संता क्‍लॉज कौन हैं ? 25 दिसंबर तुलसी पूजन से क्या फायदा होगा ?

17  December 2023

 

कुछ भारतीय अपने बच्चों को विवेकानंदजी, वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, चन्द्र शेखर आज़ाद के वस्त्र नही पहनाते लेकिन क्रिसमस पर ‘सांता क्लॉज’ के वस्त्र पहनाकर उसे जोकर बना देते है। ऐसा करके हम अपनी सनातन संस्कृति का अपमान कर रहे हैं साथ-साथ अपने बच्चे को मानसिक गुलाम भी बना रहे हैं।

 

सबसे हम आपको बता देते कि ये संता क्लॉज कौन था,आइये आज आपको इन खास तथ्यों से आपको अवगत कराते हैं:-

संता क्‍लॉज का क्रिसमस से रिश्ता

 

जिंगल बेल के गाने को ईसाई धर्म में क्रिसमस से जोड़ दिया गया है, लेकिन यह सच नहीं है। दरअसल यह क्रिसमस सॉन्ग है ही नहीं। यह थैंक्सगिविंग सॉग्न है जिसे 1850 में जेम्स पियरपॉन्ट ने वन हॉर्स ओपन स्लेई शीर्षक से लिखा था। वे जार्जिया के सवाना में म्यूजिक डायरेक्टर थे। पियरपॉन्ट की मौत से 3 साल पहे यानी 1890 तक यह क्रिसमस का हिट गीत बन गया था।

 

संता क्‍लॉज का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं

 

सैंटा क्लॉज चौथी शताब्दी में मायरा के निकट एक शहर (जो अब तुर्की के नाम से जाना जाता है) में जन्मे बिशप संत निकोलस का ही रूप है। बिशप निकोलस के पिता एक बहुत बड़े व्यापारी थे।

 

संत निकोलस की याद में कुछ जगहों पर हर साल 6 दिसंबर को ‘संत निकोलस दिवस’ भी मनाया जाता है। हालांकि एक धारणा यह भी है कि संत निकोलस की लोकप्रियता से नाराज लोगों ने 6 दिसम्बर के दिन ही उनकी हत्या करवा दी। इन बातों के बाद भी बच्चे 25 दिसंबर को ही सैंटा का इंतजार करते हैं। ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप संत निकोलस के नाम पर सांता क्‍लॉज का चलन करीब चौथी सदी में शुरू हुआ था।

 

आपको बता दे कि कुछ लोग समझते है कि क्रिसमिस पर ईसा मसीह के जन्मदिन था पर उस दिन उनका जन्मदिन नही हुआ है। वास्तव में 25 दिसंबर को पहले यूरोप में सूर्यपूजा होती थी,इसलिए सूर्य पूजा खत्म करने एवं ईसायत को बढ़ाने के लिए रोमन सम्राट ने ई.स 336 में 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया और पोप जुलियस 25 दिसम्बर को यीशु का जन्मदिन मनाने लगे। जबकि इस दिन ईसा मसीह के जन्म से कोई लेना देना अब न यीशु का क्रिसमस से कोई लेना देना है और न ही संता क्‍लॉज से । फिर भी भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का क्रिसमस मनाते हैं ये सब भारतीय संस्कृति को खत्म करके ईसाईकरण करने के लिए भारत में क्रिसमस डे मनाया जाता है। इसलिये आप सावधान रहें ।

 

क्रिसमस पर लोग जमकर शराब पीते है, नशीले प्रदार्थ का सेवन करते है, पार्टियां करते है इन दिनों में विदेशी कम्पनियों को अरबो रूपये का मुनाफा होता है। आप भी अपनी संपत्ति, स्वास्थ्य और संस्कृति को बचाना चाहते है तो ऐसे क्रिसमस जैसे त्यौहार का बहिष्कार कर सकते है।

 

आप अपने बच्चों को धर्मप्रेमी व देशभक्तों के वस्त्र पहनाएं और उसदिन प्लाटिक के पेड़ नही लगाए, क्योंकि वह बीमारियां फैलता है,इसलिए उस दिन 24 घण्टे ऑक्सीजन देनेवाली तुलसी माता का पुजन करें।

 

आपको बता दे कि वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य एवं शांति से जन मानस का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिदू संत आसाराम बापू ने 25 दिसम्बर “तुलसी पूजन दिवस” के रूप में शुरू करवाया।

 

तुलसी माता के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व् आरोग्य बल बढ़ता है, मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है ।

 

आप भी 25 दिसम्बर को प्लास्टिक के पेड़ पर बल्ब जलाने की बजाय 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली माता तुलसी का पूजन करें ।

 

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