03 मई 2019
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हमारे भारत देश का एक दुर्भाग्य रहा है कि जो भी व्यक्ति या महापुरुष राष्ट्र एवं संस्कृति व धर्म की रक्षा के लिए आगे आते हैं उनको षड्यंत्र पूर्वक ऐसे फँसाया जाता है कि आगे कोई भी देश या धर्म के लिए कार्य करने को तैयार ही नहीं हुए, पर हमारी संस्कृति इतनी महान है कि सदियों से कुठाराघात होता आया, लेकिन हरबार कोई न कोई वीर देशभक्त या महापुरुष होते हैं, जो देश और धर्म को बचाने का पुरजोर कार्य करते हैं फिर वे अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करते हैं ।
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देशहित में जो भी व्यक्ति काम करते हैं उन्हें कैसे षड्यंत्र में फंसाया जाता है उसका उदाहरण देखना है तो गुजरात के पूर्व डीआईजी डीजी वंजारा जी के केस को देखिये ।
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वंजारा जी के सरकारी कार्यकाल के समय गुजरात में काफी गुंडे (डॉन ) बढ़ गए थे जो लोगों में दहशत फैला रहे थे, अपराधिक प्रवृत्तियां बढ़ती जा रही थी, आतंकवाद का भय मंडरा रहा था, कुछ मुस्लिम दंगे करके जनता को भयभीत कर रहे थे उस समय जांबाज पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा जी ने अनेक आतंकवादियों का एनकाउंटर किया, गुजरात के गुंडे (डॉन) को ठिकाने लगाया, अपराधियों को जेल में ठूँस दिया, जिससे अपराधिक प्रवृत्तियां रुक गईं और गुजरात में सुख-शांति छा गई ।
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जांबाज अधिकारी डीजी वंजारा जी को इस कार्य के बदले में अवार्ड मिलना चाहिए था, लेकिन भारत के अंदर ही राष्ट्रविरोधी ताकतों का हथकंडे बने हुए कुछ लोग थे उनको ये सब रास नहीं आया । उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार से मिलकर षड्यंत्र रचा और झूठे मामलों में जेल भिजवा दिया गया इससे ज्यादा देश के लिए दुर्भाग्य क्या हो सकता है ?
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उनको 8 साल से अधिक समय तक बिना सबूत जेल में रहना पड़ा, उनका जो समय देश हित में लगना चाहिए था वो समय बर्बाद हुआ, पैसे की बर्बादी हुई, परिवार दुविधा में पड़ गया, लेकिन बोलते हैं न कि सत्य परेशान होता है पर पराजित नहीं होता है, वही हुआ लेकिन देरी बहुत हो गई थी ।
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गुजरात के इशरत जहां एनकाउंटर मामले में सीबीआई विशेष न्यायालय ने डीजी वंजारा और एनके अमीन को आरोपमुक्त कर दिया । गुजरात उच्च न्यायालय ने पहले ही दोनों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इंकार कर दिया था । इसके बाद 26 मार्च को वंजारा और अमीन ने अपने ऊपर लगे आरोप हटाने की मांग की थी ।
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जज जेके पंड्या ने कहा कि चूंकि गुजरात सरकार ने दोनों पर मुकदमे की स्वीकृति नहीं दी, इसलिए न्यायालय मामले को खत्म कर रहा है ।
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आपको बता दें कि अहमदाबाद पुलिस की मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां लश्कर-ए-तैयबा की आत्माघाती हमलावर थी, यह खुलासा किया था मुंबई हमलों के आरोपी आतंकी डेविड हेडली ने । मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हेडली ने यह सूचना राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और विधि विभाग की चार सदस्यीय टीम के साथ उस समय साझा की जब टीम अमेरिका के शिकागो गई थी ।
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मुठभेड़ के समय एक कार में सवार थे सभी
हेडली ने बताया कि इशरत को लश्कर के मुजामिल ने अपने दस्ते में शामिल किया था । इशरत जहां 15 जून 2004 को जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई और पाकिस्तान के दो युवकों अमजद अली और जीशान जोहर अब्दुल गनी के साथ अहमदाबाद के बाहरी इलाके में मुठभेड़ में मारी गई थी । पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, ये सभी लोग एक कार में सवार थे । इन सभी का एनकाउंटर नहीं करते तो वे लोग तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर आत्मघाती हमले कर सकते थे ।
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बता दें कि डीजी वंजाराजी ने सहीं समय पर
निर्णय लेकर उनका एनकाउंटर नहीं किया होता तो आज नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद पर शायद नहीं आ पाते । नरेंद्र मोदी को बचाने के पीछे डीजी वंजारा जी का अहम योगदान है ।
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डीजी वंजारा निर्दोष तो बरी हो गए, लेकिन उनको 9 साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया, वो उनका कीमती समय क्या कानून या सरकार लौटा पाएगी ??? उनकी इज्ज्ज़ और पैसों की बर्बादी हुई उसे कौन लौटाएगा ?
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मीडिया ने भी उस समय उनकी खूब बदनामी की, लेकिन जैसे ही उन्हें निर्दोष बरी किया गया तब मीडिया ने चुप्पी साध ली । जब भी किसी हिंदुत्वनिष्ठ पर आरोप लगता है तो मीडिया उनकी समाज में इतनी बदनामी करती है कि जैसे वो आरोपी नहीं अपराधी हों, पर जब वही निर्दोष छूट कर आते हैं तो मीडिया को मानो सांप सूंघ जाता है ।
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विचार कीजिए, क्या सिर्फ हिन्दुत्वनिष्ठों को बदनाम करने का मीडिया का एजेंडा है..???
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कछुआ छाप चलने वाली हमारी न्याय प्रणाली भी मीडिया के प्रभाव में आकर हिन्दुत्वनिष्ठों को जल्दी न्याय नहीं दे पाती है । और न्याय मिल भी जाता है तो इतनी देरी से मिलता है कि न्याय न मिलने के ही बराबर हो जाता है । क्या देर से न्याय मिलना अन्याय नहीं है ???
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कांग्रेस सरकार ने तो षड्यंत्र करके अनेक हिन्दू सन्तों एवं हिन्दुत्वनिष्ठों को जेल भेज दिया था, पर अब हिंदुत्ववादी कहलाने वाली BJP सरकार कैसे हिंदुओं के माप-दण्ड पर खरी उतरती है, ये देखना है ।
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सरकार को हिंदुनिष्ठ लोगों की जल्द से जल्द सह-सम्मान रिहाई करवानी चाहिए, इसी पर सभी हिंदुस्तानियों की निगाहें टिकी हैं ।
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