
जिस दलित विधायक के भतीजे नवीन ने टिप्पणी पोस्ट की, उसका घर जला दिया गया है। गौरतलब है कि हमेशा की तरह लिबरल्स गिरोह ‘शांतिपूर्ण समुदाय’ के लिए ‘दंगों का अधिकार’ को सही ठहराएँगे।
 
मालदा का ख़ौफनाक दंगा
 
बेंगलुरु में कल हुए दंगों ने मालदा के दंगों की याद दिला दी, जब 2 लाख से अधिक मुसलमान सड़कों पर निकले थे, जबकि कमलेश तिवारी उस वक्त जेल में थे। उन्होंने यह माँग रखी थी कि तिवारी को उनकी टिप्पणी के लिए मार दिया जाना चाहिए।
 
प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर करोड़ों का नुकसान पहुँचया था। इसके अलावा, बीएसएफ की एक वाहन को भी दंगों में झोंक दिया गया था। उन्होंने कालियाचक थाना क्षेत्र में कई घरों को जला दिया और दंगे करते हुए कई दुकानों को भी लूट लिया गया था।
 
हिंदुस्तान में ही हिंदू देवी-देवताओं व साधु-संतों का अपमानित किया जाता है, गालियां बोली जाती है फिर भी हिंदू चुप रहते है निष्क्रिय रहते है कानून के अनुसार भी कार्यवाही नही करते है लेकिन मुस्लिम समुदाय अपने पैगम्बर के सोशल मीडिया पर किसी ने टिप्पणी कर देते है तो उसकी हत्या कर देते है, दंगे करते है, घर, पुलिस थाना जला देते है फिर भी वामपंथी मीडिया ओर सेक्युलर इस पर खामोश रहते हैं।
 
हिंदुओं को भी जागरूक होना चाहिए देवी-देवताओं अथवा किसी साधु-संत के अपमान करने वाले पर कानूनी कार्यवाही अवश्य करनी चाहिए।
 
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