बगल में छोरा, शहर में ढिंढोरा

22 August 2024

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बगल में छोरा, शहर में ढिंढोरा…

दुनियां भर की ताकत का भंडार आपके बगल में है और एक आप है कि दुनियां भर में तलाश कर रहे है…

 

 

ये कमाल का पौधा आपके आसपास, बगल में लगा हुआ है, लेकिन लोग ड्राई फ्रूट, दवाओं और छायादार वृक्षों के पीछे भाग रहे है। ये अकेला वृक्ष कॉम्बो पैक है साहब जो अपने आप में एक इकोसिस्टम है।वैसे, गूलर यानी उमर के विषय में एक कहावत है…

 

आंखी देख के माखी न निगली जाए!

सहगी ऊमर फोड़ खे न खाय!!

इस देशी कहावत के अनुसार अगर ऊमर/गूलर को फोड़कर खाया जाए तो हवा लगते ही इस में कीड़े पड़ जाते है। इसलिए इसे बिना फोड़े ही खाया जाता है। लेकिन सच तो यह है, कि इसमें छोटे छोटे कीड़े (wasp) मौजूद रहते ही है। वनस्पति विज्ञान की भाषा में गूलर का फल हायपेन्थोडीयम कहलाता है, जिस में फूल/ पुष्पक्रम के आधारित भाग मिलकर एक बड़े कटोरे या बॉल जैसी संरचना बना लेते है।इस गोलाकार फल जैसी संरचना के भीतर कई नर और मादा पुष्प/ जननांग रहते है, जिनमें परागण और संयुग्मन के बाद बीज बन जाते है।

फल के परिपक्व होने के पहले उसपर विशेष प्रकार की मक्खी सहित कई कीटक प्रवेश कर जाते है। कई बार वे अपना जीवन चक्र भी यहीं पूर्ण करते है। जैसे ही फल टूटकर जमीन से टकराता है, यह फट जाता है और कीड़े मुक्त हो जाते है। ऐसा न भी हो तो कीट एक छिद्र करके बाहर निकल जाते है।

चलिए,अब चर्चा करते है, इसके औषधीय महत्व की। हमारे गाँव के बुजुर्गों के अनुसार इसके फलों को खाने से गजब की ताकत मिलती है और बुढापा थम सा जाता है। मतलब,अंजीर की तरह ही इसे भी प्रयोग किया जाता है। ऐसी कहावत है कि ऊमर के पेड़ के नीचे से बिना इसे खाए नहीं गुजर सकते है। इसकी छाल को जलाकर राख को कंजी के तेल के साथ पाइल्स के उपचार में प्रयोग करते है। दूध का प्रयोग चर्म रोगों में रामबाण माना जाता है। दाद होने पर उस स्थान पर इसका ताजा दूध लगाने से आराम मिलता है। कच्चे फल मधुमेह को समाप्त करने की ताकत रखते है। पेट खराब हो जाने पर इसके 4 पके फल खा लेना इलाज की गारंटी माना जाता है।

वहीं एक ओर इसके पेड़ को घर पर या गाँव में लगाना वर्जित है, शायद भूतों से इसे जोड़ते है। लेकिन, वास्तव में यह दैत्य गुरु शुक्राचार्य का प्रतिनिधि है। वास्तु के अनुसार दूध और कांटे वाले पौधे घर पर लगाना उचित नहीं होता।

बुद्धिजीवियों का मानना है कि वास्तव में इसे पक्षियों और जानवरों के पोषण के लिए छोड़ने के लिए ऐसी मान्यताएं बना दी गई होगी, जिससे लोग इसके फलों और पेड़ का अत्यधिक दोहन न कर सकें। पक्षीयों के लिए तो यह वरदान है और पक्षी ही इसे फैलाते भी है। व्यवहारिक रूप से यह पक्षियों का पसंदीदा है तो पक्षियों की स्वतंत्रता के उद्देश्य से भी इसे घर से दूर लगाना सही प्रतीत होता है।

इसकी कोमल फलियों को सब्जियों के लिए भी प्रयोग किया जाता है, जो चिकित्सा का एक अनुप्रयोग है।

ऐसा कहा जाता है, कि दुनियां में किसी ने गूलर का फूल नहीं देखा है।

 

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