2 मार्च 2019
कन्नूर (कैरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है उन्होंने लिखा है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी । एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी । मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचायी थी । ’ यहाँ गर्भ में ही बच्चों को मार देने की प्रवृत्ति होती है ।
चर्च की आड़ में चल रहे यौन शोषण के हजारों मामले सामने आ चुके हैं । ऐसा ही एक मामला हाल ही में आया है पोप के करीबी सलाहकार व वेटिकन के वित्तीय प्रभारी जॉर्ज पेल बच्चों के यौन शोषण मामले में अदालत में दोषी करार हुआ पर मीडिया इस खबर को कहीं नहीं दिखा रही है क्योंकि मामला ईसाई पंथ का है ।
आपको बता दें कि कार्डिनल जॉर्ज पेल को वेटिकन के वित्तीय मामलों के प्रभारी पद से हटा दिया गया है । क्वायर में शामिल होने वाले दो बच्चों के यौन उत्पीड़न मामले में वह दोषी करार दिए गए हैं । वेटिकन के प्रवक्ता अलेसांद्रो गिसोटी ने ट्वीट कर इसकी पुष्टि की और कहा, पेल के पास अब आर्थिक मामलों का प्रभार नहीं है।
पेल को ऑस्ट्रेलिया की एक अदालत ने यौन शोषण का दोषी करार दिया है । अदालत के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि यौन शोषण मामले में दोषी करार दिए जाने वाले पेल वेटिकन के अभी तक के वरिष्ठतम पदाधिकारी हैं । पोप फ्रांसिस ने पेल को 2014 में वेटिकन के वित्तीय मामलों को देखने के लिए नियुक्त किया था । वह पोप के करीबी सलाहकारों में से एक थे । उन्हें पांच साल के लिए नियुक्त किया गया था ।
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में चर्च में बच्चों, ननों और महिलाओं के साथ यौन शोषण की घटनाओं के बाद पूरे विश्व में आक्रोश देखने को मिला है । इसके बाद पोप फ्रांसिस ने इन मामलों को सख्ती से लिया और ऐसी घटनाओं से निपटने को कॉन्फ्रेंस का आयोजन भी किया । स्त्रोत : अमर उजाला
ईसाई पादरी धर्मगुरु बनकर बैठे हैं, लोगों को सुधरने का उपदेश देते हैं, लेकिन खुद बच्चों के साथ दुष्कर्म करते हैं जब #अदालत उन पर इस जुर्म के लिए सज़ा देती है तब कुछ धर्मगुरु बयान देते हैं कि उन्हें बच्चों का यौन शोषण करने की धार्मिक स्वतंत्रता है ऐसे ईसाई के धर्मगुरु लोगों का क्या भला करेंगे?
इतना सब कुछ होते हुए भी उनके खिलाफ मीडिया कुछ नहीं बोलती बल्कि उनका पक्ष लेती है क्योंकि काफी मीडिया ईसाई मिशनरियों के फंड से चलती है ।
यही मीडिया जब कोई पवित्र हिन्दू साधु-संत या हिन्दू संगठन जब मिशनरियां द्वारा भोले-भाले हिन्दुओं को पैसा, दवाई, कपड़े आदि देकर धर्मान्तरण के खिलाफ मुहिम चलाते हैं तो देशद्रोही और बिकाऊ मीडिया उनके खिलाफ देश में एक माहौल बनाकर उनकी छवि को धूमिल कर देती हैं ।
सभी भारतवासी बलात्कारी पादरियों और विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया से सावधान रहें ।
फिलॉसफर नित्शे ने लिखा है कि मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है ।
देश में अनेक स्थान पर ईसाई पादरी लालच देकर हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन करवा रहे हैं, उसके लिए सरकार को कानून लागू करना चाहिए और हिन्दू विरोधी मीडिया पर लगाम लगानी चाहिए ।
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