14 Feburary 2025
**मातृ-पितृ पूजन दिवस: भारतीय संस्कृति में परिवार प्रेम और सम्मान का पर्व**
भारतीय संस्कृति में माता-पिता को ईश्वर के समान माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है— *”मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः”* अर्थात माता-पिता देवतुल्य हैं। इसी महान संस्कार को पुनर्जीवित करने और युवाओं को अपने माता-पिता के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव विकसित करने हेतु *संत श्री आशारामजी बापू* ने 14 फरवरी को “**मातृ-पितृ पूजन दिवस**” के रूप में मनाने की प्रेरणा दी।
**मातृ-पितृ पूजन दिवस का महत्व**
आज के समय में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आकर युवा पीढ़ी अपने माता-पिता से दूर होती जा रही है। वे बाहरी आकर्षणों में उलझकर अपने कर्तव्यों को भूलते जा रहे हैं। ऐसे में *मातृ-पितृ पूजन दिवस* न केवल उन्हें अपने माता-पिता के प्रति समर्पण की भावना विकसित करने का अवसर देता है, बल्कि परिवारिक सौहार्द को भी बढ़ाता है।
**कैसे करें मातृ-पितृ पूजन?**
मातृ-पितृ पूजन दिवस पर घरों, विद्यालयों और समाज में सामूहिक रूप से पूजन का आयोजन किया जाता है। इसमें—
**माता-पिता के चरण धोकर उनका पूजन किया जाता है।**
**उनकी आरती उतारी जाती है और पुष्प अर्पित किए जाते हैं।**
**श्रद्धा एवं प्रेमपूर्वक माता-पिता को उपहार या वस्त्र भेंट किए जाते हैं।**
**बच्चे अपने माता-पिता के आशीर्वाद लेकर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं।**
**मातृ-पितृ पूजन दिवस के लाभ**
बच्चों में माता-पिता के प्रति श्रद्धा, प्रेम और सेवा भाव विकसित होता है।
परिवारों में प्रेम और सम्मान की भावना बढ़ती है।
भारतीय संस्कृति के मूल्यों को सुदृढ़ करने में सहायक होता है।
समाज में नैतिकता, अनुशासन और आदर्शों की पुनर्स्थापना होती है।
**विश्वभर में बढ़ रही लोकप्रियता**
संत श्री आशारामजी बापू की प्रेरणा से न केवल भारत में, बल्कि अमेरिका, कनाडा, नेपाल और कई अन्य देशों में भी *मातृ-पितृ पूजन दिवस* बड़े उत्साह के साथ मनाया जाने लगा है। इससे भारतीय संस्कृति को वैश्विक मंच पर पहचान मिली है और समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन आया है।
**निष्कर्ष**
*मातृ-पितृ पूजन दिवस* केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक संस्कार है जो हमें अपने माता-पिता के प्रति स्नेह, सेवा और कर्तव्यपरायणता की भावना को जाग्रत करने की प्रेरणा देता है। इस विशेष दिन को मनाकर हम न केवल अपने माता-पिता को सम्मानित करते हैं, बल्कि समाज में एक शुभ परिवर्तन लाने का कार्य भी करते हैं। आइए, इस 14 फरवरी को हम प्रेम का वास्तविक स्वरूप अपनाएँ और *मातृ-पितृ पूजन दिवस* को हृदय से मनाएँ।
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