7 November 2022
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🚩 दिनांक 8 नवम्बर 2022, कार्तिक पूर्णिमा को खग्रास चन्द्रग्रहण है ।
🚩यह ग्रहण पूरे भारत में दिखेगा । भारत के अलावा एशिया, आस्ट्रेलिया, पैसेफिक क्षेत्र, उत्तरी और मध्य अमेरिका में भी ग्रहण दिखेगा । जहाँ ग्रहण दिखायी देगा, वहाँ पर ग्रहण के नियम पालनीय हैं ।
🚩आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को लगने जा रहा है, इससे पहले दिवाली के अगले दिन 25 अक्टूबर 2022 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगा था,सूर्य ग्रहण के सिर्फ 15 दिनों के बाद देव दीपावली के दिन 8 नवंबर 2022 को साल का ये आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा,साल का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई 2022 को लगा था, 8 नवंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन लग रहा है,साल का ये अंतिम चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा।
🚩क्या होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण (What is Chandra Grahan?)
🚩चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच आ जाती है,इस दौरान चांद धरती की छाया से पूरी तरह से छुप जाता है, पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीध में होते हैं,इस दौरान जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह हमें काला नजर आता है और इसे चंद्रग्रहण कहा जाता है।
🚩साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को भारत में 4 बजकर 28 मिनट से दिखाई देना शुरू होगा और शाम 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा, ऐसे में चंद्र ग्रहण का सूतक काल 8 नवम्बर को सुबह 9 से शुरू होगा और शाम के 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा, साल का ये आखिरी चंद्र ग्रहण मेष राशि में लगेगा।
🚩ग्रहण के दौरान किसी भी तरह की यात्रा करने से बचें।
🚩सूतक काल के दौरान घर पर ही रहें,कोशिश करें कि ग्रहण की रोशनी आपने घर के अंदर प्रवेश ना करें।
🚩सूर्य ग्रहण की तरह की चंद्र ग्रहण को भी नहीं देखना चाहिए।
🚩ग्रहण से पहले और ग्रहण के बाद स्नान अवश्य करना चाहिए, कहा जाता है ऐसा करने से ग्रहण का कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं रहता।
🚩ग्रहण में क्या करें, क्या न करें ?
🚩चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके ”ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है।
🚩सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक ‘अरुन्तुद’ नरक में वास करता है।
🚩सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।
🚩ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
🚩ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
🚩ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।
🚩ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
🚩ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।
🚩ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए। ग्रहण के स्नान में गरम जल की अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है।
🚩ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
🚩ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं।
🚩ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
🚩ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
🚩तीन दिन या एक दिन उपवास करके स्नान दानादि का ग्रहण में महाफल है, किन्तु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रान्ति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।
🚩भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- ‘सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।’
🚩ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
🚩ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। (स्कन्द पुराण)
🚩भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए। (देवी भागवत)
🚩अस्त के समय सूर्य और चन्द्रमा को रोगभय के कारण नहीं देखना चाहिए।
🚩ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं रखें इन बातों का ख्याल (Chandra Grahan Precaution For Pregnant Ladies)
🚩ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं घर से बाहर निकलने से बचें।
🚩शांति से काम लें और किसी भी प्रकार का मानसिक या फिर शारीरिक तनाव न लें।
🚩 भारत में ग्रहण समय –
शहर का नाम – प्रारम्भ (शाम) – समाप्त (शाम)
ईटानगर – 4:28 से 6:18 तक
गुवाहटी – 4:37 से 6:18 तक
गंगटोक – 4:48 से 6:18 तक
कोलकाता – 4:56 से 6:18 तक
पटना – 5:05 से 6:18 तक
राँची – 5:07 से 6:18 तक
भुवनेश्वर – 5:10 से 6:18 तक
ब्रह्मपुर – 5:15 से 6:18 तक
प्रयागराज – 5:18 से 6:18 तक
लखनऊ – 5:20 से 06:18 तक
कानपुर – 5:23 से 6:18 तक
विशाखापट्टनम – 5:24 से 6:18 तक
रायपुर (छ.ग.) – 5:25 से 6:18 तक
हरिद्वार – 5:26 से 6:18 तक
धर्मशाला – 5:30 से 6:18 तक
चंडीगढ़ – 5:31 से 6:18 तक
नई दिल्ली – 5:32 से 6:18 तक
जम्मू – 5:35 से 6:18 तक
नागपुर – 5:36 से 6:18 तक
भोपाल – 5:40 से 6:18 तक
जयपुर – 5:41 से 6:18 तक
चेन्नई – 5:42 से 6:18 तक
हैदराबाद – 5:44 से 6:18 तक
उज्जैन – 5:47 से 6:18 तक
जोधपुर – 5:53 से 6:18 तक
बेंगलुरु – 5-53 से 6:18 तक
नासिक – 5:55 से 6:18 तक
अहमदाबाद – 6:00 से 6:18 तक
वडोदरा – 05:59 से 06:18 तक
पुणे – 6:01 से 6:18 तक
सूरत – 6:02 से 6:18 तक
तिरुवनन्तपुरम् – 6:02 से 6:18 तक
मुंबई – 6:05 से 6:18 तक
पणजी (गोवा) – 6:06 से 6:18 तक
जामनगर – 6:11 से 6:18 तक
🚩 भारत के जिन शहरों के नाम ऊपर सूची में नहीं दिये गये हैं, वहाँ के लिए अपने नजदीकी शहर के ग्रहण का समय देखें ।
🚩विदेशों में ग्रहण समय –
अफगानिस्तान (काबुल) – शाम 4:55 से शाम 5:18 तक
ताईवान (ताईपे) – शाम 5:10 से रात्रि 8:48 तक
पाकिस्तान (इस्लामाबाद) – शाम 5:11 से शाम 5:48 तक
भूटान (थिम्पू) – शाम 5:13 से शाम 6:48 तक
नेपाल (काठमांडू) – शाम 5:16 से शाम 6:33 तक
बांग्लादेश (ढाका) – शाम 5:16 से शाम 6:48 तक
बर्मा (नेपीडॉ) – शाम 5:28 से रात्रि 7:18 तक
हाँगकाँग (हाँगकाँग) – शाम 5:40 से रात्रि 8:48 तक
इंडोनेशिया (जकार्ता) – शाम 5:47 से रात्रि 7:48 तक
थाईलैंड (बैंकॉक) – शाम 5:48 से रात्रि 7:48 तक
श्रीलंका (कोलंबो) – शाम 5:52 से शाम 6:18 तक
सिंगापुर (सिंगापुर) – शाम 6:50 से रात्रि 8:48 तक
ऑस्ट्रेलिया (कैनबरा) – रात्रि 8:10 से रात्रि 11:48 तक
🚩 अमेरिका तथा कनाडा के लिए नीचे लिखा गया ग्रहण समय स्थानीय समयानुसार 7 नवम्बर मध्यरात्रि के बाद का है अर्थात 8 नवम्बर 00-00 ए. एम के बाद से ।
अमेरिका (सैनजोस, कैलिफोर्निया) – सुबह 1:10 ए.एम से सुबह 4-48 ए.एम तक
अमेरिका (शिकागो) – सुबह 3:10 से सुबह 6:36 तक
अमेरिका (बोस्टन) – सुबह 4:10 से सुबह 6:28 तक
अमेरिका (न्यूयॉर्क) – सुबह 4:10 से सुबह 6:36 तक
अमेरिका (न्यूजर्सी) – सुबह 4:10 से सुबह 6:36 तक
अमेरिका (वाशिंगटन डी.सी.) – सुबह 4:10 से सुबह 6:45 तक
कनाडा (टोरंटो, ओंटारियो) – सुबह 4:10 से सुबह 7:06 तक
🚩ग्रहण सूतक
🚩चंद्रग्रहण प्रारम्भ होने से तीन प्रहर (9 घंटे) पूर्व सूतक (ग्रहण-वेध) प्रारम्भ हो जाता है ।
उदाहरण
अहमदाबाद में ग्रहण समय – शाम 6:00 से 6:18 तक
अहमदाबाद में सूतक प्रारम्भ – सुबह 9-00 बजे से
🚩ग्रहणकाल का सदुपयोग बचायेगा दुर्गति से, सँवारेगा इहलोक – परलोक – पूज्य बापूजी
🚩जो ग्रहणकाल में उसके नियम पालन कर जप-साधना करते हैं वे न केवल ग्रहण के दुष्प्रभावों से बच जाते हैं बल्कि महान पुण्यलाभ भी प्राप्त करते हैं ।
🚩सूतक (ग्रहण- वेध) के पहले जिन पदार्थों में तिल या सूतक व ग्रहण काल में दूषित नहीं होते । किंतु दूध या दूध से बने व्यंजनों में तिल या तुलसी न डालें। सूतककाल में कुश आदि डला पानी उपयोग में ला सकते हैं ।
🚩ग्रहणकाल में भोजन करने से अधोगति होती है, पेशाब करने से घर में दरिद्रता व सोने से रोग आते हैं तथा संसार-व्यवहार (सम्भोग करने से सूअर की योनि में जाना पड़ता है ।
🚩ग्रहणकाल का कैसे हो सदुपयोग ?
🚩(१) ग्रहण के समय रुद्राक्ष माला धारण करने से पाप नष्ट हो जाते हैं परंतु फैक्ट्रियों में बननेवाले नकली रुद्राक्ष नहीं, असली रुद्राक्ष हों ।
🚩(२) ग्रहण के समय मंत्रदीक्षा में मिले मंत्र जप करने से उसकी सिद्धि हो जाती है ।
🚩(३) महर्षि वेदव्यासजी कहते हैं: ‘चन्द्रग्रहण’ के समय किया हुआ जप लाख गुना फलदायी होता है ।
🚩तो ग्रहण के समय स्वास्थ्य मंत्र जप लेना, ब्रह्मचर्य का मंत्र भी सिद्ध कर लेना । ग्रहण के समय किये हुए ऐसे-वैसे किसी भी गलत या पाप कर्म का फल अनंत गुना हो जाता है और इस समय भगवद्-चिंतन, भगवद्-ध्यान, भगवद्-ज्ञान का लाभ ले तो वह व्यक्ति सहज में भगवद्-धाम, भगवद्-रस को पाता है । ग्रहण के समय अगर भगवद्-विरह पैदा हो जाता है तो वह भगवान को पाने में बिल्कुल पक्का है, उसने भगवान को पा लिया समझ लो । ग्रहण के समय किया हुआ जप, मौन, ध्यान, प्रभु सुमिरन अनेक गुना हो जाता है । ग्रहण के बाद वस्त्रसहित स्नान करें ।
ऋषिप्रसाद अक्टूबर – 2022
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