15 जून 2019
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🚩विश्व में अनेक स्थानों पर खुदाई के समय कोई प्राचीन हिंदू मंदिर, देवी-देवताओं की प्रतिमा, भगवान की प्रतिमाएं मिलते रहने की ख़बरें आती रहती हैं, बाकी किसी अन्य धर्म के आराध्य की मूर्ति या पूजास्थल की मूर्तियां मिली ऐसा कहीं देखा सुना नहीं है । इससे साफ होता है कि सनातन (हिंदू) संस्कृति सबसे प्राचीन है और पूरे विश्व में फैली थी ।
🚩ईराक में 6000 साल मिली प्रतिमाओं से यही सिद्ध होता है कि हमारा धर्म 1400 साल पुराने मुस्लिम सम्प्रदाय एवं 2019 साल पुराने ईसाई मत से भी प्राचीनतम है, वास्तव में देखा जाए तो भारतीय संस्कृति मात्र 6000 साल पुरानी है, ऐसी बात नहीं है वह तो इससे भी अधिक पुरानी है क्योंकि जबसे पृथ्वी का उद्गम हुआ है तबसे यह सनातन संस्कृति है ।
🚩अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ और रामकथा की वास्तविकता और सार्थकता पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता है, लेकिन
भारत से हजारों किलोमीटर दूर ईराक में कुछ ऐसा हुआ है जिसने ये प्रमाण दिया है कि भगवान श्रीराम और उनके भक्त हनुमान जी की कथा सत्य है । हाल ही में मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक़ ईराक के सिलेमानिया इलाके में मौजूद बैनुला बाईपास के पास खुदाई में भगवान राम और हनुमान जी की दुर्लभ प्रतिमाएं पायीं गयी हैं । इन प्रतिमाओं के पाए जाने की पुष्टि खुद ईराक सरकार ने भारत द्वारा इस मामले पर मांगी गयी जानकारी के जवाब में पत्र लिखकर दी है। इतना ही नहीं ईरान सरकार के पुरातत्व विभाग का दावा है कि ये प्रतिमाएं करीब 6 हजार साल पुरानी हैं । प्रतिमाओं के मिलने के बाद भारत सरकार ने भी इन प्रतिमाओं से जुड़ी और जानकारी प्राप्त करने की इच्छा जाहिर की है। वहीं उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग ने भी खासतौर पर अयोध्या शोध संस्थान ने इन प्रतिमाओं पर शोध करने की ज़रुरत बतायी है।
भारत से हजारों किलोमीटर दूर ईराक में कुछ ऐसा हुआ है जिसने ये प्रमाण दिया है कि भगवान श्रीराम और उनके भक्त हनुमान जी की कथा सत्य है । हाल ही में मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक़ ईराक के सिलेमानिया इलाके में मौजूद बैनुला बाईपास के पास खुदाई में भगवान राम और हनुमान जी की दुर्लभ प्रतिमाएं पायीं गयी हैं । इन प्रतिमाओं के पाए जाने की पुष्टि खुद ईराक सरकार ने भारत द्वारा इस मामले पर मांगी गयी जानकारी के जवाब में पत्र लिखकर दी है। इतना ही नहीं ईरान सरकार के पुरातत्व विभाग का दावा है कि ये प्रतिमाएं करीब 6 हजार साल पुरानी हैं । प्रतिमाओं के मिलने के बाद भारत सरकार ने भी इन प्रतिमाओं से जुड़ी और जानकारी प्राप्त करने की इच्छा जाहिर की है। वहीं उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग ने भी खासतौर पर अयोध्या शोध संस्थान ने इन प्रतिमाओं पर शोध करने की ज़रुरत बतायी है।
🚩भारत के लिए अच्छी बात ये है कि भारत के मित्र राष्ट्र ईराक ने इस विषय के महत्व को समझते हुए भारत के शोधकर्ताओं को संस्कृति विभाग और अयोध्या शोध संस्थान को इस विषय पर शोध करने के लिए ईराक आमंत्रित किया है और इस सम्बन्ध में पत्र भी लिखा है । उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही शोधकार्ताओं का दल ईराक पहुंचकर भगवान राम से जुड़े और तथ्य तलाश करेंगे । प्रतिमाओं के मिलने से भगवान राम का अस्तित्व और पुख्ता होता नज़र आ रहा है ,जाहिर तौर पर देश के लिये ये ख़ुशी की बात है कि हमारी संस्कृति पूरी दुनिया में फैली हुई है ।
🚩संतों ने कहा जो भगवान के अस्तित्व पर उठाते थे सवाल, उनके गाल पर है ये तमाचा:
🚩अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने कहा कि इसमें कोई चौकने वाली बात नहीं है कि ईराक में भगवान राम की प्रतिमा मिली है, वृहत्तर भारत के दायरे में इस विश्व का बड़ा हिस्सा आता है और ईराक ही नहीं अपितु अन्य देशों में भी भगवान श्री राम के अस्तित्व के प्रमाण मिलेंगे।
🚩जगदगुरु रामदिनेशाचार्य ने कहा कि ये जानकारी प्रसन्नता देने वाली है ये उन लोगों के गाल पर तमाचा है जो भगवान राम को काल्पनिक बताते चले आये और उनके अस्तित्व पर सवाल उठाते आये हैं ,भारत सरकार को इस पर शोध कराना चाहिए ।
🚩आचार्य सतेन्द्र दास ने कहा कि भगवान तो सर्वव्यापी थे उस काल में कोई सीमा नहीं थी न भारत न ईरान पूरा विश्व भगवान राम के पराक्रम को मानता था ,प्रतिमा मिलने से स्पष्ट होता है की भगवान राम के अनुयायी धरती के हर कोने पर हैं | – स्त्रोत – पत्रिका
🚩दुनियाभर में भगवान श्री राम को मानने वाले आज भी हैं, सबसे बड़ा मुस्लिम देश इंडोनेशिया आज भी भगवान राम की पूजा करता है और रामायण के आधार पर उनके देश की संस्कृति चलती है, लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्य है कि जिस जगह पर स्वयं भगवान श्रीराम का जन्म हुआ, उस जगह को एक विदेशी आक्रमणकारी आकर तोड़ देता है और फिर उसे बनाने के लिए लाखों हिंदू सालों से संघर्ष कर रहे हैं, अबतक लाखों हिंदुओं का बलिदान हो गया पर श्री राम मंदिर नहीं बन पा रहा है।
*🚩बता दे कि युनान, मिश्र तथा रोम की संस्कृति प्राचीन संस्कृति मानी जाती है पर उसको भी मिटा दिया लेकिन यह पंक्ति बोलनी पड़ेगी….
युनानों, मिश्र, रोमां, सब मिट गये इस जहां से ।
अब तक मगर है बाकी, नामों निशाँ हमारा ।।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ।
सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जहां हमारा ।।
अब तक मगर है बाकी, नामों निशाँ हमारा ।।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ।
सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जहां हमारा ।।
🚩सदियों से सनातन संस्कृति पर वार होता आया है पर अभीतक हमारी संस्कृति नहीं मिट पाई, इसका सबसे बड़ा श्रेय जाता है हिंदू साधु-संतों को उन्होंने जनता को हिंदू संस्कृति की महत्ता बताई और लोगों के दिलो में आज भी अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम है, लेकिन उन संस्कृति रक्षक संतों के ऊपर भी गहरे षड्यंत्र हो रहे हैं, उसको भी हमे रोकने के लिए आगे आना चाहिए ।
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