
अंग्रेजों ने भारत में आकर बड़ी चालाकी से हिन्दू धर्म को मिटाने के लिए हिन्दू संस्कृति को हटाकर अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपनी चाही, गत वर्षों तक इसका प्रभाव जनमानस पर देखने को मिला, लेकिन आज देश की जनता जागरूक होने लगी है, धीरे-धीरे जनता पश्चिमी संस्कृति को भूल रही है और भारत की दिव्य संस्कृति की तरफ लौट रही है ।

25 दिसंबर निमित्त क्रिसमस डे की जगह देश-विदेश में विद्यालयों में, गांवों में, शहरों में, मन्दिरों आदि जगह-जगह पर तुलसी पूजन दिवस मनाया गया ।
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People celebrate Christmas in place of Tulsi worship day |

आपको बता दें कि केवल #हिन्दू ही नही मुस्लिम, ईसाई, फारसी लोगों ने भी 25 दिसंबर को #तुलसी पूजन दिवस मनाया ।

केवल जमीनी स्तर पर ही नहीं बल्कि ट्वीटर, फेसबुक आदि सोशल साइट्स पर भी कल से #तुलसी पूजन दिवस की धूम मची है ।

गौरतलब है कि 2014 से 25 दिसंबर को #तुलसी पूजन हिंदू संत आसारामजी बापू की प्रेरणा से उनके करोड़ो अनुयायियों द्वारा जगह-जगह पर मनाना प्रारंभ किया गया । उसके बाद तो 2015 से इस अभियान ने #विश्वव्यापी रूप धारण कर लिया और अब 2018 में तो #देश-विदेश में अनेक जगहों पर #हिन्दू मुस्लिम और अन्य धर्मों की जनता भी उत्साहित होकर इस दिन को एक त्यौहार के रूप में मना रही है ।

संत #आसारामजी #आश्रम द्वारा बताया गया कि उनके अनुयायियों द्वारा #विश्वभर में विद्यालयों, महाविद्यालयों और जाहिर जगहों पर एवं घर-घर #तुलसी पूजन त्यौहार मनाया जा रहा है ।

नीचे दी गई लिंक पर आप देख सकते हैं कि किस प्रकार देश-विदेश के अनगिणत लोग #तुलसी पूजन द्वारा लाभान्वित हो रहे हैं ।

ट्वीटर, फेसबुक आदि सोशल साइट्स पर #तुलसी पूजन दिवस निमित्त #देशभर के स्कूल, कॉलेज, गाँवो, शहरों में हुए #तुलसी पूजन तथा यात्राओं के साथ हुए तुलसी वितरण के फोटोज अपलोड हुए हैं ।

मंगलवार को ट्वीटर पर ट्रेंड करता हैशटैग- #तुलसी_पूजन_दिवस दिखाई दिया।

आम जनता के साथ राष्ट्रवादी नेताओं, पत्रकार आदि ने भी ट्वीट करके इस दिन तुलसी पूजन करने का समर्थन किया है ।

आइये कुछ ट्वीट्स द्वारा जाने लोगों के मनोभाव…

1.) सुदर्शन न्यूज़ के चेयरमैन सुरेश चव्हाणके कहते हैं कि आज #तुलसी_पूजन_दिवस पर #तुलसी मैया का पुजन किया। विदेशी, अनउपयोगी #Christmas tree के बजाए हमारे माटी कि, स्वदेशी, स्वधर्म की पर्यावरण पुरक सदैव प्राणवायु देने वाली #तुलसी_पूजन करे
https://t.co/tBtXuWuir8

3.) लोक कल्याण सेतु हैंडल से लिखा गया कि पूज्यपाद संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित 25 दिसम्बर #तुलसी_पूजन_दिवस की हार्दिक बधाई।
जिस घर में तुलसी का पौधा हो उस घर में दरिद्रता नहीं रहती। जहाँ तुलसी विराजमान होती हैं, वहाँ दुःख, भय और रोग नहीं ठहरते। (पद्म पुराण, उत्तर खण्ड)
https://t.co/II4AYv2gWB

इस प्रकार से अनेकों ट्वीटस हमें देखने को मिली जिसके जरिये लोगों ने बापू आसाराम जी द्वारा प्रेरित #तुलसी पूजन दिवस को सराहा भी और इस दिन को हिन्दू संस्कृति अनुसार मनाने का खुद भी आह्वाहन किया तथा औरों को भी प्रेरित किया ।

बापू आसारामजी के अनुयायियों के साथ-साथ अनेक #हिन्दू संगठन और देश-विदेश के लोग भी मना रहे थे #तुलसी पूजन का त्यौहार!!

आपको बता दें कि #डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, स्वर्गीय श्री अशोक सिंघल जी और सुदर्शन न्यूज के सुरेश चव्हाणके और भी कई बड़ी हस्तियां #आसारामजी #बापू को जेल में मिलकर आये थे और उन्होंने बताया कि #बापूजी ने देशहित के अतुलनीय कार्य किये है और ईसाई धर्मांतरण पर रोक लगाई है, इसलिए उनको षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है।

आज तक देखने में आया है कि #बापू #आसारामजी के अनुयायियों ने अपने गुरुदेव से प्रेरणा पाकर हमेशा विदेशी अंधानुकरण का विरोध किया है और हिन्दू संस्कृति का समर्थन किया है ।

आज भले #बापू #आसारामजी अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत जेल में हों लेकिन आज भी उनके द्वारा प्रेरित किये गए #सेवाकार्यों की सुवास #समाज में देखने को मिलती है। जैसे 14 फरवरी को #मातृ-पितृ पूजन दिवस, #गौ-पूजन, दीपावली पर गरीबों में भंडारा, गीता जयंती निमित्त रैलियां, यात्रायें आदि आदि ।

पर मीडिया का कैमरा कभी उस सच्चाई तक नहीं गया, कभी उन सेवाकार्यों तक नहीं गया जिससे मानवमात्र लाभान्वित हो रहा है । अगर आप गौर करेंगे तो मीडिया ने जब भी बापू आसाराम जी के लिए कुछ बोला तो हमेशा समाज में उनकी छवि धूमिल करने का ही प्रयास किया। उनकी क्या हर हिन्दू संत, हर हिन्दू कार्यकर्ता की छवि को धूमिल करने का प्रयास मीडिया द्वारा होता ही आया है ।

मीडिया के इस दोगलेपन के पीछे का राज है कि मीडिया विदेशी फंड से चलती है । इसलिए ये समाज को वही दिखाती है जो इसे दिखाने के लिए कहा जाता है । इन्हें सत्य से कुछ लेना-देना नहीं, हर न्यूज के दाम फिक्स होते हैं । ऐसी मीडिया पर आप कब तक भरोसा करेंगे ???

Official Azaad Bharat Links:

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I too celebrated Tulsi Pujan Diwas with my family