क्या हनुमान जी का विवाह हुआ था? जानिए इस अनसुनी कथा को!

24 March 2025

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क्या हनुमान जी का विवाह हुआ था? जानिए इस अनसुनी कथा को!

 

जब भी हम हनुमान जी के बारे में सोचते हैं, तो हमारे मन में उनकी छवि एक बलशाली, ज्ञानवान और बाल ब्रह्मचारी के रूप में उभरती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी का विवाह हुआ था?

 

हाँ, आपने सही पढ़ा! हनुमान जी ने विवाह किया था, और वह भी एक विशेष कारण से! इस रहस्य को जानकर आप भी आश्चर्यचकित रह जाएंगे!

 

तो आइए, इस अद्भुत कथा को विस्तार से जानते हैं और इसका रहस्य खोलते हैं!

 

हनुमान जी और भगवान सूर्य की गुरु-शिष्य परंपरा

 

हनुमान जी को बचपन से ही ज्ञान अर्जन की बहुत रुचि थी। वे केवल बल और पराक्रम के नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता और आध्यात्मिक ज्ञान के भी प्रतीक हैं।

 

जब हनुमान जी ने सभी शास्त्रों और विद्याओं को सीखने का निश्चय किया, तब उन्होंने भगवान सूर्य को अपना गुरु बनाने का संकल्प लिया।

 

लेकिन समस्या यह थी…

 

भगवान सूर्य के पास नौ महान विद्याओं का ज्ञान था, लेकिन उन सभी को सीखने के लिए एक विशेष शर्त थी!

 

भगवान सूर्य ने कहा:

 

“हे वानरवीर! मैं तुम्हें सभी विद्याएँ सिखाने के लिए तैयार हूँ, लेकिन इनमें से कुछ गूढ़ विद्याएँ केवल गृहस्थ पुरुष को ही सिखाई जा सकती हैं।”

 

हनुमान जी यह सुनकर चौंक गए!

 

“गृहस्थ? लेकिन मैं तो आजन्म ब्रह्मचारी हूँ!”

 

अब हनुमान जी धर्मसंकट में पड़ गए।

 

हनुमान जी का विवाह देवी सुवर्चला से

 

भगवान सूर्य ने कहा –

“हे हनुमान! मेरी पुत्री सुवर्चला एक महान तपस्विनी और तेजस्विनी हैं। इस ब्रह्मांड में केवल तुम ही उनके दिव्य तेज को सहन कर सकते हो। यदि तुम उनसे विवाह करोगे, तो तुम्हारा ब्रह्मचर्य भंग नहीं होगा, क्योंकि विवाह के बाद भी वे पुनः तपस्या में लीन हो जाएँगी।”

 

तो यह विवाह केवल एक आध्यात्मिक कर्तव्य था, ना कि सांसारिक बंधन!

 

हनुमान जी ने गुरु की आज्ञा स्वीकार कर ली, और इस तरह उन्होंने देवी सुवर्चला से विवाह किया।

 

लेकिन विवाह के तुरंत बाद ही माता सुवर्चला पुनः तपस्या में लीन हो गईं, और हनुमान जी ने बाकी विद्याओं को सीखने की यात्रा शुरू कर दी।

 

इस प्रकार, हनुमान जी ने विवाह भी किया और ब्रह्मचर्य का पालन भी किया।

 

कहाँ होती है हनुमान जी और सुवर्चला माता की पूजा?

 

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि तेलंगाना के खम्मम जिले  में एक मंदिर स्थित है, जहाँ हनुमान जी और माता सुवर्चला की पूजा की जाती है।

 

यह मंदिर उनकी आध्यात्मिक गृहस्थ परंपरा का प्रमाण है, और वहाँ हनुमान जी को पति रूप में भी पूजा जाता है!

 

हनुमान जी के विवाह से हमें क्या सीख मिलती है?

 

ज्ञान अर्जन के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।

हर कार्य का एक उद्देश्य होता है, और हनुमान जी का विवाह केवल ज्ञान प्राप्ति के लिए हुआ था।

ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल अविवाहित रहना नहीं, बल्कि आत्मसंयम और तपस्या भी है।

 

निष्कर्ष: हनुमान जी का ब्रह्मचर्य कभी भंग नहीं हुआ!

 

हनुमान जी का विवाह एक विशेष आध्यात्मिक उद्देश्य के लिए हुआ था, ना कि सांसारिक जीवन जीने के लिए।

विवाह के तुरंत बाद माता सुवर्चला तपस्या में लीन हो गईं, और हनुमान जी ने समस्त नौ विद्याओं को प्राप्त किया।

इस तरह, हनुमान जी ने गृहस्थ धर्म का पालन भी किया और ब्रह्मचर्य को भी बनाए रखा।

 

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