हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ कब तक? अब आर्थिक बहिष्कार अपरिहार्य …

20 अक्टूबर 2021

azaadbharat.org

इस बार अपने विज्ञापन से हिंदुओं को उकसाने की जिम्मेदारी फैब इंडिया ने ले ली। कंपनी ने कपड़ों के एक कलेक्शन के विज्ञापन में दीपावली को जश्न-ए-रिवाज बताया। अब दीपावली को जश्न-ए-रिवाज क्यों कहा गया यह तो विज्ञापन बनाने वाले ही जानें पर इसका परिणाम यह हुआ कि सोशल मीडिया पर लोगों ने हर बार की तरह इस हिंदू विरोधी विज्ञापन पर भी अलग-अलग तरीके से अपना विरोध दर्ज कराया। जैसा पहले के विज्ञापनों के साथ हुआ, वैसा ही इस बार भी हुआ और फैब इंडिया ने विरोध को देखते हुए विज्ञापन हटा लिया पर यह आचरण फेक न्यूज़ फैलाने वाले उन पत्रकारों और संपादकों के आचरण जैसा है जो सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाकर बड़े आराम से अपनी पोस्ट डिलीट कर लेते हैं।

इसके पहले तनिष्क ने अपने विवादास्पद विज्ञापन से हिंदुओं को चिढ़ाने का काम किया था। मिंत्रा ने अपने एक विज्ञापन में द्रौपदी चीरहरण दिखाते हुए भगवान श्रीकृष्ण को एक्स्ट्रा लांग साड़ी खरीदते हुए दिखाया था। जावेद हबीब के सैलून चेन ने 2017 के दुर्गापूजा के समय जारी किये गए अपने एक विज्ञापन में माँ दुर्गा, गणेश, कार्तिक और सरस्वती को सैलून और स्पा में दिखाया था। अभी चल रहे सीएट टायर के आमिर खान वाले विज्ञापनों की मानें तो सड़कों का गलत इस्तेमाल केवल हिंदू करते हैं, चाहे बारात निकाल कर या मूर्तियों के साथ जुलूस निकाल कर। घरेलू हिंसा को लेकर जागरूकता की आड़ में हिंदुओं की देवियों को घरेलू हिंसा का शिकार दिखाने वाली संस्था सेव द चिल्ड्रेन ने भी यही किया था। इन सारे विज्ञापनों के विरुद्ध हिंदुओं ने अपना विरोध दर्ज कराया।

ऐसे विज्ञापनों या कैंपेन का हिंदुओं द्वारा विरोध किया जाता है तब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से लेकर क्रिएटिव फ्रीडम तक- सारे संभावित कुतर्क दिए जाते हैं। एक महा कुतर्क यह दिया जाता है कि विरोध करने वालों को क्रिएटिविटी की समझ नहीं है। प्रश्न यह है कि यदि ऐसे विज्ञापन बनाने वालों को हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं की समझ नहीं है तो हिंदुओं को उनकी तथाकथित क्रिएटिविटी की समझ होनी आवश्यक क्यों है? प्रश्न यह भी है कि क्रिएटिविटी के चक्कर में बार-बार धार्मिक भावनाएँ भड़काना आवश्यक क्यों है? सारी क्रिएटिविटी क्या हिंदू देवी-देवताओं के चित्रण में ही है? विज्ञापन बनाने वाले लोग इतने मूढ़ तो नहीं हैं जो समझते नहीं कि उनके बनाए ऐसे विज्ञापनों का क्या असर हो सकता है!

प्रश्न यह उठता है कि इन स्वनामधन्य ‘क्रिएटिव’ लोगों द्वारा कितने दिनों तक ऐसे विज्ञापनों का विरोध करने वाले हिंदुओं को क्रिएटिविटी के प्रति नासमझ बताकर काम चलाया जाएगा? कितने दिनों तक हिंदुओं के इस प्रश्न को नजरअंदाज किया जाएगा कि ये क्रिएटिव लोग अन्य धर्मों के देवी-देवताओं या मान्यताओं को लेकर अपनी क्रिएटिविटी का प्रदर्शन क्यों नहीं करते?

विरोध करने वाले हिंदुओं को लेकर एक बात बार-बार कही जाती है कि राजनीतिक कारणों से हिंदू असहिष्णु होता जा रहा है। अभी तक ऐसा हुआ नहीं है पर यह भी सच है कि हजारों वर्षों से सहिष्णुता को एक सिद्धांत मानने वाला हिंदू यदि अपने इस सिद्धांत पर पुनर्विचार करता भी है तो इस बात से किसी को शिकायत क्यों होनी चाहिए? हर व्यक्ति, समूह या संस्था को यह अधिकार है कि वो अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए समय-समय पर आवश्यकतानुसार अपनी रणनीति बदले। जब तक यह रणनीति आधुनिक वैश्विक परिवेश के किसी कानून का उल्लंघन नहीं करती, उसके विरुद्ध शिकायत कहाँ तक जायज है? जहाँ तक राजनीतिक कारणों की बात है, यह बहस का विषय है।

आज हिंदुओं द्वारा उठाए जाने वाले जिन प्रश्नों को असहिष्णुता का नाम दिया जा रहा है, दरअसल वह दशकों से हिंदुओं के विरुद्ध सामाजिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक नैरेटिव से उपजे खीज का नतीजा है। दशकों तक ख़ास हाथों के नियंत्रण में रहने वाला नैरेटिव आज उन्हीं हाथों से फिसल रहा है तो उसे हिंदुओं की असहिष्णुता का नाम दिया जा रहा है।

पिछले लगभग एक दशक से हिंदुओं पर असहिष्णु होने के आरोप लगते रहे हैं। आरोप लगाने वालों में ऐसे लोग और समूह भी हैं जो हजारों वर्षों से स्वीकृत लिंगभेद तक को कुछ भी करके नष्ट करने पर उतारू हैं क्योंकि उन्हें या तो सभी स्थापित मान्यताओं का नाश करना है या फिर अपने अस्तित्व पर खतरा दिखाई देता है। ऐसे में यदि अपने अस्तित्व को लेकर हिंदू जागरूक हो रहा है तो उसमें आश्चर्य कैसा? वैसे भी हिंदुओं का विरोध मौखिक या लिखित है। सारी असहिष्णुता दिखाने का आरोपित हिंदू भारी भीड़ जुटाने, आगजनी या किसी का गला काटने का काम नहीं करता। अपने विरुद्ध किए जाने वाले प्रोपेगंडा और चलाए जाने वाले एजेंडा के विरुद्ध आज भी उसका सबसे बड़ा हथियार आर्थिक विरोध है और इसके लिए उसका आभार प्रकट किया जाना चाहिए।

Official  Links:

Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan

facebook.com/ojaswihindustan

youtube.com/AzaadBharatOrg

twitter.com/AzaadBharatOrg

.instagram.com/AzaadBharatOrg

Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ