12 जून 2019
🚩अधिकांश लोग एक मिनट के लिए भी अपने स्मार्टफोन से दूर नहीं रह सकते हैं । हम अपने फोन के बिना काम नहीं कर पाते हैं । यहां तक कि रात में, हम देर तक मेसेज पढ़ते और भेजते हैं और फिर सोते समय फोन को बिस्तर के नीचे या तकिया के नीचे रख के सो जाते हैं । हालांकि, फोन को बगल में रखकर सोना हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है ।
🚩बता दें कि दुनिया का एक सबसे अमीर शख्स, पर बच्चों के लिए मोबाइल नहीं खरीदा । और दूसरा वो व्यक्ति जिसने दुनिया को आईफोन दिया, लेकिन कभी अपने बच्चों को हाथ तक भी नहीं लगाने दिया ।
🚩अगर आप अपने बच्चे को मोबाइल या टैबलेट दे रहे हैं या आप उनके सामने लगातार मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं…तो आपको इससे जुड़े खतरे भी पता होने चाहिए । क्या आपको पता है दुनिया के सबसे अमीर शख्सियतों में शुमार बिल गेट्स ने अपने बच्चों को 14 साल की उम्र तक मोबाइल नहीं दिया था ।
🚩इसी तरह स्टीव जॉब्स ने 2011 में न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने अपने बच्चों को कभी भी आईपैड इस्तेमाल नहीं करने दिया था । ये दो उदाहरण सिर्फ इसलिए हैं ताकि आप यह जान सकें कि मोबाइल दुनिया की सबसे जरूरी वस्तु नहीं है । दुनिया में मोबाइल के इस्तेमाल को लेकर भी कई रिसर्च हुए हैं, जिनके परिणाम चौंकाने वाले हैं । जो बच्चे स्मार्टफोन किसी भी रूप में इस्तेमाल करते हैं (वीडियो देखने-गाना सुनने।) वे अन्य बच्चों की तुलना में देर से बोलना शुरू करते हैं । छह माह से दो साल तक 900 बच्चों पर किए गए सर्वे में यह चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है । हर 30 मिनट के स्क्रीन टाइम (मोबाइल इस्तेमाल) से ही 49% आसार बढ़ जाते हैं कि बच्चा देरी से बोलना शुरू करेगा । वहीं दुनिया की जानी-मानी एडिक्शन थैरेपिस्ट मैंडी सालगिरी ने तो यहां तक कहा है कि बच्चों को स्मार्टफोन देना उन्हें एक ग्राम कोकेन देने के बराबर है ।
🚩समाधान आप ही हैं…मोबाइल हमारे घरों की दीवार बन रहा है। यह बच्चों को अपने ही दायरे में कैद करता जा रहा है। अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे खुलकर खिलें तो उन्हें कोई कृत्रिम खुशी के बजाय अपना वक्त दें । मोबाइल को नियंत्रित करिए…और बच्चों को इससे आज़ाद ।
🚩आपको जानना चाहिए, दुनिया के जाने-माने वैज्ञानिक इस पर क्या कह रहे हैं ?
– बच्चों को मोबाइल देना एक ग्राम कोकेन देने के बराबर।- मैंडी सालगिरी, जानी-मानी एिडक्शन थैरेपिस्ट
🚩- जो छोटे बच्चे मोबाइल से खेलते हैं, वो देर से बोलना शुरू करते हैं। – टाइम मैगजीन में प्रकाशित रिपोर्ट
– लंबे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल ब्रेन ट्यूमर का खतरा। – एम्स की स्टडी
🚩- मोबाइल बच्चाें में ड्राई आइज की बड़ी वजह । -द.कोरियाई वैज्ञानिक
मोबाइल केवल बच्चों को ही नुकसान कर रहा है, ऐसी बात नहीं है वरन बड़ों को भी भयंकर हानि पहुँचा रहा है वे अभी आपको जानना चाहिए ।
🚩मोबाइल का ज्यादा उपयोग आपके सिर दर्द,थकान, बैचेनी, शारीरिक कमजोरी और नींद में अनियमितता का कारण बन जाता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है ।
मोबाइल फोन से निकलने वाले विकिरण आपकी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचाने में सक्षम है । इतना ही नहीं यह आपको कई तरह की बीमारियों को शिकार बना सकता है ।
🚩जानिए इसके अधिक प्रयोग से होते हैं, कौन-कौन से नुकसान –
1> मोबाइल फोन के रेडिएशन से उत्पन्न खतरों में सबसे बड़ा खतरा है कैंसर । अगर आप अपने मोबाइल फोन को पूरा दिन अपनी जेब में या शरीर से चिपकाकर रखते हैं तो संबंधित स्थान पर ट्यूमर होने की आशंका बढ़ जाती है और आप आसानी से कैंसर के शिकार हो सकते हैं ।
🚩2> रात के समय मोबाइल फोन को शरीर से सटाकर या सीने पर रखकर सोने की आदत है तो यह आदत आपके लिए बेहद खतरनाक ही नहीं जानलेवा भी हो सकती है । इसके अलावा इसके रेडिएशन का प्रभाव आपके मस्तिष्क पर भी नकारात्मक पड़ता है ।
🚩3> ज्यादातर पुरुषों में आदत होती है कि वे अपना मोबाइल फोन बेल्ट के पास बने पॉकेट में रखते हैं। पूरा दिन मोबाइल फोन को इस तरह से रखना आपके लिए बेहद हानिकारक है। मोबाइल फोन के इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों का प्रभाव आपकी हड्डियों पर भी पड़ता है और उनमें मौजूद मिनरल लिक्विड समाप्त हो सकता है।
🚩4> कमर के पास मोबाइल फोन को रखना और भी खतरनाक हो सकता है । दरअसल मोबाइल के रेडिएशन का नकारात्मक प्रभाव शुक्राणुओं में कमी के रूप में भी देखा जा सकता है ।
🚩5> वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के एक शोध के अनुसार मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल मस्तिष्क के कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है । इसके विकिरणों के प्रभाव के चलते ब्रेन में ट्यूमर हो सकता है ।
🚩6> मोबाइल फोन से निकलने वाले इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों से आपका डीएनए तक क्षतिग्रस्त हो सकता है । इसके अलावा इसका अधिक इस्तेमाल आपको मानसिक रोगी भी बना सकता है ।
🚩7> तनाव और डिप्रेशन के कारणों में एक प्रमुख कारण मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन के खतरनाक प्रभाव भी हैं। यह आपके दिमाग की कोशिकाओं को संकुचित करती हैं, जिससे ब्रेन में ऑक्सीजन की सही मात्रा नहीं पहुंच पाती ।
🚩8> गर्भवती महलाओं द्वारा मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल, गर्भस्थ शिशु को प्रभावित कर सकता है। इससे शिशु के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है जिससे उसका विकास प्रभावित होता है।
🚩9> मोबाइल फोन के हानिकारक विकिरण न केवल कैंसर जैसी बीमारी को जन्म देते हैं, बल्कि यह डाइबिटीज और हृदय रोगों की संभावनाओं को भी कई गुना बढ़ा देती हैं।
🚩10> मोबाइल फोन का जरूरी और सीमित इस्तेमाल ही इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों के दुष्प्रभाव को कम कर सकता है। इसके अलावा इसे अपने शरीर से सटाकर न रखते हुए, पर्स में या फिर अन्य स्थान पर रखना ज्यादा सहीं होगा ।
🚩असामयिक मौत का खतरा-
वैज्ञानिकों का मानना है कि जैसे ही आप फोन के बारे में सोचते हैं आपको तनाव महसूस होता है और फिर उसे कम करने के लिए अपना फोन चेक करते हैं । लेकिन, फोन चेक करने से तनाव और बढ़ जाता है ।कोई परेशान करने वाला मैसेज, कोई छूटा हुआ कार्य या कोई डराने वाली हेडलाइन पढ़ते ही कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर में तेजी से बढ़ोतरी होती है । धीरे-धीरे फोन की लत के कारण यह तनाव बढ़ता जाता है और हम असामयिक मृत्यु की ओर बढ़ जाते हैं ।
🚩कोर्टिसोल के स्तरपर कैसे पाएं काबू-
डॉक्टरों ने सलाह दी है कि फोन के कारण बढ़ते कोर्टिसोल के स्तर को कम करने के लिए कुछ आसान उपाय करने चाहिए । अपने फोन का नोटिफिकेशन बंद कर दें या अपने फोन को बदसूरत बनाकर रखें ताकि उसे देखने का मन न करे । अगर फोन की लत बेहद गंभीर है तो डिजिटल डिटॉक्स प्रोग्राम का सहारा लें । स्टैनफोर्ड की मनोरोग विशेषज्ञ केली मैकगोनिगल ने कहा कि फोन की लत से छुटकारा पाने को माइंडफुलनेस (ध्यान लगाना) का अभ्यास करें । सांसों पर ध्यान केंद्रित करें और महसूस करें कि आप सर्फिंग जैसा कोई मनोरंजक कार्य कर रहे हैं । अभ्यास से दिमाग पर नियंत्रण किया जा सकता है जिससे फोन देखने की इच्छा कम होती जाएगी ।
🚩मोबाइल के उपयोग से फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है, अतः मोबाइल का कम से कम उपयोग करें और बच्चों को भूलकर भी न दें ।
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