20 May 2023
🚩हिंदू धर्म विश्व का सबसे पुराना धर्म है। इसको सनातन धर्म भी कहते हैं। इसके विचारों और संस्कृति से दुनिया में कई लोग बहुत प्रभावित रहे हैं। इसकी शांति और अहिंसा जैसे तत्वों को दुनिया भर में अपनाने वाले लोगों की संख्या लाखों में है। लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं जो बाकायदा इस धर्म से प्रभावित होकर इसकी दीक्षा ले लेते हैं। हर साल हिंदू धर्म अपनाने वाले लोगों में बहुत से बुद्धिजीवी भी शामिल होते हैं।
🚩रूस के मनोचिकित्सक (Psychiatrist) एंटोन एंड्रीव (Anton Andreev) हिंदू बन गए हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में तंत्र दीक्षा लेकर हिंदू धर्म अपनाया है। कई वर्षों की कोशिशों के बाद एंड्रीव तंत्र दीक्षा पूरी कर पाए हैं। काशी के शिवाला स्थित वाग्योग चेतना पीठम में गुरुवार (18 मई 2023) को खास अनुष्ठान आयोजित किया गया। इस दौरान एंटोन को गुरु मंत्र के साथ नया नाम ‘अनंतानंद नाथ’ मिला। उन्हें कश्यप गोत्र मिला है।
🚩सेंटपीट्सबर्ग में रहने वाले मनोचिकित्सक एंटोन एंड्रीव को शुरुआत से ही हिंदू संस्कृति से लगाव था। उन्होंने तंत्र विद्या की अदृश्य शक्तियों के बारे में पढ़ा था। उन्हें भी कुंडलिनी जागृत कर तंत्र विद्या प्राप्त करने की इच्छा हुई। काफी रिसर्च के बाद एंटोन को वाराणसी के वागीश शास्त्री के बारे में जानकारी मिली। जनवरी 2015 में एंटोन भारत आए और वागीश शास्त्री से तंत्र विद्या की शिक्षा लेने की इच्छा जताई। एंटोन इस दौरान जरूरी मानकों को पूरा नहीं कर पाए और कुंडलिनी जागृत नहीं हो सकी। इसके बाद वे रूस लौट गए।
🚩एंटोन साल 2016 में दोबारा भारत पहुँचे। उनकी कक्षाएँ पूरी नहीं हो सकीं। साल 2022 में गुरु वागीश शास्त्री का निधन हो गया। 25 अप्रैल 2023 को एंटोन अपनी इच्छा लिए पंडित आशापति शास्त्री के पास पहुँचे। यहाँ उन्होंने कुंडलिनी जागृत करने की शिक्षा ली। 10 दिनों के अभ्यास और 5 दिनों के स्वतंत्र ध्यान के दौरान एंड्रीव ने माँ तारा शक्ति (माता काली का एक रूप) का ध्यान किया।
🚩मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एंटोन एंड्रीव ने पंडित आशापति से आगे की शिक्षा लेने की इच्छा जाहिर की। पंडित आशापति ने उन्हें अपने इष्ट देव का ध्यान करने के लिए कहा। कई घंटों के ध्यान के बाद तारापीठ में उन्हें देवी की छाया का आभास हुआ। पंडित आशापति ने आगे की गोपनीय बातों की जानकारी नहीं दी। पंडित आशापति के अनुसार आध्यात्मिक रूप से तैयार होने के बाद रूस के मनोचिकित्सक को गुरु दीक्षा दी गई।
🚩पंडित आशापति बताते हैं कि तंत्र विद्या प्राप्त करने के लिए कुंडलिनी जागृत करना आवश्यक है। अलग-अलग लोगों को कुंडलिनी जागृत करने में अलग-अलग समय लगता है। कुछ लोग इसे 10 दिन में जागृत कर लेते हैं तो कुछ को सालों का अभ्यास करना पड़ता है। कुंडलिनी जागृत करने का अर्थ यह नहीं है कि अब वह व्यक्ति सर्वशक्तिमान हो गया है। इसका अर्थ है कि अब वह व्यक्ति तंत्र साधना के लिए तैयार है।
🚩पंडित आशापति शास्त्री की मानें तो दीक्षा लेने वालों में रूस और यूक्रेन के लोगों की संख्या सबसे अधिक है। मुस्लिम और अन्य क्रिश्चियन देशों के भी लोग गुरुदीक्षा लेते रहते हैं। उन्होंने बताया कि मठ से अब तक 80 देशों के 15 हजार विदेशी शिष्य दीक्षा ले चुके हैं।
🚩हिंदू संस्कृति के प्रति विश्वभर के महान विद्वान की अगाध श्रद्धा अकारण नहीं रही है। इस संस्कृति की उस आदर्श आचार संहिता ने समस्त वसुधा को आध्यात्मिक एवं भौतिक उन्नति से पूर्ण किया, जिसे हिन्दुत्व के नाम से जाना जाता है।
🚩हिन्दू धर्म का यह पूरा वर्णन नही है इससे भी कई गुणा ज्यादा महिमा है क्योंकि हिन्दू धर्म सनातन धर्म है इसके बारे में संसार की कोई कलम पूरा वर्णन नही कर सकती । आखिर में हिन्दू धर्म का श्लोक लिखकर विराम देते हैं।
🚩सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः
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