18 अगस्त 2021
azaadbharat.org
🚩महिलाओं की सुरक्षा के लिए बलात्कार निरोधक में सख्ती बनाकर कानून बने हैं पर कुछ लड़कियों द्वारा पैसा ऐठने, बदला लेने की भावना अथवा साजिश के तहत निर्दोष पुरुषों को फंसाने के लिए इस कानून का अंधाधुंध दुरुपयोग किया जा रहा है।
🚩दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (16 अगस्त) को बलात्कार और छेड़छाड़ के मामलों में झूठे दावों और आरोपों को दायर करने से रोक दिया और कहा कि झूठे दावों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। कोर्ट ने इसके साथ यह भी कहा कि बलात्कार और अन्य यौन अपराधों से संबंधित झूठे दावों में खतरनाक वृद्धि हुई है।
कोर्ट ने देखा कि बलात्कार के मामले में पीड़िता के मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है और यह आघात वर्षों तक बना रहता है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने यह भी कहा कि यह ध्यान देने योग्य है कि कानूनी बिरादरी से संबंधित अधिवक्ता बलात्कार के अपराध को तुच्छ बना रहे हैं।
न्यायालय ने कहा कि इस तरह के तुच्छ मुकदमों को तत्काल रोकने की आवश्यकता है।
बेंच ने कहा,
“बलात्कार के ऐसे झूठे आरोप लगाने वाले लोगों को मुक्त होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। यह अदालत इस बात से दुखी है कि केवल आरोपियों को बांधे रखने और शिकायतकर्ता की मांगों के आगे झुकने के लिए धारा 354, 354ए, 354बी, 354सी और 354डी के तहत बलात्कार और अपराधों के झूठे मामलों में खतरनाक वृद्धि हुई।”
बेंच ने आगे कहा,
“अपराधों की गंभीर प्रकृति के कारण छेड़छाड़ और बलात्कार के मामलों से संबंधित झूठे दावों और आरोपों से सख्ती से निपटने की आवश्यकता है। इस तरह के मुकदमे बेईमान वादियों द्वारा इस उम्मीद में स्थापित किए जाते हैं कि दूसरा पक्षकार उनकी मांगों को पूरा करेगा। डर या शर्म की बात है। जब तक गलत काम करने वालों को उनके कार्यों के परिणामों का सामना करने के लिए उत्तरदाई नहीं बनाया जाता है, तब तक इस तरह के तुच्छ मुकदमों को रोकना मुश्किल होगा।”
🚩कोर्ट ने कहा कि न्यायालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि तुच्छ मुकदमों के लिए कोई प्रोत्साहन या मकसद नहीं है जो अनावश्यक रूप से न्यायालय के अन्यथा डराने वाले के समय का उपभोग करते हैं।
न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि इस न्यायालय की राय है कि इस समस्या को हल किया जा सकता है या कम से कम कुछ हद तक कम किया जा सकता है, अगर वादियों पर तुच्छ मुकदमेबाजी करने के लिए अनुकरणीय लागत लगाई जाती है।
🚩यह घटनाक्रम बलात्कार की प्राथमिकी को इस आधार पर रद्द करने की मांग वाली याचिका पर विचार करते हुए आया कि पीड़िता और आरोपी ने मामले में समझौता कर लिया था।
🚩कोर्ट ने उक्त याचिका को खारिज करते हुए कहा,
“इसलिए अदालतें बलात्कार के आरोप में एक आरोपी की सुनवाई करते समय एक बड़ी ज़िम्मेदारी लेती हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है कि लोग इन आरोपों को बहुत ही आकस्मिक तरीके से ले रहे हैं।”
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह टिप्पणी नहीं कर रहा है कि वर्तमान मामला झूठा मामला है या नहीं।
कोर्ट ने कहा,
“अगर यह पाया जाता है कि पक्षकारों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर किए गए मामले झूठे और तुच्छ हैं, तो अभियोक्ता और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, जिन्होंने केवल कुछ व्यक्तिगत स्कोर तय करने के लिए बलात्कार के आरोप लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”
कोर्ट ने कहा,
“बलात्कार जैसे अपराधों के लिए समझौते के आधार पर प्राथमिकी को रद्द करने से आरोपी पीड़ितों पर समझौता करने के लिए दबाव बनाने के लिए प्रोत्साहित होंगे और इससे आरोपी के लिए एक जघन्य अपराध से बचने के दरवाजे खुल जाएंगे, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।”
याचिका को इस टिप्पणी के साथ खारिज कर दिया गया कि उच्च न्यायालयों को केवल इस आधार पर बलात्कार के अपराध को रद्द करने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए कि पक्षकारों ने समझौता कर लिया है।
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🚩आपको बता दें कि विष्णु तिवारी को 20 साल जेल में रखने के बाद निर्दोष बरी किया गया। ऐसे कई पुरुषों को फर्जी केस में फंसाकर सालों से जेल में रखा है। ऐसे तो हजारों केस होंगे जहाँ निर्दोष होते हुए भी आरोपियों को निचली अदालत से सजा हुई और ऊपरी कोर्ट ने निर्दोष बरी किया लेकिन उनको इतने साल प्रताड़ना झेलनी पड़ी, परिवार बिखर गया, उनका परिवार, पैसे, समय व इज्जत गई उसकी भरपाई कौन करेगा?
🚩आपको बता दें कि आम जनता की तरह हिंदू धर्म के मुख्य साधु-संतों को बदनाम करने के लिए भी झूठे आरोप लगाए जाते हैं जैसे कि सौराष्ट्र (गुजरात) के श्री केशवानन्द स्वामी के ऊपर यौन शोषण का झूठा आरोप थोप कर बारह साल की जेल की सजा करा दी। सात साल जेल भोगने के बाद ऊपरी कोर्ट से निर्दोष साबित हुए।
ऐसे ही 85 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी बापू पर बलात्कार के झूठे आरोप लगाकर जेल भेजा गया है क्योंकि उन्होंने धर्मांतरण विरोध में कार्य किया, देश समाज और संस्कृति की सेवा 50 साल तक सेवा की जो राष्ट्र विरोधी ताकतों को सहन नही हुआ और उनके खिलाफ षडयंत्र करके मीडिया में बदनाम करवाया और जेल भिजवाया और 8 साल में एक दिन भी जमानत नही दी गई।
बलात्कार कानून की आड़ में महिलाएं आम नागरिक से लेकर सुप्रसिद्ध हस्तियों, संत-महापुरुषों को भी ब्लैकमेल कर झूठे बलात्कार के आरोप लगाकर जेल में डलवा रही हैं । फर्जी केस करने वालों पर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए, निर्दोष को मुआवजा मिलना चाहिए और इन कानूनों में संशोधन होना चाहिए ऐसी जनता की मांग हैं।
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