अटल बिहारी वाजपेयी जी ने आशाराम बापू के बारे में क्या कहा था ?

26 December 2023

 

देश-विदेश के आम जनता के साथ साथ कई बड़ी बड़ी हस्तियां भी आशाराम बापू के प्रवचन में जाति थी, आशाराम बापू के प्रवचनों में इतनी भीड़ होने का कारण यह था की उनके हृदय में मानवमात्र के लिये करूणा, दया व प्रेम भरा रहता है । जब भी कोई दिन-हीन उनको अपने दुःख-दर्द की करूणा-गाथा सुनाता है, वे तत्क्षण ही उसका समाधान बता देते हैं ।

भारतीय संस्कृति के उच्चादर्शों का स्थायित्व समाज में सदैव बन ही रहे, इस हेतु बापू सतत क्रियाशील बने रहते हैं । भारत के प्रांत-प्रांत और गाँव-गाँव में भारतीय संस्कृति का अनमोल खजाना बाँटने के लिये वे सदैव घूमा ही करते हैं । समाज के दिशाहीन युवाओं को, पथभृष्ट विद्यार्थियों को एवं लक्ष्यविहीन मानव समुदाय को सन्मार्ग पर प्रेरित करने के लिए अनेक कष्टों व विध्नों का सामना करते हुए भी बापू आशारामजी सतत प्रयत्नशील रहते हैं । वे चाहते है कि कैसे भी करके, मेरे देश के लोग सत्यमार्ग का अनुसरण करते हुए अपनी सुषुप्त शक्तियों को जागृत कर महानता के सर्वोत्कृष्ट शिखर पर आसीन हो जाय और भारत फिर से विश्व गुरु पद पर आसीन हो जाए।

 

आपको बता दे की तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने  संत आशाराम बापू के प्रवचन में जाकर बताया था कि “पूज्य बापूजी के भक्तिरस में डूबे हुए श्रोता भाई-बहनों! मैं यहाँ पर पूज्य बापूजी का अभिनंदन करने आया हूँ…. उनका आशीर्वचन सुनने आया हूँ…. भाषण देने य बकबक करने नहीं आया हूँ। बकबक तो हम करते रहते हैं। बापू जी का जैसा प्रवचन है, कथा-अमृत है, उस तक पहुँचने के लिए बड़ा परिश्रम करना पड़ता है। मैंने पहले उनके दर्शन पानीपत में किये थे। वहाँ पर रात को पानीपत में पुण्य प्रवचन समाप्त होते ही बापूजी कुटीर में जा रहे थे.. तब उन्होंने मुझे बुलाया। मैं भी उनके दर्शन और आशीर्वाद के लिए लालायित था। संत-महात्माओँ के दर्शन तभी होते हैं, उनका सान्निध्य तभी मिलता है जब कोई पुण्य जागृत होता है।

 

इस जन्म में मैंने कोई पुण्य किया हो इसका मेरे पास कोई हिसाब तो नहीं है किंतु जरुर यह पूर्व जन्म के पुण्यों का फल है जो बापू जी के दर्शन हुए। उस दिन बापूजी ने जो कहा, वह अभी तक मेरे हृदय-पटल पर अंकित हैं। देशभर की परिक्रमा करते हुए जन-जन के मन में अच्छे संस्कार जगाना, यह एक ऐसा परम राष्ट्रीय कर्तव्य है, जिसने हमारे देश को आज तक जीवित रखा है और इसके बल पर हम उज्जवल भविष्य का सपना देख रहे हैं… उस सपने को साकार करने की शक्ति-भक्ति एकत्र कर रहे हैं।

 

पूज्य बापूजी सारे देश में भ्रमण करके जागरण का शंखनाद कर रहे हैं, सर्वधर्म-समभाव की शिक्षा दे रहे हैं, संस्कार दे रहे हैं तथा अच्छे और बुरे में भेद करना सिखा रहे हैं।

 

हमारी जो प्राचीन धरोहर थी और हम जिसे लगभग भूलने का पाप कर बैठे थे, बापू जी हमारी आँखों में ज्ञान का अंजन लगाकर उसको फिर से हमारे सामने रख रहे हैं। बापूजी ने कहा कि ईश्वर की कृपा से कण-कण में व्याप्त एक महान शक्ति के प्रभाव से जो कुछ घटित होता है, उसकी छानबीन और उस पर अनुसंधान करना चाहिए।

 

पूज्य बापूजी ने कहा कि जीवन के व्यापार में से थोड़ा समय निकाल कर सत्संग में आना चाहिए। पूज्य बापूजी उज्जैन में थे तब मेरी जाने की बहुत इच्छा थी लेकिन कहते हैं न, कि दाने-दाने पर खाने वाले की मोहर होती है, वैसे ही संत-दर्शन के लिए भी कोई मुहूर्त होता है। आज यह मुहूर्त आ गया है। यह मेरा क्षेत्र है। पूज्य बापू जी ने चुनाव जीतने का तरीका भी बता दिया है।

 

आज देश की दशा ठीक नहीं है। बापू जी का प्रवचन सुनकर बड़ा बल मिला है। हाल में हुए लोकसभा अधिवेशन के कारण थोड़ी-बहुत निराशा हुई थी किन्तु रात को लखनऊ में पुण्य प्रवचन सुनते ही वह निराशा भी आज दूर हो गयी। बापू जी ने मानव जीवन के चरम लक्ष्य मुक्ति-शक्ति की प्राप्ति के लिए पुरुषार्थ चतुष्टय, भक्ति के लिए समर्पण की भावना तथा ज्ञान, भक्ति और कर्म तीनों का उल्लेख किया है। भक्ति में अहंकार का कोई स्थान नहीं है। ज्ञान अभिमान पैदा करता है। भक्ति में पूर्ण समर्पण होता है। 13 दिन के शासनकाल के बाद मैंने कहाः “मेरा जो कुछ है, तेरा है।” यह तो बापू जी की कृपा है कि श्रोता को वक्ता बना दिया और वक्ता को नीचे से ऊपर चढ़ा दिया। जहाँ तक ऊपर चढ़ाया है वहाँ तक ऊपर बना रहूँ इसकी चिंता भी बापू जी को करनी पड़ेगी।

 

राजनीति की राह बड़ी रपटीली है। जब नेता गिरता है तो यह नहीं कहता कि मैं गिर गया बल्कि कहता हैः “हर हर गंगे।” बापू जी का प्रवचन सुनकर बड़ा आनंद आया। मैं लोकसभा का सदस्य होने के नाते अपनी ओर से एवं लखनऊ की जनता की ओर से बापू जी के चरणों में विनम्र होकर नमन करना चाहता हूँ।

 

उनका आशीर्वाद हमें मिलता रहे, उनके आशीर्वाद से प्रेरणा पाकर बल प्राप्त करके हम कर्तव्य के पथ पर निरन्तर चलते हुए परम वैभव को प्राप्त करें, यही प्रभु से प्रार्थना है।”

 

आपको बता दे की बापू आशारामजी ने परिवार में सुख-शांति व परस्पर सद्भाव से जीना सिखाया, पारिवारिक झगड़ों से मुक्ति दिलायी, महिलाओं के मार्गदर्शन व सर्वांगीण विकास हेतु देशभर में ‘महिला उत्थान मंडलों’ की स्थापना की तथा नारी उत्थान हेतु कई अभियान चलाये। बापू आसारामजी ने बाल व युवा पीढ़ी में नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों के सिंचन हेतु हजारों बाल संस्कार केन्द्रों, युवा सेवा संघों व गुरुकुलों की स्थापना की, आज की युवापीढ़ी को माता पिता का सम्मान सिखाकर वैलेंटाइन के बदले में मातृ-पितृ पूजन दिवस मानना सिखाया । 25 दिसम्बर को संस्कृति की रक्षा के लिए तुलसी पूजन दिवस अभियान एक नई पहल की। केमिकल रंगों से बचा कर प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की पहल की, जिससे पानी व स्वास्थ्य की रक्षा हो। व्यसन मुक्ति के अभियान चलाकर करोड़ों लोगों को व्यसन मुक्त कराया। बच्चों, युवाओं व महिलाओं में अच्छे संस्कार के लिए ढेरों अभियान चलाये जाते हैं । World’s Religions Parliament, शिकागो अमेरिका में 1993 में स्वामी विवेकानन्दजी के बाद यदि कोई दूसरे संत ने प्रतिनिधित्व किया है तो वे बापू आसारामजी, जिन्होंने हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व कर सनातन संस्कृति का परचम लहराया। इन सेवाकार्यों से देश-विदेश के करोड़ों लोग किसी भी तरह के धर्म- जाति -मत – पंथ -सम्प्रदाय-राज्य व लिंग के हो भेदभाव के बिना लाभान्वित हो रहे हैं ।

यहां तक कि कांग्रेस की सरकार में कोई हिंदुत्व की बात नही कर रहा था उस समय खुल्लेआम लाखों आदिवासियों की घर वापसी करवाई थी, करोड़ों लोगों में सनातन हिंदू धर्म के प्रति आस्था जगाई थी, स्वदेशी प्रोडक्ट खरीदने की गुहार लगाई थी, करोड़ों लोगों के व्यसन मुक्त किए थे इन सभी के कारण उनपर झूठा आरोप लगाकर जेल भिजवाया गया।

 

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