21 November 2024
हिंदुओं के हवाले कर दें तिरुपति समेत सभी मंदिर
भारत की संस्कृति और परंपराएं प्राचीन काल से ही विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत रही हैं। इनमें हिंदू मंदिरों का विशेष स्थान है। तिरुपति बालाजी मंदिर, सोमनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर और ऐसे ही अनेक प्रतिष्ठित मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र हैं, बल्कि हमारी सभ्यता, संस्कृति और आस्था के स्तंभ भी हैं। परंतु यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज कई मंदिर सरकारी नियंत्रण में हैं, जिसके कारण इनका संचालन और प्रबंधन हिंदू धर्म और संस्कृति के अनुरूप नहीं हो पा रहा है।
सरकारी हस्तक्षेप के कारण इन मंदिरों की आय का उपयोग कभी-कभी उन कार्यों में हो जाता है जो हिंदू धर्म और समाज के लिए उपयुक्त नहीं होते। यह स्थिति न केवल धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है, बल्कि एक समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।
मंदिरों को सरकारी कब्जे से मुक्त करें
भारतीय संविधान के अनुसार, धर्मनिरपेक्षता (सेक्युलरिज़्म) का अर्थ है कि सरकार सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण रखेगी और किसी एक धर्म के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी। लेकिन यह देखना अजीब है कि हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में रखा जाता है, जबकि अन्य धर्मों के धार्मिक स्थलों को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है।
सरकारी कब्जे के कारण मंदिरों की आय का उपयोग कई बार अनावश्यक प्रशासनिक कार्यों या गैर-धार्मिक कार्यों में हो जाता है। जबकि यह आय मंदिरों के विकास, धार्मिक अनुष्ठानों, और समाज कल्याण के लिए प्रयोग होनी चाहिए।
मंदिरों के सरकारी कब्जे को खत्म करके इन्हें हिंदू समाज को सौंप देना चाहिए। इससे न केवल मंदिरों का प्रबंधन अधिक पारदर्शी और प्रभावी होगा, बल्कि धर्म और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी सहायता मिलेगी।
मंदिर प्रबंधन में सरकार, राजनीति और गैर-हिंदुओं का हस्तक्षेप समाप्त करें
मंदिरों का संचालन और प्रबंधन पूरी तरह से धार्मिक और सांस्कृतिक कार्य है। इसमें सरकार, राजनीतिक हस्तियों और गैर-हिंदुओं का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
️धार्मिक स्वतंत्रता: हर धर्म को अपने धार्मिक स्थलों का प्रबंधन करने का अधिकार होना चाहिए।
️संस्कृति का संरक्षण: हिंदू मंदिर हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। इनका संरक्षण और संचालन केवल उन्हीं के हाथों में होना चाहिए जो इसके महत्व और परंपराओं को समझते हैं।
️पारदर्शिता: मंदिरों का प्रबंधन हिंदू समाज के योग्य व्यक्तियों द्वारा किया जाना चाहिए ताकि आय और अन्य संसाधनों का उपयोग सही कार्यों में हो।
निष्कर्ष
तिरुपति समेत सभी हिंदू मंदिरों को हिंदू समाज के हवाले करना न केवल धार्मिक स्वतंत्रता की दृष्टि से उचित है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक जिम्मेदारी भी है। सरकार को इन मंदिरों को हिंदू समाज के नियंत्रण में सौंपकर अपनी धर्मनिरपेक्षता की सच्ची भावना को प्रकट करना चाहिए। इससे न केवल हिंदू समाज सशक्त होगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराएं भी संरक्षित और सुदृढ़ होंगी।
“मंदिरों को सरकारी कब्जे से मुक्त कर, उन्हें उनकी वास्तविक धरोहर और उद्देश्य के लिए पुनः समर्पित करना, हर भारतीय का कर्तव्य है।”
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