कपालेश्वर महादेव मंदिर, नासिक: पौराणिक कथा, शास्त्रीय महिमा और आध्यात्मिक अनुभव

17 June 2025

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कपालेश्वर महादेव मंदिर, नासिक — शास्त्रीय संदर्भ एवं पुराणिक महिमा

परिचय

नासिक के पवित्र पंचवटी क्षेत्र में स्थित कपालेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव की भक्ति, तपस्या और मोक्ष की गाथा का अनमोल केंद्र है…

कपालेश्वर का अर्थ और पौराणिक कथा

‘कपालेश्वर’ का शाब्दिक अर्थ होता है — “कपालों के स्वामी”… शिव ने ब्रह्मा का पाँचवाँ सिर काट दिया… इसी स्थान को कपालेश्वर कहा गया।

नंदी और गुरु-शिष्य परंपरा

नंदी, शिव के वाहन और गुरु के रूप में प्रतिष्ठित हैं… इसलिए यहाँ नंदी शिवलिंग के सामने नहीं, अलग स्थान पर विराजमान हैं।

शिवजी की तपस्या और पापमोचन

शिवपुराण (काशीखण्ड 32.5) में वर्णित है… ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति हेतु शिव ने यहाँ कठोर तप किया।

ज्योतिर्लिंग महत्ता और कपालेश्वर

यद्यपि यह मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में नहीं आता, फिर भी इसकी महिमा उनके समकक्ष मानी जाती है।

मंदिर की स्थापत्य कला और वातावरण

स्थानीय पत्थरों से निर्मित यह मंदिर साधारण परंतु अत्यंत पवित्र है। गोदावरी नदी की समीपता इसे और दिव्य बनाती है।

प्रमुख पर्व एवं उत्सव

  • ❇️ महाशिवरात्रि: रुद्राभिषेक, जागरण और भजन कीर्तन।
  • ❇️ सावन मास: प्रत्येक सोमवार को विशेष पूजन।

तीर्थ यात्रा और पहुंच

यह मंदिर नासिक रेलवे स्टेशन से मात्र 9 किलोमीटर दूर है… टैक्सी, ऑटो और बसें आसानी से उपलब्ध हैं।

प्रमुख शास्त्रीय उद्धरण

शिवपुराण (काशीखण्ड 32.5): “ततस्तु तस्मिन् काले तु, ब्रह्महत्या महाप्रभा…”

स्कंदपुराण: “गुरुर्वा नन्दिश्चापि, भवेत्पूज्यः सदैव हि…”

समापन

यह मंदिर न केवल भगवान शिव की महिमा का केंद्र है, बल्कि विनम्रता, गुरु-शिष्य भाव, प्रायश्चित और आत्मशुद्धि का प्रतीक भी है।