01 फरवरी 2022
azaadbharat.org
🚩प्रत्येक मनुष्य के जीवन में इन तीन बातों की अत्यधिक आवश्यकता होती है– स्वस्थ जीवन, सुखी जीवन तथा सम्मानित जीवन। सुख का आधार स्वास्थ्य है तथा सुखी जीवन ही सम्मान के योग्य है।
उत्तम स्वास्थ्य का आधार है- यथा योग्य आहार-विहार एवं विवेकपूर्ण व्यवस्थित जीवन। बाह्य चकाचौंध की ओर अधिक आकर्षित होकर हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं इसलिए हमारा शरीर रोगों का घर बनता जा रहा है।
🚩’चरक संहिता’ में कहा गया हैः
आहाराचारचेष्टासु सुखार्थी प्रेत्य चेह च।
परं प्रयत्नमातिष्ठेद् बुद्धिमान हित सेवने।।
‘इस संसार में सुखी जीवन की इच्छा रखने वाले बुद्धिमान व्यक्ति आहार-विहार, आचार और चेष्टाएँ हितकारक रखने का प्रयत्न करें।’
उचित आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य – ये तीनों वात, पित्त और कफ को समान रखते हुए शरीर को स्वस्थ व निरोग बनाये रखते हैं, इसीलिए इन तीनों को उपस्तम्भ माना गया है। अतः आरोग्य के लिए इन तीनों का पालन अनिवार्य है।
🚩126 साल की उम्र में रहते हैं फिट
शिवानंद बाबा को पद्मश्री सम्मान मिला; वाराणसी के कबीरनगर इलाके के रहने वाले बाबा शिवानंद की उम्र 126 साल है और वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं। शिवानंद बाबा ने बताया कि वो फल और दूध नहीं बल्कि सिर्फ उबला हुआ खाना खाते हैं, सुबह तीन बजे उठ बिस्तर छोड़ देते हैं और योग करने में जुट जाते हैं। उसके बाद पूजा पाठ से अपने दिन की शुरुआत करते हैं।
वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं। आधार कार्ड और पासपोर्ट पर उनकी जन्मतिथि 8 अगस्त 1896 दर्ज है, इस लिहाज से वो दुनिया के सबसे बुजुर्ग इंसान हैं।
🚩शिवानंद बाबा संतुलित भोजन करते हैं
शिवानंद बाबा का कहना है कि जीवन में सामान्य तरीके से जीना चाहिए। शुद्ध और शाकाहारी भोजन करने की वजह से वो पूरी तरह से स्वस्थ और निरोग हैं। वहीं बाबा के वैद्य डॉक्टर एसके अग्रवाल ने बताया कि बाबा सात्विक भोजन करते हैं और पूरी तरह से डिसिप्लिन के साथ जिंदगी जीते हैं। उनके जीवन में योग का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। बाबा खाने में सिर्फ सेंधा नमक का प्रयोग करते हैं।
जो लोग मांसाहार, फास्टफूड और नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, योगा नहीं करते हैं उनको इन बाबा से प्रेरणा लेनी चाहिए।
🚩सात्विक आहार लेना चाहिए, योग-प्राणायाम करना चाहिए, भगवान की पूजा करनी चाहिए; इससे स्वस्थ, सुखी और लंबी आयु तक जीवन जी सकते हैं।
🚩यह एक सुखद बात है कि आज समग्र विश्व में भारतीय आयुर्वेद के प्रति श्रद्धा, निष्ठा व जिज्ञासा बढ़ रही है क्योंकि श्रेष्ठ जीवन-पद्धति का जो ज्ञान आयुर्वेद ने इस विश्व को दिया है, वह अद्वितीय है। अन्य चिकित्सा पद्धतियाँ केवल रोग तक ही सीमित हैं लेकिन आयुर्वेद ने जीवन के सभी पहलुओं को छुआ है। धर्म, आत्मा, मन, शरीर, कर्म इत्यादि सभी विषय आयुर्वेद के क्षेत्रान्तर्गत आते हैं।
आयुर्वेद में निर्दिष्ट सिद्धान्तों का पालन करके हम रोगों से बच सकते हैं।
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