आप कल्पना भी नही सकते की लव जिहाद इतना खतरनाक भी हो सकता है…..

2 August 2022

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🚩जिहादी शमशाद ने फेसबुक पर अमित गुर्जर के नाम से फर्जी आईडी बनाकर किया प्रिया का जीवन बर्बाद।

🚩शमशाद ने अमित गुर्जर बनकर प्रिया से शादी की , फिर बहुत समय तक योन शोषण करके अपने ही घर में 8 फिट का गड्ढा खोदकर प्रिया को दफना दिया और उनकी लाश को गलाने के लिए उस पर 20 पैकेट नमक के डाले। कल्पना भी नही सकते की लव जिहाद इतना खतरनाक भी हो सकता है, हर लड़की को पढ़ना चाहिए।

🚩किसने सोचा था कि लव जिहाद का चेहरा इतना वीभत्स होगा ? किसने सोचा था कि शमशाद प्रेमी बनकर प्रिया का जीवन ठगेगा ? किसे मालूम था कि डैडी-डैडी कहने वाली 11 साल की मासूम पर भी शमशाद को दया नहीं आएगी ? किसको अंदाजा था कि एक दिन प्रिया और कशिश एक साथ लाश बन जाएँगी ? क्या उन्हें खुद मालूम था कि जिस इंसान के साथ वह रह रही हैं, वह एक दिन उन्हें उसी घर में 8 फ़ीट गढ्ढा खोद के दफनाएगा ? क्या उन्हें पता था कि उनकी लाश को गलाने के लिए उन पर 20 पैकेट नमक तक डाला जाएगा ?

🚩ये वो सवाल हैं, जो प्रिया और उनकी बेटी कशिश के साथ हुई बर्बरता देखकर अब कचोटने लगे हैं । दोनों माँ-बेटी के टुकड़े-टुकड़े निकले कंकाल की अब चहुँओर चर्चा है। हर कोई नए-नए कोण के साथ इस मामले को दिखा रहा है। हर दिन मामले में नए अपडेट आ रहे हैं। मगर, फिर भी कुछ ऐसी बाते हैं, जो अब भी मौन हैं।

🚩प्रिया और 11 साल की कशिश की कहानी चंचल की जुबानी पति राजीव से तो प्रिया पहले ही तलाक लेकर अलग हो गई थी और परिवार वाले भी उससे दूरी बना चुके थे। ऐसे में उसे अक्सर अपनी 2 साल की मासूम बेटी की चिंता सताती थी। लेकिन, वो अपने पाँव पर खड़ी एक ऐसी महिला थी, जिसने समाज की परवाह किए बिना अपनी व अपनी बेटी की जिम्मेदारी उठाई थी। राजीव से तलाक के बाद वो अकेले अपना जीवन जीने निकली थी। उसे क्या मालूम था कि शमशाद उसका जीवन तबाह करने के लिए फेसबुक पर अमित गुर्जर नाम से फर्जी आईडी बनाकर बैठा है।

🚩साल 2012-13 में उसकी मुलाकात फेसबुक पर शमशाद यानी अमित गुर्जर से हुई। दोनों में बातें शुरू हुईं। नजदीकियाँ बढ़ीं। एक दिन शमशाद ने प्रिया को मेरठ बुला लिया और फिर दोनों ने कथित तौर पर शादी कर ली। प्रिया यही समझती थी कि गुर्जरों के बीच रहने वाला उसका प्रेमी गुर्जर समुदाय का ही है। हालाँकि सच कुछ और था।

🚩आज प्रिया हम सबके बीच उस सच को बताने के लिए नहीं है। हमसे अपना दर्द साझा करने के लिए नहीं है। लेकिन उनकी कहानी बताने के लिए एक इंसान आज भी है, वो इंसान जिसने प्रिया और उसकी बिटिया का हर पल साथ दिया और उनके जाने के बाद भी उनको इंसाफ दिलाने के लिए दर-दर भटकी।

🚩प्रिया की उस आखिर हमदर्द का नाम चंचल चौधरी है। चंचल, प्रिया की वो सहेली थी, जिससे उसने आखिरी दम तक बातें साझा की। उसे शमशाद के हर रवैये की खबर थी। उसे इस बात का शक था कि उसकी सहेली जिस व्यक्ति के साथ है, वह कभी भी कुछ भी कर सकता है, लेकिन ये नहीं मालूम था , एक दिन मार ही डालेगा और कशिश को भी नहीं छोड़ेगा।। चंचल वही लड़की है, जिसने समाज की सैंकड़ों उलाहनाओं को झेलते हुए अपनी सहेली प्रिया को इंसाफ दिलाया। उसकी निर्मम हत्या करने वाले हत्यारे को गिफ्तार करवाया। किंतु, दुखद ये है कि सब सबूत होने के बावजूद उसके लिए ये संघर्ष आसान नहीं था।

🚩आप खुद सोचिए अचानक किसी एक घर में पुलिस लगातार आना-जाना शुरू कर दे। तो उस परिवार को समाज किस नजर से देखता है। फिर, चंचल तो एक 26 साल की लड़की है। उसने प्रिया के लिए आवाज तो उठा ली। मगर, उसके बदले में उसे अपने माता-पिता की चिंता, हर जगह से निराशा, प्रशासन की ढिलाई, बदसलूकियाँ… सब कुछ झेलना पड़ा।

🚩चंचल ने बताया कि साल 2012 में तलाक के बाद प्रिया उनके मोदीनगर वाले घर में किराएदार बनकर आई थी। लेकिन स्वभाव से वो इतनी अच्छी थी कि देखते ही देखते उनकी अच्छी दोस्त बन गई। रोजी-रोटी के लिए प्रिया पार्लर में काम किया करती थी। जब भी वह काम पर जाती तो 2 साल की बेटी कशिश उन लोगों के पास रहती। चंचल और उनका परिवार ही कशिश को संभालता। फिर, प्रिया आती तो कशिश अपनी माँ के पास जाती। सबको उस बच्ची से बहुत लगाव था। चंचल को थोड़ा ज्यादा था।

🚩चंचल के अनुसार, प्रिया अपनी बेटी से बहुत प्यार करती थी। उसे अक्सर उसके भविष्य को लेकर चिंता होती थी। ऐसे में साल 2012 में एक दिन शमशाद अमित गुर्जर नाम से आईडी बनाकर उसके साथ फेसबुक पर जुड़ गया और दोनों में बातें होनी शुरू हो गईं। शमशाद ने इस तरह का झूठ का जाल रचा कि प्रिया बस उसमें फँसती गई और सुनहरे भविष्य को लेकर आश्वस्त होती गई। शमशाद ने उसकी नौकरी छुड़वाई और कहा, “अपनी दुकान लेंगे, वहाँ तुम पार्लर खोल लेना।”

🚩चंचल कहती हैं कि प्रिया उनको हर बात बताती थी। तब भी जब शमशाद उनसे अमित बन कर मिला और तब भी जब उन्हें उसकी हकीकत मालूम चल गई। चंचल के मुताबिक, पहले कुछ समय सब ठीक था। वो उन्हें घुमाता फिराता था। उन्हें बाहर खाना खिलाने ले जाता था। लेकिन साल 2015 के आसपास शमशाद ने मंदिर में प्रिया से दिखावटी शादी कर ली और इसी झूठे रिश्ते के आधार पर वह अमित गुर्जर बनकर प्रिया के साथ रहने लगा।

🚩हालाँकि, शादी के बाद धीरे-धीरे वो ज्यादा दिन अपनी हकीकत छिपा न सका। समय के साथ सभी राज खुलने लगे। प्रिया को डेढ़ साल में मालूम चल गया कि अमित के भेष में उसके साथ कोई शमशाद है। उसने ये बात चंचल को बताई और हर रोज होने वाली लड़ाइयों के बारे में भी उसे सब बताया।

🚩ये वो वक्त था, जब धक्का चंचल को भी लगा। लेकिन दोनों सहेलियाँ आखिर क्या करतीं! चंचल ने अपने स्तर पर शमशाद को समझाना शुरू किया कि वो ये सब क्यों करता है। मगर, हर बार शमशाद ने रोकर-गिड़गिड़ाकर उनसे माफी माँग ली और अपने परिवार की बुराई करके प्रिया को ये कहकर अपने साथ कर लेता, “मैं तुम्हारे लिए आगे कुछ करना चाहता हूँ। मेरे परिवार ने मुझे सिर्फ़ लूटा है।”

🚩सच्चाई जानने के बाद भी शमशाद के साथ क्यों? राज खुलने के बाद क्या हुआ प्रिया के साथ? दरअसल, प्रिया के सच्चाई जानने के बाद भी उसके शमशाद के साथ रहने की वजह ये थी कि उसे समाज का डर था। उसे भय था कि एक तलाक के बाद अगर वो इस तरह फिर किसी पुरुष से अलग हुई तो लोग उसे क्या समझेंगे? इसका उसकी बेटी पर क्या असर पड़ेगा? लोग आगे उसे क्या-क्या बोलेंगे? उसे कौन स्वीकारेगा? चंचल के अनुसार, शादी के बाद शमशाद उन्हें कई जगह पर लेकर किराए पर रहा। लोगों ने प्रिया को समझाया कि ऐसे लोग किसी के नहीं होते। लेकिन, तब भी, प्रिया ये सोचती रही कि चलो शमशाद के रूप में उसकी बच्ची को पिता का नाम ही मिल जाएगा।

🚩इन सब जद्दोजहद के बीच काशीराम में प्रिया ने सस्ते दामों पर अपना घर भी खरीदा। वहाँ भी दोनों साथ थे। हालाँकि काशीराम में रहने तक शमशाद ने पूरी तरह से अपना असली चेहरा नहीं दिखाया था। लेकिन कट्टरपंथ उसके रवैये में नजर आने लगा था। उसने प्रिया का काम छुड़वाया और उससे ये कहता,”जो लड़कियाँ बाहर काम करने जाती हैं, वो धंधा करती हैं। हमारे में लड़कियाँ सिर्फ़ घरों में रहती हैं।” कशिश के कपड़ों और पढ़ाई पर भी वह उस पर सवाल उठाने लगा। वह प्रिया से कहता, “तुम इसे क्या पहनाती हो। इसे ढंग के कपड़े पहनाओ और इसे उर्दू पढ़ाओ।”

🚩चंचल की मानें तो प्रिया ने उसे कई बार बताया था कि शमशाद दोनों माँ-बेटी पर धर्म-परिवर्तन का दबाव बनाता था। उन्हें जमात में जाने को बोलता था। लेकिन प्रिया हर बार ये कहकर टाल देती, “कशिश का नाम तो मुस्लिमों वाला ही है। इसे बदलने की क्या जरूरत और मुझे तुम घर में प्यार से कुछ भी बुला लो।”

🚩शायद ये वाक्य बोलते हुए प्रिया को लगता होगा कि ऐसा कहकर वो उससे अपनी पहचान, अपना धर्म, अपना नाम बचा लेगी। लेकिन नहीं! जिस शमशाद ने उससे धोखा देकर शादी की और अपने बारे में सारी हकीकत छिपाई, उसकी ये बातें बर्दाश्त कर जाना ही शायद प्रिया की सबसे बड़ी भूल थी।

🚩प्रिया जब तक काशीराम में रही, उसने वहाँ मंदिर स्थापित करके पूजा-पाठ किया। अपनी बेटी को शिक्षा के लिए मनमुताबिक स्कूल भेजा। लेकिन जैसे ही मेरठ के भूड़ भराल में शमशाद ने अपना घर लिया, प्रिया की जिंदगी बदल गई। बस, यहाँ भी जो नहीं बदला वो चंचल का साथ था। चंचल हर कदम पर प्रिया के साथ थी।

🚩चंचल कहती हैं कि इन लोगों ने इतना बड़ा घर लिया। लेकिन शमशाद ने उस घर में मंदिर को रखने की जगह नहीं दी। प्रिया पूजा-पाठ करती थी। धूप जलाती थी और जब भी उसका धुआँ शमशाद की आँखों में जाता तो वो प्रिया की पूजा पाठ पर बहुत झल्लाता। पर प्रिया को साईं बाबा पर अटूट विश्वास था, उसे अपने धर्म और भगवान से बहुत लगाव था। वो मार भी खाई होगी पर उसने अपना धर्म नहीं छोड़ा। जब वो काशीराम छोड़ने लगी तो उसने बेहद दुखी होकर कहा, “चंचल तू मेरे मंदिर को अपने घर ले जा, मैं इनका अनादर नहीं होने देना चाहती। ये हमारे भगवान का अपमान करेगा। मैं बर्दाश्त नहीं करूँगी। हमारी लड़ाई होगी।

🚩चंचल बताती हैं, “मैं लॉकडाउन के कारण वो मंदिर मैं अपने घर नहीं ला पाई लेकिन वो आज भी काशीराम वाले घर में है। इस शमशाद ने जगह तक नहीं दी थी भगवान को रखने की।” चंचल के अनुसार, शमशाद घर में कई गैर पुरुषों को लाता था, जिस पर प्रिया आपत्ति जताती थी और वह उस पर भी लड़ाई शुरू कर देता था।

🚩प्रिया को अपने आखिरी दिनों में शमशाद पर कुछ तो शक रहा होगा। जो उससे जुड़े हर डॉक्यूमेंट मिलते ही वो तुरंत चंचल को फॉरवर्ड कर देती थी और शमशाद से लड़ाई के बाद कहती थी, “मुझे कुछ हुआ तो मेरी बेटी का ख्याल ये चंचल रख लेगी। लेकिन ये तुझे नहीं छोड़ेगी।

🚩आज चंचल अपनी सहेली की इन्हीं बातों को याद करते हुए भावुक होती हैं। वे चाहकर भी नहीं भुला पातीं उन पलों को, जिन्हें दो सहेलियों ने एक साथ गुजारे। वो शमशाद और प्रिया के डेढ़ साल पुराने झगड़े का जिक्र करते हुए कहती हैं, “…तब बात बहुत बिगड़ गई थी। हमने शिकायत भी करवाई थी। थाने भी गए थे। लेकिन तब वह सबको मनाकर ले आया। अब उस समय गलती मेरी थी या उसकी? पता नहीं। पर, अगर पहले संभल जाते तो आज वो हमारे बीच होती।

🚩चंचल मानती हैं कि अगर ऐसे समय में प्रिया के घरवाले उसके साथ होते तो भी ये सब कभी नहीं होता। क्योंकि कई मौके ऐसे भी आते थे कि प्रिया अपनी हर रोज की लड़ाई चंचल से साझा नहीं करती थी। उसे लगता था कि जो उसके जीवन की रोज की कहानी हो गई है, उससे अपनी दोस्त को क्यों परेशान करे। मगर, उसकी चुप्पी के बावजूद चंचल कई बातें समझ जाती थीं।

🚩15 अप्रैल को चंचल पहुँची परतारपुर थाने

🚩लंबे समय से प्रिया का कुछ पता न लगने के कारण चंचल बेचैन थी। आखिरकार 15 अप्रैल को उसने परतापुर थाने में शिकायत करवाई। लेकिन थाने से उसे निराशा हाथ लगी। वहाँ से आरोपित को क्लीन चिट मिल गई। उसने कह दिया कि प्रिया कहीं चली गई है। बाद में ज्यादा आवाज उठाने पर पुलिस वाले चंचल के घर पर पूछताछ करने आने लगे और उसके परिवार पर मानसिक रूप से दबाव बनाने लगे। आस-पड़ोस के लोगों ने भी सवाल खड़ा करना शुरू किया कि आखिर पुलिस क्यों आती है, जिससे चंचल को काफी सवालों के जवाब देने पड़े। चंचल ने फिर भी हार नहीं मानी और वो मामले में एक्शन के लिए थानों के चक्कर काटती रही।

🚩इन्हीं सबके बीच एक दिन उसने थाने में खड़ी प्रिया की स्कूटी भी देखी। उसने पुलिस को बड़ी हैरानी से बताया, “ये तो प्रिया की ही स्कूटी है, जिसकी मैं शिकायत कराने आई थी।” लेकिन, बावजूद इस प्रमाण के बाद इस मामले कोई कार्रवाई नहीं शुरू हुई। बल्कि पुलिस ये पूछने लगी कि अगर पड़ताल शुरू हुई तो उसे उनके साथ बिहार भी चलना पड़ेगा। क्या वो जाएगी? जिस पर चंचल ने कहा कि वो हर तरह से सहयोग करने के लिए तैयार है। अगर बिहार जाना हुआ तो वो जरूर जाएगी।

🚩प्रिया को इंसाफ दिलाने के लिए चंचल की सक्रियता को देख कहीं न कहीं शमशाद डर गया था। उसने चंचल को बदनाम करने की कोशिश की। उसने उस पर ये इल्जाम भी उ दिया कि वो जो धंधा करती है, उसकी हकीकत वो सबको बताएगा। लेकिन यहाँ भी चंचल इन सब चीजों से डरी नहीं।

🚩हर बेबुनियाद इल्जाम को उसने प्रिया के लिए सह लिया। उसने हर तरह की मानसिक प्रताड़ना से गुजरते हुए कई हिंदूवादी संगठनों से भी मदद माँगी। कुछ ने उसे मदद के लिए हर मुमकिन तरह का आश्वाशन दिया। कुछ उसे अपने साथ थाने तक ले गए। लेकिन अफसोस! हर जगह से हताशा और ढिलाई बदले में पाकर वो टूटती गई।

🚩आखिरकार, 2 जुलाई को कई दबावों के बाद उससे एक समझौते पत्र पर दस्तख्त करवाए गए कि मानसिक रूप से परेशान होने के कारण वो अब इस मामले में कार्रवाई नहीं चाहती। इस घटना के बाद प्रिया की सहेली के भीतर से उम्मीद खत्म हो गई थी। वह बस प्रार्थनाओं में प्रिया के लिए इंसाफ की चाह रखने लगी थी।

🚩फिर 12 जुलाई के दिन उनकी बात मनीष लोइया से हुई और उनके मन में इंसाफ की आस दोबारा जगी। फिर आगे जो भी हुआ, वो आज सबके सामने है। आज सारा सच सामने आने के बाद, अपनी सहेली के साथ हुई बर्बरता देखते हुए चंचल रातों में यही सोचती हैं कि आखिर जिसे प्रिया ने इतना प्यार दिया, अपना सब कुछ सौंप दिया, उसके साथ 5-6 साल रही, उसे अपने हाथों से खाना खिलाया, क्या उसके हाथ भी नहीं काँपे? वे सोचती हैं कि शायद उसने आखिरी टाइम उन्हें ही याद किया होगा और बस अपने आखिरी वक्त में अपनी बेटी की ओर देखा होगा।

🚩हमसे बात करते हुए बहुत भावुक होकर चंचल ने मनीष को अपना आभार दिया और कहा कि आज ये सब उनकी वजह से मुमकिन हो पाया।

🚩मनीष लोइया ने अपने अनुभवों के आधार पर इस मामले में प्रशासन से संपर्क किया और 14 जुलाई को मामला फिर दर्ज हुआ। एसएसपी ने बताया कि अब ये मामला सीओ भूपेंद्र देखेंगे और वही लीड रोल में होंगे।

🚩इसके बाद मनीष लगातार सीओ से संपर्क में रहे। उन्होंने हर चीज सर्विलांस पर लगाने की अपील की। साथ ही ये पता लगाने को कहा कि प्रिया का फोन कहाँ खुला था और कहाँ आखिरी बार बंद हुआ। लगातार संगठनों का दबाव देखते हुए प्रशासन को सख्त होना पड़ा। नतीजतन पुलिस ने कुछ दिन बाद शमशाद को पकड़ा पर पूछताछ करके उसे छोड़ दिया गया।

🚩जब हिन्दू संगठन ने दोबारा पुलिस से अपडेट माँगा तो बताया गया कि आगे चंचल के बयान पर कार्रवाई होगी। मनीष ने सब सबूतों के साथ चंचल को तैयार किया और उसे लेकर गए। जब ऐसा लगने लगा कि किसी भी रूप में ये केस अब दबाया नहीं जा सकेगा, तब अधिकारियों ने शमशाद को बुलाकर सख्ती से पूछताछ की। इस बार उसने अपनी सारी सच्चाई उगल दी।

🚩मनीष से जब इस संबंध में पूछा गया कि साक्ष्यों के आधार पर उनका इस मामले पर क्या कहना है, तो वे कहते हैं कि रिकॉर्डिंग आदि सुनकर ऐसा साफ लग रहा था कि वो मस्जिद जाने, नमाज पढ़ने, कुरान पढ़ने और इस्लामिक रीति रिवाज से ही रहने का दवाब बनाया हो।

🚩मनीष कहते हैं कि उन्होंने ये भी सुना है कि शमशाद को जब शारीरिक हवस मिटानी होती थी, तभी वो नजदीक आता था। बाकी वो हमेशा ऐसी बातों पर लड़ता था। वह कहते हैं कि एक लड़की जिसने अपनी स्वतंत्रता के नाम पर अपने पति को तलाक दे दिया, उसे शमशाद ने अपने जाल में फँसाया। खुद को गुर्जर समुदाय का बताकर उससे शादी की। उसके साथ मंदिर गया। उससे करवा चौथ का व्रत रखवाया। लेकिन जब हकीकत खुली तो कहने लगा कि अब मुस्लिम रीति रिवाज से रहना होगा। वे कहते हैं कि उस दरिंदे में कोई दया नहीं थी। डैडी बोलने वाली मासूम को उसने मार डाला। मुमकिन है कि उसके साथ भी इसने जरूर कुछ किया हो।

🚩माँ-बेटी हत्याकांड मामले में अब तक का अपडेट

🚩शमशाद की गिरफ्तारी और जाँच में सामने आए तथ्य: इस मामले में अभी तक पुलिस ने शमशाद को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस को उसके साले और उसकी बीवी समेत अन्य लोगों की तलाश है। आरोप है कि शमशाद ने जब घटना को अंजाम दिया तो 28 मार्च को उसका साला साथ में था। उसके साथ ही मिलकर शमशाद ने बच्ची और उसकी माँ की हत्या की। इसके बाद 29 मार्च की सुबह शमशाद ने ड्राइंगरूम में करीब 8 फीट गहरा गड्ढा खोदा और दोनों लाशों को उसमें डाल दिया। दोनों लाशों पर ऊपर से दुकान से लाए 20 नमक के पैकेट भी खोलकर डाल दिए। जिससे लाश गल जाए। ऊपर से फर्श पर प्लास्टर कर दिया जिससे किसी को शक न हो।

🚩क्या हुआ उस रात: कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि अपने आखिरी समय में प्रिया ने खुद को बचाने की बहुत कोशिश की। उसने ना सिर्फ शमशाद को नाखूनों से नोचा था बल्कि लड़ने के लिए किचन से चाकू का इस्तेमाल भी किया। इस बीच चाकू से शमशाद की कलाई कट गई और उसने गुस्से में आकर प्रिया का गला दबा दिया, जिससे वह मौके पर ही मर गई। इसके बाद शमशाद ने बेडरूम में मासूम बच्ची कशिश की भी तकिया से गला दबाकर हत्या कर दी। वारदात 28 मार्च की रात करीब 12 बजे हुई।

🚩कैसे स्वीकारा शमशाद ने अपना गुनाह: जब पुलिस की पड़ताल शुरू हुई तो पूछताछ में पहले तो शमशाद ने अपना मुँह नहीं खोला लेकिन बीते मंगलवार देर रात शमशाद ने इंस्पेक्टर से पूछा कि उसे कब तक थाने में रहना होगा। जिस पर इंस्पेक्टर ने जवाब दिया कि माँ बेटी की बरामदगी के बाद ही तू थाने से जाएगा। तब शमशाद ने पुलिस को बताया कि उसने माँ बेटी की हत्या कर दी है और दोनों के शव मकान के बेडरूम में ही गड्ढा खोदकर दबाए हैं।

🚩शुरुआत में तो पुलिस को यकीन नहीं हुआ। लेकिन बार-बार बताने पर अगली सुबह करीब चार बजे पुलिस शमशाद के घर पहुँची। जहाँ गड्ढा खोदकर कंकाल टुकड़ों में बरामद हुए। पुलिस की इस कार्रवाई की एक वीडियो भी सामने आई है। जिसमें पुलिस जगह को खोदकर उनके कंकाल निकाल रही है।

🚩फरार होने के बाद हुई कैसे गिरफ्तारी: रिपोर्ट्स बताती हैं कि आरोपित शमशाद बुधवाार को पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था। पर बृहस्पतिवार को पुलिस ने मुठभेड़ के बाद आरोपी शमशाद को गिरफ्तार कर लिया गया। शमशाद के दोनों पैरों में गोली लगी। पुलिस ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ उसका उपचार हुआ।।

🚩किस बात पर बढ़ा था विवाद: अब, धीरे-धीरे इस मामले में कई नए कोण निकल कर आए हैं। जैसे शमशाद पहले से शादीशुदा था। उसकी पत्नी का नाम अफ्साना और तीन बच्चे थे, जो काफी समय से उसके बिहार न लौटने के कारण अभी कुछ समय पहले मेरठ आए थे और शमशाद की भूड़ भराल वाली जमीन पर अपना हक चाहते थे। जबकि प्रिया वो जमीन अपने सुरक्षित भविष्य के लिए अपने नाम करवाना चाहती थी।

🚩इसी बात पर उनकी कहा सुनी होती थी और उस रात भी यही कारण था। इस जमीन की रजिस्ट्री पर 3 लाख रुपए के लेन-देन पर विवाद हुआ और रात के 10 बजे दोनों में लड़ाई बढ़ गई। इसके बाद सब्जी काटती प्रिया के साथ शमशाद ने छीनाझपटी की और हाथ कटने के बाद उसका गल घोंट दिया। जब वो मर गई तो उसे कई जगह उसने चाकू भी मारे। बाद में शव को बाथरूम में रखा। फिर डॉक्टर के यहाँ से अपने कटे हाथ पर टाँके लगवा कर आया।

🚩सभी हिन्दू लड़कियां , इन जिहादियों से बचकर रहें, वरना ये जिहादी हिन्दू लड़कियों के जीवन को नरक जीवन बना देते है।

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