इतिहास: हिन्दुओं के साथ किया गया बड़ा धोखा !!

इतिहास में रक्षाबंधन के नाम पर हिन्दुओं के साथ किया गया बड़ा धोखा ! पूरा लेख अवश्य पढ़ें….

 

 

31 August 2023

 

🚩बचपन से हमें पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता रहा है,कि रक्षाबंधन के त्योहार पर बहनें अपने भाई को राखी बांध कर उनकी लम्बी आयु की कामना करती हैं। रक्षाबंधन का सबसे प्रचलित उदाहरण चितौड़ की रानी कर्णावती और मुगल बादशाह हुमायूँ का दिया जाता है। कहा जाता है, कि जब गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर हमला किया तब चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूँ को पत्र लिख कर सहायता करने का निवेदन किया। पत्र के साथ रानी ने भाई समझ कर राखी भी भेजी थी। हुमायूँ रानी की रक्षा के लिए आया मगर तब तक देर हो चुकी थी। रानी ने जौहर कर आत्महत्या कर ली थी। इस इतिहास को हिन्दू-मुस्लिम एकता के तौर पर पढ़ाया जाता है।

 

🚩अब सेक्युलर घोटाला पढ़िए

 

🚩हमारे देश का इतिहास सेक्युलर इतिहासकारों ने लिखा है। भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम थे। जिन्हें साम्यवादी विचारधारा के नेहरू ने सख्त हिदायत देकर यह कहा था कि जो भी इतिहास पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये उस इतिहास में यह न पढ़ाया जाये कि मुस्लिम हमलावरों ने हिन्दू मंदिरों को तोड़ा, हिन्दुओं को जबरन धर्मान्तरित किया, उनपर अनेक अत्याचार किये। मौलाना ने नेहरू की सलाह को मानते हुए न केवल सत्य इतिहास को छुपाया अपितु उसे विकृत भी कर दिया।

 

🚩रानी कर्णावती और मुगल बादशाह हुमायूँ के किस्से के साथ भी यही अत्याचार हुआ। जब रानी को पता चला कि बहादुर शाह उसपर हमला करने वाला है तो उसने हुमायूँ को पत्र तो लिखा। मगर हुमायूँ को पत्र लिखे जाने का बहादुर शाह को पता चल गया। बहादुर शाह ने हुमायूँ को पत्र लिखकर इस्लाम की दुहाई दी और एक काफिर की सहायता करने से रोका।

मिरात-ए-सिकंदरी में गुजरात विषय में पृष्ठ संख्या 382 पर लिखा मिलता है-

 

🚩सुल्तान के पत्र का हुमायूँ पर बुरा प्रभाव हुआ। वह आगरे से चित्तौड़ के लिए निकल गया था। अभी वह ग्वालियर ही पहुंचा था। उसे विचार आया, “सुल्तान चित्तौड़ पर हमला करने जा रहा है। अगर मैंने चित्तौड़ की मदद की तो मैं एक प्रकार से एक काफ़िर की मदद करूँगा। इस्लाम के अनुसार काफ़िर की मदद करना हराम है। इसलिए देरी करना सबसे सही रहेगा।” यह विचार कर हुमायूँ ग्वालियर में ही रुक गया और आगे नहीं सरका।

 

🚩इधर बहादुर शाह ने जब चित्तौड़ को घेर लिया। रानी ने पूरी वीरता से उसका सामना किया। हुमायूँ का कोई नामोनिशान नहीं था। अंत में जौहर करने का फैसला हुआ। किले के दरवाजे खोल दिए गए। केसरिया बाना पहनकर पुरुष युद्ध के लिए उतर गए। पीछे से राजपूत वीरांगनाएं जौहर की आग में कूद गईं। रानी कर्णावती 13000 स्त्रियों के साथ जौहर में कूद गईं। 3000 छोटे बच्चों को कुएँ और खाई में फेंक दिया गया ताकि वे मुसलमानों के हाथ न लगे। कुल मिलकर 32000 निर्दोष हिन्दुओं को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा।

 

🚩बहादुर शाह किले में लूटपाट कर वापिस चला गया। हुमायूँ चित्तौड़ आया। मगर पूरे एक वर्ष के बाद आया। परन्तु किसलिए आया? अपने वार्षिक लगान को इकठ्ठा करने आया।

ध्यान दीजियेगा… यही हुमायूँ जब शेरशाह सूरी के डर से रेगिस्तान की धूल छानता फिर रहा था। तब उमरकोट सिंध के हिन्दू राजपूत राणा ने हुमायूँ को आश्रय दिया था। यहीं उमरकोट में अकबर का जन्म हुआ था। एक काफ़िर का आश्रय लेते हुमायूँ को कभी इस्लाम याद नहीं आया।

 

🚩और धिक्कार है ऐसे राणा पर… जिसने अपने हिन्दू राजपूत रियासत चित्तौड़ से दगा करने वाले हुमायूँ को आश्रय दिया। अगर हुमायूँ वहीं रेगिस्तानों में मर जाता , तो शायद भारत से मुग़ल साम्राज्य का अंत तभी हो गया होता ।

और ना ही आगे चलकर अकबर से लेकर औरंगज़ेब तक के अत्याचार हिन्दुओं को सहने पड़ते।

 

🚩यहां यह भी याद दिलाना जरूरी है , कि यह हुमायूँ उसी बाबर का बेटा , जिसने न जाने कितने हजारों मन्दिरों को विध्वंस करवाया । हिन्दुओ पर कहर बनकर बरसा और हिन्दू महिलाओं पर अत्याचार, बलात्कार किया/ करवाया । इसी बाबर ने अयोध्या जी स्थित भगवान श्री राम के जन्मभूमि को हड़प कर , मन्दिर को नष्ट कर वहां बाबरी मस्जिद खड़ी कर दी थी ।

 

🚩इरफ़ान हबीब, रोमिला थापर सरीखे इतिहासकारों ने इतिहास का केवल विकृतिकरण ही नहीं किया अपितु यह कहना ही उचित होगा कि , उसका पूरा बलात्कार ही कर दिया।

 

🚩हुमायूँ द्वारा इस्लाम के नाम पर की गई दगाबाजी को हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाईचारे का जामा पहनाने के लिए, रक्षाबंधन जैसे परम् पवित्र त्यौहार का नाम भी बड़ी कुटिलता से इस बनावटी कहानी में जोड़ दिया गया ।

 

🚩हमारे पाठ्यक्रम में बचपन से ही ऐसा सब कचरा पढ़ा-पढ़ा कर हिन्दू बच्चों को इतना भ्रमित किया गया , कि उन्हें कभी सत्य का ज्ञान ही न हुआ और अगर कोई सच्चाई सुनाए भी तो विश्वास ही न आए ।

 

🚩 विड़बना ही है कि आज हिन्दुओं के बच्चे दिल्ली में उसी धोखेबाज और अहसानफरामोश हुमायूँ के मकबरे के दर्शन करने जाते हैं। जहाँ पर गाईड भी उन्हें हुमायूँ को हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक के रूप में बताता हैं।

 

🚩इस लेख को आज रक्षाबंधन के दिन इतना फैलाएं, इतना फैलाएं कि देशभर में दीमक की तरह चिपके हुए और नासूर की तरह सड़न फैलाने वाले सेक्युलर घोटालेबाजों तक भी यह अवश्य अवश्य पहुंच जाए।

सत्य सनातनधर्म की जय हो !!

जय हिन्द ! जय भारत माता !!

 

-डॉ. विवेक आर्य

 

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