सनातन धर्म के चुराए गए सूत्र: विज्ञान पर भारत का योगदान

23 January 2025

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सनातन धर्म के चुराए गए सूत्र: विज्ञान पर भारत का योगदान

 

सनातन धर्म और प्राचीन भारतीय ग्रंथ न केवल आध्यात्मिकता बल्कि विज्ञान, गणित और खगोल विज्ञान में भी अमूल्य योगदान प्रदान करते हैं। आधुनिक विज्ञान में कई ऐसे सिद्धांत और सूत्र शामिल हैं, जिनकी जड़ें भारतीय ग्रंथों में पाई जाती हैं। लेकिन, यह दुखद है कि इनका श्रेय भारत को नहीं दिया गया।

 

उदाहरण: न्यूटन के गति के तीन नियम और वैष्णव सूत्र

 

न्यूटन के गति के तीन नियम, जो आधुनिक भौतिकी का आधार माने जाते हैं, का उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथ वैष्णव सूत्र में पहले से ही किया गया है। इस पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने इसे 2019 में मैनचेस्टर विश्वविद्यालय और 2020 में American Journal of Engineering Research में प्रकाशित शोध के माध्यम से प्रमाणित किया।

 

प्रथम नियम (First Law of Motion):

 

न्यूटन का प्रथम नियम कहता है कि कोई वस्तु स्थिर या समान गति में बनी रहती है जब तक कि उस पर बाहरी बल कार्य न करे।

वैष्णव सूत्र में:

 

“यत्किंचित् गतिमानं तस्य स्थैर्यं बाह्ये शक्तियुक्ते परिभवति।”

यह स्पष्ट करता है कि गति या स्थिरता में परिवर्तन केवल बाहरी बल द्वारा होता है।

 

द्वितीय नियम (Second Law of Motion):

 

न्यूटन का दूसरा नियम कहता है कि बल द्रव्यमान और त्वरण का गुणनफल होता है (F = ma)।

वैष्णव सूत्र में:

 

“बलस्य कारणं मासत्वं च त्वरणं तयोर्योगः फलदायकः।”

यह सूत्र वस्तु की गति और बल के बीच संबंध को पूरी तरह परिभाषित करता है।

 

तृतीय नियम (Third Law of Motion):

 

न्यूटन का तीसरा नियम कहता है कि प्रत्येक क्रिया के लिए समान और विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।

वैष्णव सूत्र में:

 

“कर्मणः प्रतिफलं समदिशं विपरीतम् भवेत्।”

यह सूत्र प्रतिक्रिया और प्रतिकर्म के सिद्धांत को दर्शाता है।

 

मैनचेस्टर विश्वविद्यालय और शोध निष्कर्ष

 

2019 में मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पुष्टि की कि न्यूटन के गति के नियमों की अवधारणाएं प्राचीन भारतीय ग्रंथों में पहले से मौजूद थीं। यह शोध भारतीय ज्ञान परंपरा की वैज्ञानिक समृद्धि को प्रमाणित करता है। इसके बाद, 2020 में American Journal of Engineering Research ने भी इसे स्वीकार किया।

 

भारतीय ग्रंथों में विज्ञान का योगदान

 

यह केवल गति के नियमों तक सीमित नहीं है। भारत के प्राचीन ग्रंथों ने विज्ञान के कई क्षेत्रों में योगदान दिया है:

 

पिंगल का छंदशास्त्र: यह द्विआधारी प्रणाली (Binary System) का सबसे पुराना उल्लेख है।

 

आर्यभट्ट: पृथ्वी की परिधि और सौरमंडल की सटीक गणना।

 

चरक संहिता: आयुर्वेद और चिकित्सा विज्ञान का मूल स्रोत।

 

सुर्य सिद्धांत: खगोल विज्ञान और ग्रहों की गति का वर्णन।

 

निष्कर्ष

 

सनातन धर्म की वैज्ञानिक धरोहर को लंबे समय तक उपेक्षित रखा गया। यह समय है कि हम अपने प्राचीन ग्रंथों का गहन अध्ययन करें और उनके महत्व को आधुनिक विज्ञान में सही स्थान दिलाएं। मैनचेस्टर विश्वविद्यालय और अन्य शोध संस्थानों के निष्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत का प्राचीन ज्ञान आधुनिक विज्ञान से कहीं आगे था। हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को इस गौरवशाली विरासत के बारे में शिक्षित करना चाहिए।

 

 

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