राधाष्टमी : महत्व, कथा एवं बुधवारी अष्टमी का संयोग

11 September 2024

 

राधाष्टमी : महत्व, कथा एवं बुधवारी अष्टमी का संयोग

 

राधाष्टमी का पर्व श्री राधा रानी के जन्मोत्सव के रूप में भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। 2024 में यह पावन दिन 11 सितंबर को पड़ रहा है और इस दिन बुधवारी अष्टमी का संयोग भी बना हुआ है। राधाष्टमी का पर्व विशेष रूप से प्रेम और भक्ति की देवी श्री राधा रानी को समर्पित होता है। यह दिन उनके अद्वितीय प्रेम और समर्पण को भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रदर्शित करता है।

 

राधाष्टमी का महत्व

श्री राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की प्रेम और आह्लादिनी शक्ति के रूप में मानी जाती है। उनका प्रेम भक्ति का सर्वोच्च रूप है,जो निश्छल और शुद्ध है। राधाष्टमी के दिन भक्तगण श्री राधा और श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करते है और उनके प्रेम को स्मरण करते है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से साधक के पाप दूर होते है और उसे भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

 

राधाष्टमी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, श्री राधा का जन्म व्रजभूमि के बरसाना गाँव में हुआ था। वे राजा वृषभानु और माता कीर्ति की पुत्री थी। श्री राधा का जन्म एक दिव्य घटना थी और वे भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका एवं शक्ति मानी जाती है। उनके और श्रीकृष्ण के बीच का प्रेम अत्यंत आत्मिक और दिव्य था, जो संसार के किसी भी भौतिक संबंध से परे है।

 

एक अन्य कथा के अनुसार, श्री राधा जन्म से अंधी थी, लेकिन जब भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी ओर देखा, तो उनकी दृष्टि वापस आ गई। राधा रानी और श्रीकृष्ण का प्रेम ब्रह्मांडीय और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है, जो भक्ति का उच्चतम रूप है।

 

बुधवारी अष्टमी का महत्व

इस वर्ष,राधाष्टमी के दिन बुधवारी अष्टमी का संयोग पड़ रहा है,जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। बुधवारी अष्टमी का व्रत विशेष रूप से बुद्ध ग्रह की शांति और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस दिन बुध ग्रह से संबंधित दोषों को दूर करने के लिए व्रत और पूजा की जाती है।

 

बुध ग्रह को बुद्धि,व्यापार, संचार और शिक्षा का कारक माना जाता है। इसलिए, बुधवारी अष्टमी पर व्रत रखने से व्यक्ति की मानसिक शक्ति और निर्णय क्षमता में वृद्धि होती है। साथ ही, यह व्रत व्यापार और आर्थिक मामलों में सफलता दिलाने वाला माना जाता है। जो व्यक्ति बुध ग्रह से पीड़ित होते है,उनके लिए इस दिन का विशेष महत्व है। बुधवारी अष्टमी पर गणेशजी की पूजा से विघ्न दूर होते है और सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

 

राधाष्टमी और बुधवारी अष्टमी की पूजा विधि

1. प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. राधा-कृष्ण की मूर्तियों का पंचामृत से अभिषेक करें।

3. धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।

4. भगवान श्रीकृष्ण और श्री राधा के नाम का जाप करें।

5. बुध ग्रह की शांति के लिए गणेशजी की विशेष पूजा करें।

6. व्रत कथा सुनें और आरती के बाद प्रसाद का वितरण करें।

7. व्रतधारी सात्विक भोजन करें और बुध ग्रह से संबंधित उपाय भी करें।

 

निष्कर्ष

राधाष्टमी और बुधवारी अष्टमी का संयोग 11 सितंबर 2024 को इस दिन को अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है। श्री राधा रानी के जन्मोत्सव का यह पावन पर्व भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।वहीं, बुधवारी अष्टमी से व्यक्ति को बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। राधाष्टमी पर श्री राधा-कृष्ण की पूजा करने से प्रेम और भक्ति में उन्नति होती है, जबकि बुधवारी अष्टमी पर गणेशजी की पूजा और बुध ग्रह के उपाय करने से जीवन की कठिनाइयां दूर होती है। इस दिन व्रत रखने से भक्तों को दोनों पर्वों का विशेष लाभ मिलता है, जो उन्हें भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है।

 

Follow on

 

Facebook

 

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/

 

Instagram:

 

http://instagram.com/AzaadBharatOrg

 

Twitter:

 

twitter.com/AzaadBharatOrg

 

Telegram:

 

https://t.me/ojasvihindustan

 

http://youtube.com/AzaadBharatOrg

 

Pinterest : https://goo.gl/o4z4

Translate »