मणिपुर में आखिर किस विवाद पर इतनी हिंसा हो रही है !? सच जानना बहुत जरूरी है….

25 July 2023
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🚩मणिपुर में मैतेई (हिंदुओं) के अस्तित्व का युद्ध चल रहा है । वहां 10% एरिया मैदानी है और 90% एरिया पहाड़ी । जिसमें 90% एरिया में नागा और कुकी जनजातियां रहते हैं, जो या तो ईसाई हैं या फिर मुस्लिम । 10 % एरिया में मैतेई (हिन्दू) रहते हैं । पूर्व की कांग्रेस सरकार ने वहाँ के लिए ऐसा कानून बनाया है , कि कुकी (ईसाई और मुस्लिम) मैदानी एरिया में तो जाकर जमीन खरीद सकते हैं, लेकिन मैतेई (हिन्दू) पहाड़ी एरिया में जाकर जमीन नहीं खरीद सकते। जबकि मैतेई ही मणिपुर के मूलनिवासी हैं ।
🚩नागा + कुकी (कसाई + चुस्लिम) जाति भाजपा सरकार बनने के पूर्व पूरे राज्य में अवैध रूप से अफीम की खेती करते थे । भाजपा सरकार बनते ही इसपर रोक लगा दी गई । ये कुकी तब से भाजपा सरकार से नाराज थे, जिनकी नाराजगी को हवा देने का काम वहाँ के 26 उग्रवादी संगठनों और उन राजनीतिक दलों ने दिया जो चुसलमानो और कसाईयों को अपना वोट बैंक मानते हैं । कुकी और नागा समुदाय में भी ज्यादा संख्या ईसाईयों की है और उन्हें अपरोक्ष समर्थन मिलता है दिल्ली में बैठे वेटिकन सिटी के सबसे बड़े एजेंट एन.जी.ओज़ और उनके सहयोगियों से ।
🚩चुसलमानों और कसाईयों के अंदर सुलग रही इस आग में घी का काम किया, वहाँ के उच्च न्यायालय के उस निर्णय ने,जिसमें राज्य सरकार को मैतेई लोगो (हिंदुओं ) को अनुसूचित जनजाति में डालने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश करने को कहा गया ।
🚩मैतेई (हिन्दू) समुदाय अभी तक पूर्णतया शांत था । बहुसंख्यक होते हुए भी, कांग्रेसियों के तुष्टिकरण की राजनीति से पीड़ित होते हुए भी शांत था । लेकिन अप्रैल महीने के अंत की एक रात उनके लिए बहुत पीड़ादायक थी । जब वो रात्रि के अंधेरे में अपने परिजनों के साथ सो रहे थे तभी पहाड़ों से हजारों की संख्या में कसाइयों और चुसलमानों ने हथियारों से लैश होकर उनके घरों पर हमला कर दिया । उनके घरों को जला दिया, उनको मारा-पीटा, उनकी बहन बेटियों के साथ उसी प्रकार की दरिंदगी की, जिस प्रकार से मैतेई समुदाय के कुछ लड़कों द्वारा वायरल वीडियो में दो महिलाओं के साथ करते हुए देखी गई । करीब 200 मैतेई लोगों को जला दिया गया, मंदिरों को जला दिया गया । उन ऑफिसो को लूटकर जला दिया गया , जिनमें अफीम से संबंधित जानकारी थी। पुलिस चौकियों को न सिर्फ जलाया गया, बल्कि वहां के हथियारों को भी कुकी समुदाय के लोगों ने लूटा ।
🚩यहाँ स्पष्ट कर दें, कि हम किसी भी तरह से वायरल वीडियो में दिख रहे बर्बरता का समर्थन नही करते। सभ्य समाज में ऐसी बर्बरता का कोई स्थान नही और सभ्य समाज का कोई भी व्यक्ति ऐसी बर्बरता का समर्थन नहीं कर सकता,फिर चाहे वह किसी भी समुदाय द्वारा की जाए…क्योंकि यह अमानवीय है।
🚩उस रात कुकी समुदाय (कसाई + चुसलमान) के लोगो ने मैती (हिन्दू) समुदाय के लोगो के साथ भी वही बर्बरता की थी, जो वायरल वीडियो में दिख रहे मैती युवकों ने किया । लेकिन उस रात अचानक हुए हमलों में मैती (हिन्दू) अपने और अपने परिवार के लोगो की जान बचाने में लगे थे, न कि वीडियो बनाने में । इसलिए यह बर्बरता वायरल नहीं हो सकी।
लेकिन …… उस रात की घटना ने वहां के सोए हुए मैतेई (हिंदुओं) को जगा जरूर दिया ।
🚩फिर क्या ! जवाबी कार्यवाही शुरू हुई मैतेई (हिंदुओं) के तरफ से । वहाँ का हिन्दू अब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए युद्ध मे कूद पड़ा । अस्तित्व होता क्या है, यह शायद उन पिछड़ी प्रजाति के हिंदुओं को कभी पता ही नही चलता , यदि यह बर्बरता उनपर न हुई होती तो।
🚩केंद्र सरकार मणिपुर की हिंसा पर अब तक ज्यादा एक्टिव इसलिए नही थी क्योंकि वहां का हिन्दू अब जाग गया था और अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करने लगा था । यह विशिष्ट युद्धकाल है जहां हिन्दू पूरे हिन्दुस्तान में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है । केंद्र सरकार अब तक अपने तरीके से इस युद्ध को हैंडल कर रही थी । क्योंकि कुकी को उग्रवादियों और missionaries का भारी समर्थन है । लेकिन इस युद्धकाल मे विपक्ष भी तो युद्ध कर रहा है, वो भी खासतौर से कांग्रेस पार्टी वहां कुकी को समर्थन कर रही है , क्योंकि कुकी उसका वोट बैंक है । अब तक सबकुछ सही चल रहा था, केंद्र सरकार का मौन मैतेई (हिंदुओं) को युद्ध में अपरोक्ष सहायता प्रदान कर रहा था। लेकिन तभी …..
🚩जब मणिपुर में मैतेई (हिन्दू) समुदाय के लगभग 200 लोगो को जला दिया गया, उनकी बहन बेटियों के साथ बर्बरताएँ की गईं, तब यह कुकी समुदाय आक्रोशित नही हुआ । लेकिन जैसे ही इसे ज्ञात हुआ , कि 4 मई की घटना का वायरल वीडियो (उस समय प्रायोजित तरीके से प्रसारित किया गया जब मानसून सत्र शुरू होने वाला था) में बर्बरता करने वाले युवक मैतेई समाज के हैं और वो दो महिलाए इसाई समुदाय से हैं , तो इनके पेट मे भी दर्द होने लगा ।
🚩बड़े ही पूर्वनियोजित तरीके से 4 मई की घटना का वीडियों मानसून सत्र शुरू होने के ठीक एक दिन पहले सोशल मीडिया पर रिलीज कर दिया गया। देश मे बवाल मच गया, अचानक से केंद्र सरकार बैकफुट पर दिखने लगी ।
… लेकिन वहां तो अस्तित्व का युद्ध चल रहा है हिंदुओं के लिए । उनके साथ तो बड़ी भारी बर्बरता हुई हैं । लेकिन अफसोस यह है , कि अब तक उसका वीडियो सोशल मीडिया में नहीं आ सका । यह अस्तित्व की लड़ाई है , इसमे ऐसी बर्बरताएँ अभी और हो सकती हैं यदि ठोस कदम न उठाए गए तो । अब और तबाही जानमाल की न हो तो ज्यादा बेहतर है। हां एक बात ये भी है , कि जहाँ अस्तित्व को बचाए रखने का युद्ध चल रहा हो, वहाँ भावुकता का कोई स्थान नही होता !!
साभार
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