27 June 2025
जगन्नाथ रथ यात्रा: भक्ति, परंपरा और रहस्य का अद्भुत संगम
भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत में यदि कोई उत्सव सबसे भव्य, रहस्यमयी और सबको समावेश करने वाला माना जाता है, तो वह है पुरी, ओडिशा की जगन्नाथ रथ यात्रा। यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि वैदिक संस्कृति, पुराणों की परंपरा, सामाजिक समरसता, और रहस्यमयी चमत्कारों का प्रतीक है।
रथ यात्रा का परिचय
जगन्नाथ रथ यात्रा हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को पुरी में आयोजित होती है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी को रथों में श्रीमंदिर से गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है। यह यात्रा 9 दिनों तक चलती है और वापसी को “बहुदा यात्रा” कहा जाता है।
वैदिक और पौराणिक सन्दर्भ
️ वेदों में रथ की अवधारणा
“अश्वेन वाजिना रथं देवा यन्तु सधस्थे।”
ऋग्वेद में देवताओं के दिव्य रथों का उल्लेख मिलता है, जो आज भी रथ यात्रा में जीवंत होता है।
पुराणों में उल्लेख
स्कंद पुराण (उत्कल खंड) में रथ यात्रा का सबसे विस्तृत वर्णन है। राजा इन्द्रद्युम्न की कथा, नीलमाधव की खोज और दारु-ब्रह्म की स्थापना इसमें मिलती है।
पौराणिक कथा – मूर्तियों की रहस्यमयी उत्पत्ति
सुभद्रा जी का श्रीकृष्ण-बलराम की कथा सुनना और सभी का स्थिर हो जाना — यही रूप आज पुरी मंदिर की मूर्तियों में देखा जाता है।
️ इतिहास और निर्माण
- वर्तमान मंदिर 12वीं शताब्दी में राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा निर्मित।
- रथ यात्रा की परंपरा द्वापर युग से मानी जाती है।
- गजपति राजाओं द्वारा शाही संरक्षण — आज भी “चेरा पहरा” परंपरा निभाते हैं।
रथ यात्रा की भव्य प्रक्रिया
‘पाहंडी’ अनुष्ठान से रथ यात्रा प्रारंभ होती है। तीन रथों का वर्णन:
- नंदीघोष रथ (जगन्नाथ): ऊँचाई 45 फीट, 16 पहिए, लाल-पीला रंग, गरुड़ ध्वज।
- तलध्वज रथ (बलराम): ऊँचाई 44 फीट, 14 पहिए, लाल-हरा रंग, तलवार ध्वज।
- दर्पदलन रथ (सुभद्रा): ऊँचाई 43 फीट, 12 पहिए, लाल-काला रंग, कमल ध्वज।
महाप्रसाद और रसोई चमत्कार
पुरी मंदिर की रसोई विश्व की सबसे बड़ी है:
- ऊपरी हांडी पहले पकती है – अद्भुत प्रक्रिया।
- 56 प्रकार का भोग प्रतिदिन बनता है।
- महाप्रसाद सभी को समान रूप से दिया जाता है।
♂️ नवकलेवर परंपरा – जब मूर्तियाँ बदलती हैं
- हर 12-19 वर्षों में मूर्तियाँ बदली जाती हैं।
- विशेष नीम वृक्ष चुना जाता है।
- ‘ब्रह्म तत्व’ का गोपनीय स्थानांतरण होता है।
रहस्यमयी तथ्य
- मंदिर की छाया ज़मीन पर नहीं पड़ती।
- ध्वज हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
- कोई पक्षी मंदिर पर नहीं बैठता।
- सुदर्शन चक्र हर दिशा से सामने दिखता है।
- मंदिर के अंदर समुद्र की आवाज नहीं सुनाई देती।
️ जगन्नाथ संप्रदाय और सामाजिक समरसता
जगन्नाथ जी को सभी धार्मिक पंथों द्वारा पूजा जाता है — वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध। रथ खींचने और महाप्रसाद ग्रहण करने में कोई जाति भेद नहीं।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और वैश्विक मान्यता
- UNESCO द्वारा सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता।
- अमेरिका, इंग्लैंड, रूस, जापान आदि में भी रथ यात्राएं।
- ISKCON द्वारा वैश्विक पहचान।
निष्कर्ष: रथ यात्रा का आत्मिक संदेश
पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा भक्ति, सेवा और समानता का प्रतीक है। यह हमें सिखाती है कि ईश्वर सीमित नहीं, वे स्वयं भक्तों के पास आते हैं। यह यात्रा आत्मा और समाज को जोड़ने वाली कड़ी है।
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