इटली में इंग्लिश बोलने पर लगेगा 89 लाख तक का जुर्माना, भारत में इंग्लिश पर कब लगेगा बेन ?

6  Apirl 2023

 

🚩भारतीयों को आजादी मिले 75 साल हो गए लेकिन आभितक मानसिक गुलामी नही गई है। जापानी जब अमेरिका में जाते हैं तो वहाँ भी अपनी मातृभाषा में ही बातें करते हैं और भारतवासी! भारत में रहते हैं फिर भी अपनी हिन्दी, गुजराती, मराठी आदि राष्ट्र व मातृ भाषाओं में अंग्रेजी के शब्द बोलने लगते हैं ।

 

🚩राष्ट्रभाषा राष्ट्र का गौरव है। इसे अपनाना और इसकी अभिवृद्धि करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है । यह राष्ट्र की एकता और अखंडता की नींव है। इटली की सरकार की साहस सरहानीय है जो अपनी राष्ट्रीय भाषा को बढ़ावा देने के लिए विदेशी भाषा को बेन करने जा रही हैं।

🚩इटली में English पर बैन को लेकर कानून पेश

 

🚩प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की पार्टी द्वारा पेश किए गए इस बिल पर संसद में बहस होनी है, अगर यह वहां से पारित हो जाता है तो इटली में अंग्रेजी सहित अन्य विदेशी भाषाओं के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लग जाएगा।

 

🚩इटली की सरकार ने विदेशी भाषा को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। इसके लिए उसने देश में एक अलग कानून पेश किया है. इसके तहत इटली के लोग अपने देश में इंग्लिश व किसी अन्य भाषा का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. ऐसा करने पर उन्हें भारी जुर्माना लगेगा. बता दें कि इस कानून को प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी ने पेश किया है।

 

 

🚩सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कोई भी इतालवी नागरिक अपने ऑफिशियल कम्युनिकेशन के दौरान अंग्रेजी या किसी अन्य विदेशी भाषा का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी द्वारा पेश किए गए नए कानून के तहत 100,000 यूरो (89,33,458 लाख रुपये) का जुर्माना देना होगा.

 

🚩बैन के पीछे दिया गया ये तर्क

इस कानून को इटालियन चैंबर ऑफ डेप्युटीज (लोअर हाउस) में फैबियो रामपेली ने कानून पेश किया था. प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने इसका समर्थन किया था. कानून पेश करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी विदेश भाषा खासकर ‘एंग्लोमेनिया’ या अंग्रेजी शब्दों के इस्तेमाल पर आधारित है, जो इटालियन भाषा को अपमानित महसूस कराता है. उन्होंने कहा कि यह और भी बुरा है क्योंकि ब्रिटेन अब यूरोपीय यूनियन का हिस्सा नहीं है।

 

🚩संसद में बिल पर बहस होना बाकी

 

🚩हालांकि, इस बिल को लेकर अभी इटली की संसद में बहस होगी। समर्थन मिलने के बाद इसके बाद इसको पारित किया जाएगा. इस बिल में ऑफिशियल डॉक्यूमेंट अंग्रेजी के इस्तेमाल पर बैन लगाने की बात की गई है. कानून के मसौदे के मुताबिक, विदेशी संस्थाओं के पास सभी आंतरिक नियमों और रोजगार अनुबंधों के इतालवी भाषा संस्करण होने चाहिए।

 

🚩इटली सरकार से भारत की सरकार को सिख लेनी चाहिए और भारत में भी विदेशी भाषा पर बेन लगा देना चाहिए।

 

🚩लोकमान्य तिलकजी ने हिन्दी भाषा को खूब प्रोत्साहित किया ।

वे कहते थे : ‘‘अंग्रेजी शिक्षा देने के लिए बच्चों को सात-आठ वर्ष तक अंग्रेजी पढ़नी पड़ती है । जीवन के ये आठ वर्ष कम नहीं होते । ऐसी स्थिति विश्व के किसी और देश में नहीं है । ऐसी शिक्षा-प्रणाली किसी भी सभ्य देश में नहीं पायी जाती ।’’

 

🚩जिस प्रकार बूँद-बूँद से घड़ा भरता है, उसी प्रकार समाज में कोई भी बड़ा परिवर्तन लाना हो तो किसी-न-किसीको तो पहला कदम उठाना ही पड़ता है और फिर धीरे-धीरे एक कारवा बन जाता है व उसके पीछे-पीछे पूरा समाज चल पड़ता है ।

 

🚩हमें भी अपनी राष्ट्रभाषा को उसका खोया हुआ सम्मान और गौरव दिलाने के लिए व्यक्तिगत स्तर से पहल चालू करनी चाहिए ।

 

🚩एक-एक मति के मेल से ही बहुमति और फिर सर्वजनमति बनती है । हमें अपने दैनिक जीवन में से अंग्रेजी को तिलांजलि देकर विशुद्ध रूप से मातृभाषा अथवा हिन्दी का प्रयोग करना चाहिए ।

 

🚩राष्ट्रीय अभियानों, राष्ट्रीय नीतियों व अंतराष्ट्रीय आदान-प्रदान हेतु अंग्रेजी नहीं राष्ट्रभाषा हिन्दी ही साधन बननी चाहिए ।

 

🚩जब कमाल पाशा अरब देश में तुर्की भाषा को लागू करने के लिए अधिकारियों की कुछ दिन की मोहलत ठुकराकर रातोंरात परिवर्तन कर सकते हैं तो हमारे लिए क्या यह असम्भव है  ?

 

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