प्राण-प्रतिष्ठा से पहले जान लें अयोध्या मंदिर की हर एक बात

13 January 2024

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अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है। राम मंदिर का पहला तल बनकर तैयार हो चुका है। अब मंदिर से जुड़ी ऐसी बातें सामने आई हैं, जो भगवान राम की जन्मस्थली पर बन रहे मंदिर की दिव्यता, भव्यता और नव्यता का परिचय करा रही हैं। भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण भारत की परंपरागत नागर शैली में हो रहा है, जो अगले 1000 वर्षों तक दुनिया में बदलाव का साक्षी रहेगा।

 

गर्भगृह में रामलला की 51 इंच लंबी प्रतिमा स्थापित की जाएगी, जिसमें रामलला 5 साल के बाल स्वरूप में होंगे। प्रतिमा में रामलला को खड़े हुए दिखाया गया है। प्रतिमा ऐसी है जो राजा का पुत्र और विष्णु का अवतार लगे। गर्भगृह में रामलला कमल के फूल पर विराजमान होंगे। कमल के फूल के साथ उनकी लंबाई करीब 8 फुट होगी।

 

भगवान राम को समर्पित रामलला का यह मंदिर तीन मंजिला होगा। इसमें 5 मंडप होंगे। खास बात ये है कि भगवान राम के बाल स्वरूप यानि रामलला भूतल पर विराजमान रहेंगे। वहीं, दूसरे तल पर रामदरबार रहेगा। इस राम दरबार में भगवान राम, माता सीता, भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ-साथ भक्त बजरंग बली भी रहेंगे।

 

रामलला के भव्य मंदिर की खासियत:

 

रामलला का भव्य मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। इसकी लंबाई (पूर्व से पश्चिम तक) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊँचाई 161 फीट रहेगी। रामलला का मंदिर तीन मंजिला का होगा। प्रत्येक मंजिल की ऊँचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे।

 

रामलला मंदिर निर्माण से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि रामलला के मंदिर के मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालस्वरुप रामलला (श्रीरामलला का विग्रह) तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा। रामलला के मंदिर में 5 मंडप होंगे। इन मंडपों के नाम- नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप हैं।

 

भव्य राममंदिर का निर्माण लगातार जारी

 

मंदिर की खंभों और दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियाँ उकेरी जा रही हैं। रामलला के मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियाँ चढ़कर सिंहद्वार से होगा। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी। मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।

 

परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, माँ भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में माँ अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा। रामलला के मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। रामलला के मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी।

 

रामलला के मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे। दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है एवं तथा वहाँ जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।

 

रामलला के मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है। रामलला के मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। रामलला के मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊँची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।

 

मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे। 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहाँ दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी।

 

रामलला के मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा।

 

रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए तैयारियाँ जोरों-शोरों से हो रही हैं। 3000 वीआईपी समेत 7000 लोगों को निमंत्रण भेजे गए हैं। इनमें कारसेवकों का परिवार भी हैं, जिन्होंने राम मंदिर के लिए अपनी जान गवा दी। ट्रस्ट का कहना है कि लगभग 15000 लोगों के आने का इंतजाम होगा।

 

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