महिलाओं के लिए आशाराम बापू ने क्या कहा और क्या कार्य किए ?

6 March 2023

🚩महिलाओं के अधिकार की रक्षा के लिए 8 मार्च को विश्व महिला दिवस मनाया जाता है।  बापू आशारामजी ने महिलाओं के लिए क्या कार्य किए है उसपर भी नजर घुमानी चहिए।

🚩करोड़ों महिलाओं के जीवन में संयम सदाचार, राष्ट्रीयता की भावना, सनातन संस्कृति के प्रति आस्था-विश्वास एवं भगवद्भक्ति आदि सद्गुण जिनके सत्संग- सान्निध्य एवं मार्गदर्शन से जागृत हुए हैं, उन बापू आशारामजी की निर्दोषता का ज्वलंत प्रमाण है उनकी प्रेरणा से चल रहे विभिन्न महिला व समाज उत्थानकारी विश्वव्यापी अभियान।

🚩महीला उत्थान कार्य

🚩सत्संग द्वारा मार्गदर्शन पिछले 50 से भी अधिक वर्षों से बापू आशारामजी के समाजहितकारी सत्संगों द्वारा असंख्य युवतियों व महिलाओं के जीवन में भौतिक गतिविधियों का आध्यात्मीकीकरण हुआ है। बापू आशारामजी से प्राप्त भक्तियोग, निष्काम कर्मयोग एवं वेदांत – ज्ञान द्वारा न केवल उनका आत्मबल बढ़ा है बल्कि उनका जीवन मुक्ति-मार्ग पर अग्रसर भी हुआ है।

🚩महिला आश्रमों की स्थापना

🚩महिलाओं के आध्यात्मिक उत्थान हेतु अहमदाबाद (गुज), – छिंदवाड़ा (म.प्र.), करेली (म.प्र.) आदि अनेक जगहों पर महिला आश्रम स्थापित किये गये हैं जहाँ महिलाओं को आध्यात्मिक जीवनशैली के साथ समाज कल्याण के भगीरथ कार्य करने का सुअवसर दिया जाता है।

🚩महिला उत्थान मंडलों की स्थापना

महिला जागृति, नारी सशक्तीकरण व महिलाओं के – सर्वांगीण विकास हेतु देशभर में महिला उत्थान मंडलों का गठन किया गया है, जिसके अंतर्गत नारी उत्थान के अनेक प्रकल्प चलाये जा रहे हैं।

🚩तेजस्विनी अभियान

🚩विद्यालय व महाविद्यालय में अध्ययनरत किशोरियों एवं युवतियों में तेजस्विता के जागरण हेतु चरित्र निर्माण, संयम, एकाग्रता, आत्मविश्वास, प्रभावी व्यक्तित्व जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर युक्तियुक्त मार्गदर्शन देते हुए यह भी समझाया जाता है कि आधुनिक जीवन शैली के साथ आध्यात्मिकता का समन्वय क्यों व कैसे करें ?

🚩महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु चलें स्व की ओर…’ शिविरों का आयोजन

🚩इन शिविरों में महिलाओं के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक व आध्यात्मिक विकास को ध्यान में रखते हुए योग-प्रशिक्षण, सत्संग, स्वाध्याय, ध्यान, जप, ज्ञान व बुद्धिवर्धक स्पर्धाओं जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से मनुष्य जीवन के वास्तविक लक्ष्य (आत्मज्ञान) की ओर अग्रसर किया जाता हैं । उनके स्वस्थ एवं सुखी जीवन हेतु शारीरिक व मानसिक समस्याओं के निवारणार्थ अनेक अनुभवी वैद्यों का मार्गदर्शन भी प्राप्त होता है।

🚩महिला संस्कार सभाएँ

महिला उत्थान मंडलों द्वारा साप्ताहिक / पाक्षिक / मासिक सभाओं का आयोजन होता है जहाँ जीवन में अध्यात्म, व्यवहार, चरित्र, स्वास्थ्य आदि के मूलभूत सिद्धांतों का समावेश कैसे हो, इस विषय की जानकारी दी जाती है।

🚩दिव्य शिशु संस्कार अभियान

🚩गर्भस्थ शिशुओं को संस्कारित करने हेतु ‘दिव्य शिशु संस्कार अभियान चलाया जाता है जिससे भारतभूमि पुनः ओजस्वी तेजस्वी संतानों से सम्पन्न होकर विश्वगुरु पद पर आसीन हो सके। इस अभियान के अंतर्गत गर्भसंस्कार केन्द्रों का संचालन भी होता है। सिजेरियन डिलीवरी के बढ़ते प्रचलन से महिलाओं को सावधान कर उसके दुष्प्रभावों से बचने के सरल व कारगर उपाय भी इन केन्द्रों में बाताए जाते हैं। घर, समाज व देश का भविष्य उज्ज्वल बनाने हेतु ये अभियान बहुत महत्त्वपूर्ण हैं ।

🚩गर्भपात व कन्या भ्रूणहत्या रोको अभियान

🚩कई अनुसंधानों से भी ये बात सामने आई है कि गर्भपात करानेवाली महिला को आगे चलकर कई शारीरिक रोगों का सामना करना पड़ता है। शास्त्रों में तो गर्भपात को ऋषिहत्या के समान महापाप बताया गया है। यही कारण है कि बापू आशारामजी हमेशा से ही अपने सत्संगों में गर्भपात के भयंकर कृत्य से बचने की सीख देते आए हैं । इसलिए महिला उत्थान मंडल द्वारा कई वर्षों से ‘गर्भपात रोको अभियान चलाया जा रहा है।

🚩निःशुल्क चिकित्सा सेवा

दूर-दराज के आदिवासी व ग्रामीण क्षेत्रों में बापू आशारामजी द्वारा निशुल्क चल चिकित्सालय सेवा चलायी जाती है ताकि कोई भी गरीब उपचार के अभाव में कष्ट न पाये । महिलाओं के लिए अलग महिला वैद्यों की भी व्यवस्था की गई है । बापू आशारामजी ने आयुर्वेद, होम्योपैथी व प्राकृतिक चिकित्सा जैसी स्वदेशी अथवा निरापद उपचार पद्धतियों को प्रोत्साहित करने के लिए देशभर के विभिन्न आश्रमों में ऐसे चिकित्सा केन्द्रों की स्थापना की है।

🚩भजन करो, भोजन करो, पैसा पाओ योजना

गरीब, बेरोजगार, लाचार, मोहताज लोगों एवं गरीब विधवाओं, बेसहारा महिलाओं को सहारा देने के लिए बापू आशारामजी की प्रेरणा से देश के कई क्षेत्रों में ‘भजन करो, भोजन करो, पैसा पाओ’ योजना चलायी जाती है। इसके अंतर्गत लोग आकर प्रतिदिन भजन (भगवन्नामजप, कीर्तन, सत्संग-श्रवण) करते हैं, दोपहर का भोजन करते हैं और शाम को 80 रुपये लेकर घर जाते हैं। इस योजना ने जहाँ एक ओर उन्हें स्वावलम्बी बनाया है। वहीं ईश्वरीय शक्ति का प्रादुर्भाव कर उनमें स्वास्थ्य, प्रसन्नता एवं आत्मबल भी जगाया है।

🚩करोड़ों युवक-युवतियों को संयमी सदाचारी बनानेवाला ‘युवाधन सुरक्षा अभियान’ चलाया गया।

🚩गौशालाओं में भारतीय नस्ल की हजारों गायों की उत्तम सेवा व गौरक्षा हेतु जन-जागृति । गरीबों में अनाज, वस्त्र, कम्बल, त्रिपाल आदि जीवनोपयोगी सामग्री व गरीब महिलाओं में सिलाई मशीन आदि वितरण व भंडारे किए जाते हैं।

🚩हिंदू संत आशारामजी बापू ने ‘नारी तू नारायणी…’ इन शब्दों को चरितार्थ करके दिखाया । यही कारण है कि उनके द्वारा संचालित उपरोक्त सभी सेवाकार्यों के माध्यम से मत, पंथ, जाति या धर्म के भेद-भाव के बिना देश-विदेश की करोड़ों बहनें लाभान्वित हो रही हैं।

🚩आशाराम बापू ने महिलाओं के लिए क्या कहा है?

🚩नारी शरीर मिलने से अपने को अबला मानती हो ? लघुताग्रंथि में उलझकर परिस्थितियों में पीसी जाती हो ? अपना जीवन-दीन बना बैठी हो ? तो अपने भीतर सुषुप्त आत्मबल को जगाओ । शरीर चाहे स्त्री का हो चाहे पुरुष का । प्रकृति के साम्राज्य में जो जीते हैं, अपने मन के गुलाम होकर जो जीते हैं, वे स्त्री हैं और प्रकृति के बन्धन से पार अपने आत्मस्वरूप की पहचान जिन्होंने कर ली, अपने मन की गुलामी की बेड़ियाँ तोड़कर जिन्होंने फेंक दी हैं वे पुरुष हैं । स्त्री या पुरुष शरीर व मान्यताएँ होती हैं, तुम तो शरीर से पार निर्मल आत्मा हो ।

🚩जागो, उठो…. अपने भीतर सोये हुए आत्मबल को जगाओ । सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करो । आत्मा-परमात्मा में अथाह सामर्थ्य है । अपने को दीन-हीन अबला मान बैठी तो जगत में ऐसी कोई सत्ता नहीं है जो तुम्हें ऊपर उठा सके । अपने आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो गयी तो तीनों लोकों में भी ऐसी कोई हस्ती नहीं जो तुम्हें दबा सके ।

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