भगवान गणेश : बुद्धि के देवता और विघ्नहर्ता कैसे बने?

9th September 2024

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भगवान गणेश : बुद्धि के देवता और विघ्नहर्ता कैसे बने?

 

भगवान गणेश, जिन्हें ‘विघ्नहर्ता’ और ‘बुद्धि, समृद्धि, और भाग्य के देवता’ के रूप में पूजा जाता है, हिन्दू धर्म में अत्याधिक महत्वपूर्ण स्थान रखते है। उनकी पूजा के बिना कोई भी शुभकार्य आरंभ नहीं किया जाता। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर गणेश जी को बुद्धि का देवता और विघ्नहर्ता क्यों कहा जाता है? चलिए, पौराणिक कथाओं और रोचक कहानियों के माध्यम से इस रहस्य को जानते है।

 

गणेश जी बुद्धि के देवता कैसे बने?

भगवान गणेश की बुद्धिमत्ता के अनेक किस्से पौराणिक ग्रंथों में मिलते है,लेकिन एक प्रमुख कथा है जो उनकी अपार बुद्धि और विवेक को दर्शाती है।

 

गणेश जी की अनोखी परिक्रमा :

एक बार स्वर्गलोक में यह तय हुआ कि किस देवता को सबसे पहले पूजा जाए। यह निर्णय लेने के लिए सभी देवताओं ने एक प्रतियोगिता आयोजित की। प्रतियोगिता यह थी कि जो भी सबसे पहले पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, वही देवता पूजा में पहले स्थान का अधिकारी होगा।

 

गणेश जी के भाई,भगवान कार्तिकेय,अपने वाहन मोर पर सवार होकर पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए तेजी से निकल पड़े। दूसरी ओर गणेश जी ने अपने चूहे पर सवार होकर दौड़ने के बजाए अपनी बुद्धि का उपयोग किया। उन्होंने अपने माता-पिता,भगवान शिव और माता पार्वती के चारों ओर तीन बार परिक्रमा की और उन्हें प्रणाम किया। जब अन्य देवताओं ने उनसे पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, तो गणेश जी ने उत्तर दिया, “मेरे माता-पिता ही मेरी पूरी दुनिया है। उनके चारों ओर परिक्रमा करना ही पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करने के समान है।”

 

गणेश जी की इस उत्तर ने सभी देवताओं को चकित कर दिया। उनकी इस अनूठी बुद्धिमत्ता को देखते हुए उन्हें ‘बुद्धि के देवता’ का दर्जा दिया गया। यह कथा यह सिद्ध करती है कि सच्ची बुद्धि केवल ज्ञान में नहीं, बल्कि उसे सही समय पर सही तरीके से उपयोग करने में होती है।

 

गणेश जी को विघ्नहर्ता क्यों कहा जाता है?

भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ अर्थात ‘विघ्नों को हरने वाला’ कहा जाता है। यह मान्यता क्यों बनी, इसके पीछे भी एक रोचक पौराणिक कथा है।

 

देवताओं की समस्या का समाधान :

एक बार देवताओं को दानवों से बचाने के लिए भगवान शिव ने गणेश जी को बुलाया। गणेश जी ने अपनी अपार शक्ति और बुद्धि का उपयोग करके सभी दानवों को पराजित किया और देवताओं को मुक्ति दिलाई। इस घटना के बाद, देवताओं ने गणेश जी को ‘विघ्नहर्ता’ का नाम दिया क्योंकि उन्होंने सभी बाधाओं को दूर कर दिया था।

 

इसके अतिरिक्त, एक अन्य कथा के अनुसार,जब भी देवताओं को किसी कार्य में विघ्न (बाधा)आती थी, तो वे गणेश जी की पूजा करते थे। गणेश जी अपनी शक्ति से सभी विघ्नों को दूर कर देते थे। इसीलिए, उन्हें विघ्नहर्ता कहा जाने लगा।

 

गणेश जी की पूजा का महत्व :

भगवान गणेश की पूजा से न केवल मानसिक और बौद्धिक शक्ति में वृद्धि होती है बल्कि सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। उनकी कृपा से जीवन की सभी बाधाऐं दूर हो जाती है। गणेश जी की पूजा से भक्तों को जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।

 

गणेश जी का विशेष स्थान :

हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को किसी भी पूजा या अनुष्ठान में सबसे पहले पूजा जाता है। इसका कारण यह है कि गणेश जी को आशीर्वाद दिया गया था कि वे हर शुभ कार्य की शुरुआत में पूजे जाएंगे ताकि कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न हो सके। उनका आशीर्वाद लेने से सभी प्रकार के विघ्न और बाधाएं दूर होती है और कार्य में सफलता मिलती है।

 

निष्कर्ष :

भगवान गणेश की महिमा उनके बुद्धिमत्ता और विघ्नहर्ता के रूप में अद्वितीय है। उनकी पूजा से जीवन की सभी समस्याएं और विघ्न दूर होते है। वे हमें सिखाते है कि जीवन में बुद्धि और विवेक का सही उपयोग कैसे किया जाए। इसीलिए,वे हिन्दू धर्म में ‘प्रथम पूजनीय’ है और हर शुभ कार्य की शुरुआत उनके नाम से होती है। गणेश जी की कृपा से सभी भक्तों का जीवन मंगलमय और सुखमय हो।

आइए, हम सभी भगवान गणेश की पूजा करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें ताकि हमारे जीवन में सभी विघ्नों का नाश हो और हमें सफलता और समृद्धि प्राप्त हो।

 

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