16 April 2024
17 अप्रैल बुधवार को श्रीराम नवमी का पर्व है।
त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री रामजी का जन्म हुआ था।
इसलिए भारत सहित अन्य देशों में भी हिंदू धर्म को मानने वाले इस पर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं।
हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर में हुआ था।
राम भगवान विष्णु के अवतार हैं और इन्हें श्रीराम और श्रीरामचन्द्र के नामों से भी जाना जाता है। रामायण में वर्णन के अनुसार अयोध्या के सूर्यवंशी चक्रवर्ती सम्राट दशरथ ने पुत्रेश्टी यज्ञ (पुत्र प्राप्ती यज्ञ ) कराया जिसके फलस्वरूप उनके घर पुत्रों का जन्म हुआ।
मर्यादा-पुरुषोत्तम राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था इनके तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं और भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ और गुरु विश्वामित्र की बहुत सेवा की थी ।
राम ने लंका के राजा रावण (जिसने अधर्म का पथ अपना लिया था) का वध किया। श्री राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। श्री राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहाँ तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार, आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा रघुकुल रीति सदा चलि आई प्राण जाई पर बचन न जाई की थी।
भगवान श्रीराम ने हर परिस्थितियों में अपने चित्त को सम रखा,भगवान राम सबसे मधुर-नम्रता से बात करते थे,वे नित्य सूर्योपासना करते,जप-ध्यान करते थे।
बचपन में गुरुकुल में रहकर शिक्षा पायी,युवावस्था में संतो को सताने वाले राक्षको का वध किया और अंत समय में राम-राज्य करते हुए , प्रजा पालन करते हुए अपने लोक को चले गए।
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