भारतीय इतिहास में सबसे बड़ी भूल: Secularism
भारत का इतिहास गौरवशाली रहा है, लेकिन इसमें एक गहरी गलती रही — कुछ हिन्दू सदैव सेक्युलर Secular बने रहे। परिणामस्वरूप, हिन्दू धर्म दुनिया के केवल दो देशों में ही सिमट गया — भारत और नेपाल।
आज भी सेक्युलरता के नाम पर हिन्दू “सर्वधर्म समभाव” की भावना में अपने धर्म की बलि चढ़ा रहा है।
धर्मांतरण और जनसंख्या युद्ध का खतरनाक खेल
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ईसाई मिशनरी धर्मांतरण को खुलेआम बढ़ावा दे रहे हैं।
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लव जिहाद और जबरन धर्मांतरण से हिन्दू बेटियाँ खो रही हैं।
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मुस्लिम समाज में जनसंख्या बढ़ाकर जनसांख्यिक असंतुलन बनाया जा रहा है।
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मंदिरों का पैसा सरकार और अल्पसंख्यकों के उपयोग में आता है, जबकि मस्जिदों और चर्चों की निगरानी कोई नहीं करता।
एक कटाक्ष कथा: Secularism सेक्युलरिज़्म की सच्चाई
एक मुस्लिम बच्चा अपनी अम्मी से पूछता है – “अम्मी, सेक्युलरिज़्म क्या होता है?”
अम्मी हँसते हुए जवाब देती है:
“बेटा, सेक्युलरिज़्म वो है जिसमें हिन्दू टैक्स देता है, ताकि हमें फ्री घर, फ्री मेडिकल, फ्री शिक्षा मिले। मंदिर का पैसा हमारे काम आए, लेकिन मस्जिद में कोई झाँक न सके।”
“हमें कोई कानून न छुए, लेकिन हिन्दू पर हर कानून लागू हो। हिन्दू कुछ बोले तो उसे ‘सांप्रदायिक’ कहकर चुप करा दो। यही है सेक्युलरिज़्म!”
बच्चा समझ गया – “हिन्दू अच्छे नहीं, बेवकूफ हैं।”
Secularism के कारण हिन्दू स्वयं को मिटा रहा है
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हिन्दू न चार बच्चे पैदा कर रहा है
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न अपने धर्म की शिक्षा दे रहा है
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न ही जातिवाद से ऊपर उठ रहा है
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और ना ही धर्म के प्रति कट्टर बना है
परिणाम: कश्मीर पंडितों की तरह पूरे भारत में हिन्दुओं का हाल वही हो सकता है।
समाधान क्या है?
✅ 4 बच्चे पैदा करें
✅ सनातन धर्म की शिक्षा दें
✅ जातिवाद को त्यागें
✅ धर्म संकट में हो तो खुलकर बोलें
✅ पीड़ित हिन्दुओं की मदद करें
✅ सेक्युलरता त्यागें और धर्म के प्रति कट्टर बनें
“धर्मो रक्षति रक्षितः” — जो धर्म की रक्षा करता है, वही स्वयं सुरक्षित रहता है।
अब समय है जागने का। अगर अभी भी नहीं संभले तो आने वाली पीढ़ियाँ स्वधर्मविहीन और अस्तित्वविहीन हो जाएंगी।
हिन्दू धर्म बचाना है तो सेक्युलरता त्यागनी होगी।