निचली कोर्ट ने दी थी उम्रकैद की सजा, हाईकोर्ट ने 10 साल बाद किया निर्दोष बरी

17 दिसंबर 2018
 भारत में अंग्रेजों ने जो कानून बनाया था वे देशहित कार्य करने वाले व्यक्तियों को फँसाने एवं निर्दोष को न्याय न मिले और यदि कोई अपराधी बचना चाहे तो आसानी से बच सके इस उद्देश्य से बनाया था, जो आज भी चल रहे हैं जिसका शिकार सिर्फ आम जनता, गरीब और हिन्दूनिष्ठ ही हो रहे हैं । बाकी नेता, अभिनेता, अमीर, पत्रकार, ईसाई और मुस्लिम धर्मगुरुओं पर कानूनी कार्यवाही या तो देर से होती है अथवा न के बराबर होती है ।
 जाने कहाँ दग़ा दे-दे, जाने किसे सज़ा दे-दे
साथ न दे कमज़ोरों का, ये साथी है चोरों का
बातों और दलीलों का, ये खेल वक़ीलों का
ये इन्साफ़ नहीं करता, किसी को माफ़ नहीं करता
माफ़ इसे हर ख़ून है ये अन्धा क़ानून है …

The lower court had sentenced to life
imprisonment the High Court acquitted

 

आज एक के बाद एक कानूनी फैसलों को देख ये पंक्तियां बिल्कुल सहीं बैठती हैं कि कानून अंधा होता है । पहले भी कई फैसले न्यायालय द्वारा ऐसे दिए गए हैं, जिनसे दोषियों की सज़ा का तो पता नहीं, लेकिन निर्दोष लोगों के साथ बड़ा अन्याय हुआ है ।
आज से पहले भी कई दोषी नेता-अभिनेता, पत्रकार निर्दोष रिहा हुए हैं वहीं बेगुनाह हिंदू संत, राष्ट्रवादी एवं हिंदुनिष्ठ लोग और आम जनता इस अंधे कानून के फैसले का शिकार हुए हैं । ऐसे निर्दोष लोग जिन्होंने कोई जुर्म न किया हो फिर भी सालों तक जेल में रहना पड़ा हो और फिर कई वर्षों बाद निर्दोष बरी होते हैं, इज्जत-आबरू पैसों के साथ-साथ इतने वर्षों का समय भी जेल में बर्बाद हो जाता है ।
ऐसा ही एक वाकया हुआ अमृतसर के रहने वाले गोगा के साथ.. जिसे एक ऐसे हत्या के आरोप में 9 साल जेल में बिताना पड़ा जो उसने कभी किया ही नहीं…
क्या है पूरा मामला ?
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हत्या के आरोप में दस वर्षों से उम्रकैद की सजा काट रहे व्यक्ति को आरोप मुक्त कर दिया है । न्यायमूर्ति ए. बी. चौधरी और कुलदीप सिंह की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई और सभी दलीलों से सहमत होकर ये पाया कि सनी उर्फ गोगा का इस हत्या में कोई हाथ नहीं था। न्यायालय ने इस मामले में गोगा को बरी कर दिया । वरिष्ठ वकील विशाल हांडा ने बताया कि अमृतसर के सनी उर्फ गोगा को अदालत ने 9 साल की कानूनी लड़ाई के बाद हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया है । गोगा दस साल से जेल में बंद था । उन्होंने बताया कि टैक्सी चालक अवतार सिंह की हत्या होने पर उसके भाई सुखचैन सिंह ने छेहरटा थाना में 11 सितंबर 2009 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी ।
दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार अवतार टैक्सी स्टैंड छेरहटा में अपने भाई सुखचैन सिंह के साथ टैक्सी चलाया करता था, 21 अगस्त 2009 को रोशन नाम का शख्स अपने किसी मित्र के साथ अवतार के पास टैक्सी की बुकिंग के लिए आया तथा उसका कांटेक्ट नंबर ये कहकर ले गया कि उसे सलाह करके फ़ोन पर बताएंगे । 23 अगस्त को अवतार सिंह के पास रोशन का फ़ोन आया और उन्होंने कश्मीर जाने के लिए टैक्सी बुक करवा दी ।
कश्मीर पुलिस ने 27 अगस्त 2009 को अवतार की टैक्सी एक सुनसान जगह पर खड़ी पाई। गाड़ी के कागज की शिनाख्त पर उन्होंने उसके भाई सुखचैन को फ़ोन कर इसकी सूचना दी थी । अवतार गायब था इसलिए 11 सितम्बर 2009 को अमृतसर के छेहरटा थाना में एफआईआर दर्ज की गयी । इसी दौरान 30 सितंबर 2009 को अवतार सिंह का शव अमरोंग नाला खाई जिला रामबाण में मिला । कश्मीर पुलिस ने सारे थानों में इसकी जानकारी दी ।
अमृतसर पुलिस ने रोशी और गोगा को एक साथ जाते हुए पकड़ा और उन्हें अवतार की हत्या के जुर्म में जेल भेज दिया जबकि सनी उर्फ गोगा का कहना था कि वह रोशन के साथ कभी कश्मीर गया ही नहीं । वर्ष 2009 से 2012 तक मामले की सुनवाई जारी रही और 2012 में रोशन और सनी को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई । वर्ष 2012 में इस मामले में गोगा के हक में अपील दायर की गयी जो अब जाकर खुली ।
आखिरकार सत्य परेशान तो हुआ लेकिन उसकी जीत भी हो ही गयी । सवाल यहाँ ये उठता है कि सनी उर्फ गोगा के उन 10 सालों का हिसाब कौन देगा, जो उसने बेवजह जेल में बिताए ? गोगा को सिर्फ इसलिए ही सज़ा मिली क्योंकि वो रोशन के साथ पाया गया तो क्या अगर रोशन के साथ गोगा की जगह कोई बिल्ली या कुत्ता घूम रहा होता तो उसे भी सज़ा मिलती ?
 हमारे देश में जो अंग्रेजों के बनाये कानून चल रहे हैं उससे आम जनता बेहद दुःखी है नेता, अभिनेता,पत्रकारों, धनी व्यक्तियों को तो तुरन्त जमानत भी हासिल हो जाती है और कोर्ट में भी धक्के नहीं खाने पड़ते, लेकिन एक आम आदमी अपने गहने-मकान-प्रोपर्टी आदि बेचकर भी न्यायालय में न्याय पाने को तरसता रहता है, लेकिन अफसोस उसे सालों तक न्याय नहीं मिल पाता है यहाँ तक कि उसको अपना पक्ष रखने के लिए जमानत तक नहीं दी जाती है ।
इससे तो आम जनता का कानुन पर से भरोसा ही उठता जा रहा है ।
 हिन्दू साधु-संतों और हिन्दू कार्यकर्ताओं के साथ भी ऐसे ही हो रहा है ।
बिना सबूत साध्वी प्रज्ञा को 9 साल, स्वामी असीमानन्दजी को 8 साल, डीजी वनजारा जी को 8 साल, कर्नल पुरोहित को 7 आदि आदि को बिना सबूत जेल में रखा गया था ।
आज भी बिना सबूत श्री धनंजय देसाई और श्री नारायण साई 5 साल से जेल में बंद हैं, लेकिन उनको जमानत नहीं मिल पा रही है दूसरी ओर अपराधी नेता लालू, अभिनेता सलमान खान, पत्रकार तरुण तेजपाल, अमीर विजय माल्या, नीरव मोदी, अनेक ईसाई पादरी और मौलवी आदि आज़ाद घुम रहे हैं ।
इससे साफ पता चलता है कि अंग्रेजों के बनाए गए कानून के कारण गरीब, आमजनता और हिन्दूनिष्ठ ही शिकार हो रहे है ।
अभी हाल ही में धर्मान्तरण रोकने वाले 82 वर्षीय हिन्दू संत आसाराम बापू को तथाकथित छेड़छाड़ के आरोप में पास्को एक्ट लगाकर उम्रकैद दे दी, उससे पहले 5 साल तक उनके केस की सुनवाई चली उसमें एक दिन के लिये भी जमानत नहीं दी गई थी । और उनके पक्ष में अनेक सबूत थे जो उन्हे निर्दोष साबित करते हैं, लेकिन उन्हें अनदेखा कर उम्रकैद सुना दी, खैर उनका केस उच्चन्यायालय में जा चुका है और उन्हें निर्दोष बरी करना पड़ेगा, लेकिन यहां मुद्दा ये है कि कानून द्वारा केवल आम जनता और हिंदुनिष्ठों को ही क्यों प्रताड़ित किया जाता है ?
सरकार और न्यायालय को इस पर गंभीर विचार करना चाहिए ताकि आम व्यक्ति को शीघ्र न्याय मिले इसके लिए कदम आगे बढ़ाना चाहिए अन्यथा सालों तक निर्दोष होने पर भी जेल में रहना फिर बेल मिलना ये अन्याय ही है ।
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One thought on “निचली कोर्ट ने दी थी उम्रकैद की सजा, हाईकोर्ट ने 10 साल बाद किया निर्दोष बरी

  1. सरकार और न्यायालय को इस पर गंभीर विचार करना चाहिए ताकि आम व्यक्ति को शीघ्र न्याय मिले इसके लिए कदम आगे बढ़ाना चाहिए अन्यथा सालों तक निर्दोष होने पर भी जेल में रहना फिर बेल मिलना ये अन्याय ही है ।

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