05 नवम्बर 2019
*गौ माता की इतनी महानता है कि पृथ्वी को कागज और सागर को स्याही बनाकर लिखा जाए तो भी पूर्ण नहीं हो सकती।*
*गौ माता देश की रीढ़ की हड्डी है, लेकिन भारत का दुर्भाग्य है कि राजनीति के लिए गौ-माता का मुद्दा उठाया जाता है, लेकिन उसकी रक्षा के लिए कुछ किया नहीं जा रहा है ।*
*आपको बता दें कि गोपाष्टमी के पर्व पर हिंदू संत आशाराम बापू के अनुयायियों द्वारा हजारों ट्वीट्स के माध्यम से गौरक्षा की मांग की गई थी ।*
*बापू आसारामजी आश्रम द्वारा बताया गया कि बापू आसारामजी ने कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाकर भारतभर में अनेक गौशालाएं खोली हैं और वहां हजारों ऐसी गायें हैं जो दूध नहीं देती हैं फिर भी उनका पालन-पोषण व्यवस्थित ढंग से किया जाता है ।*
*आश्रम द्वारा बताया गया कि बापू आसारामजी के मार्गदर्शन के अनुसार आश्रम, समितियाँ, युवा सेवा संघ, महिला मंडल एवं उनके असंख्य शिष्यों द्वारा उनके निर्देशानुसार गोपाष्टमी पर्व पर हर साल देशभर में विशाल स्तर पर मनाया जाता है ।*
*इस साल भी आश्रम, समितियों, युवा सेवा संघ, महिला उत्थान मंडल एवं बापू आसारामजी के असंख्य शिष्यों द्वारा गोपाष्टमी पर्व पर गौशालाओं के अलावा गाँव-गाँव जाकर गायों का पूजन करके पुष्टिवर्धक लड्डू खिलाया गया और अनुदान दिया गया और गौ-रक्षा यात्राएँ निकालकर लोगों को गौ-रक्षा एवं गौसेवा के लिए प्रेरित किया गया ।*
*इस दिन गौसेवा के विभिन्न वार्षिक सेवा-अभियानों का नवीनीकरण करके आगामी वर्ष के लिए संकल्प भी किया गया ।*
*बताया गया कि जिस दिन भारतवासी गौ का सम्मान, गंगा का महत्त्व और गीता का ज्ञान अंगीकार कर लेंगे, उस दिन विश्व के शिखर पर पहुँचने का भारत का स्वप्न साकार हो जायेगा । गौ-हत्या को रोकने के लिए हर व्यक्ति को अपने स्तर पर पहल करनी होगी ।*
*इसके लिए आज से ही संकल्प करें :*
*1). गाय के चमड़े व चर्बी से बनी वस्तुओं, जैसे – बेल्ट, पर्स, कपड़े, जूते आदि का उपयोग नहीं करेंगे । देशी गाय का दूध खरीदेंगे तथा उसके घी, झरण व गोबर से बने उत्पादों, जैसे – फिनायल, धूपबती, औषधि आदि का उपयोग करेंगे तथा दुकानों में माँग करेंगे ।*
*2). स्वयं गौ-पालन करेंगे तथा अन्य लोगों को भी गौ-पालन के लिए प्रेरित करेंगे क्योंकि गाय के शरीर में सूर्य की गौ-किरण शोषित करने की अद्भुत शक्ति होने से उसके दूध, घी, झरण आदि में स्वर्णक्षार पाये जाते हैं जो आरोग्य व प्रसन्नता के लिए ईश्वरीय वरदान हैं । पुण्य व स्वकल्याण चाहनेवाले मनुष्यों को गौ-सेवा अवश्य करनी चाहिए ।*
*बता दें कि बापू आसारामजी के द्वारा वर्षभर गायों के लिए कुछ न कुछ सेवाकार्य चलते ही रहते हैं तथा गौसेवा हेतु अपने करोड़ों शिष्यों एवं समाज को प्रेरित करने वाले उपदेश उनके प्रवचनों का अभिन्न अंग रहे हैं। उनके निर्देशानुसार गोपाष्टमी व अन्य पर्वों पर गौशालाओं में तथा गाँवों में घर-घर जाकर गायों को उनका प्रिय व पौष्टिक आहार खिलाया जाता है। उनकी सेवा, पूजा व परिक्रमा कर चरणरज सिर पर लगायी जाती है।*
*मीडिया ने उनके लिए अनेक झूठी कहानियां बनाकर दिखाई, लेकिन गौमाता के लिए इतने बड़े सेवाकार्य चल रहे हैं, उससे संबंधित एक लाइन भी मीडिया में नहीं दिखाई दी इसलिए जनता मीडिया को बिकाऊ मीडिया कहने लगी है।*
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