20 जनवरी 2019
भारतीय संस्कृति व्यक्ति, समाज, देश का कल्याण हो उसके हित में अनेक नियम बनाए थे जिसके कारण व्यक्ति स्वथ्य, सुखी और सम्म्मानित जीवन जी सकता है और समाज देश में सुख शांति और धन संपत्ति बने रहेगी क्योंकि व्यक्ति में अच्छे संस्कार होने पर ही देश और समाज सुरक्षित रहेंगे ।
भारतीय परम्पराओं को तोड़ने की रीति सदियों से चलती आ रही है क्योंकि दुष्ट, राक्षसी व्यक्ति को सज्जन पसन्द नहीं आते हैं इसलिए उनको हानि पहुँचाने की कोशिश करते रहते हैं, भारत में पहले मुगलों ने और बाद में अंग्रेजों ने यही काम किया, लेकिन पूर्ण सफल नहीं हो पाए अब उनके बनाये कानून जो अब तक चल रहे हैं उनके तहत भी यही हो रहा है, सबरीमाला, जलीकट्टू , दही हांडी आदि भारतीय त्यौहार पर रोक लगाना समलैंगिगता और व्यभिचार पर छूट अब डांसबार में अश्लील डांस कर सकते हैं, दारू पी सकते हैं और धार्मिक स्थलों के पास डांसबार खोल सकते हैं ये सब भारतीय संस्कृति पर कुठाराघत है और पाश्चात्य संस्कृति थोपने की तैयारी की जा रही है जो मानवजाति के लिए भयंकर अभिशाप है ।
वासना की आग में डान्सबाररूपी तेल गिरकर लाखों जिंदगीयां तथा संसार उद्ध्वस्त हो जाएंगे और यह सब शांतता से देखने के अलावा कोर्इ दुसरा मार्ग नहीं बचेगा, ऐसा जनता को लगें तो इसमें गलत कुछ नहीं होगा !
न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने महाराष्ट्र के होटल, रेस्तरां और बार रूम में अश्लील नृत्य पर प्रतिबंध और महिलाओं की गरिमा की रक्षा संबंधी कानून, 2016 के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया है ।
न्यायालय ने डांस बार में अपनी कला का प्रदर्शन करनेवालों को टिप के भुगतान की तो अनुमति दी परंतु कहा कि उन पर पैसे लुटाने की अनुमति नहीं दी जा सकती ! शीर्ष न्यायालय ने धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थाओं से एक किलोमीटर दूर डांस बार खोलने की अनिवार्यता संबंधी प्रावधान निरस्त कर दिया !
अपने निर्णय में न्यायालय ने कहा, ‘डांस बार पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता । महाराष्ट्र में साल 2005 के बाद से कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है । इनके लिए नियम बनाए जा सकते हैं किंतु पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता !’
न्यायालय ने इस प्रावधान को रद्द कर दिया कि महाराष्ट्र में डांस बार धार्मिक स्थानों और शैक्षणिक संस्थानों से एक किलोमीटर दूर होने चाहिए । न्यायालय ने सरकार के उस नियम को बरकरार रखा है जिसमें कहा गया है कि बार डांस में काम करनेवाली महिलाओं का कांट्रैक्ट होना चाहिए ताकि उनका शोषण न हो । हालांकि बार डांसरों को प्रतिमाह तनख्वाह देने के नियम को खारिज कर दिया है । इसके अलावा न्यायालय ने उस नियम को भी खारिज कर दिया है जिसमें डांसिग स्टेज पर शराब न परोसने का नियम था ।
न्यायालय ने यह फैसला महाराष्ट्र में डांस बार के लाइसेंस एवं संचालन पर प्रतिबंध लगानेवाले 2016 के महाराष्ट्र कानून के कुछ प्रावधानों में संशोधन पर दिया है । इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था । सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने कहा था कि नया कानून संवैधानिक दायरे में आने के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियों और महिलाओं का शोषण भी रोकता है !
राज्य सरकार के नए अधिनियम को इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी । सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि समय के साथ अश्लील डांस की परिभाषा भी बदल रही है और ऐसा लगता है कि मुंबई में मोरल पुलिसिंग हो रही है ! स्त्रोत : अमर उजाला
भारत में अगर धार्मिक स्थलों व् शैक्षणिक संस्थानों के पास डांस बार खोलेंगे तो व्यक्ति के अंदर अच्छे संस्कार की जगह बुरे संस्कार ही पढ़ेंगे और अश्लील डांस करेंगे व देखेंगे और शराब पियेंगे तो बलात्कार की घटनाएं बढ़ेंगे, एक्सीडेन्ट होने की संभावनाएं बढ़ेगी इसलिए महाराष्ट्र की विश्वप्रसिद्ध संत परंपरा को ध्यान में लेकर भाजपा सरकार को डान्सबार पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु कानून लाना चाहिए ।
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न्यायलय की भारतीय संस्कृती पर आघात करने की पराकाष्ठा हो चुकी है !
अब हिन्दुओ को अपनी संस्कृति बचाने के लिए एक होना पड़ेगा भारत की भ्रष्ट न्यायव्यवस्था को हिन्दुओ की शक्ति से अवगत कराना होगा !
भारतीय परम्पराओं को तोड़ने की रीति सदियों से चलती आ रही है क्योंकि दुष्ट, राक्षसी व्यक्ति को सज्जन पसन्द नहीं आते हैं इसलिए उनको हानि पहुँचाने की कोशिश करते रहते हैं, भारत में पहले मुगलों ने और बाद में अंग्रेजों ने यही काम किया, लेकिन पूर्ण सफल नहीं हो पाए अ
अब तो सीमा लांघ रही है न्याय प्रणाली।
Yes galat ho raha he
It’s our unfortunity that we are alive to see
these types of things happening
One more anti-Hindu Collusion in India .