भ्रामरी प्राणायाम का मस्तिष्क पर वैज्ञानिक प्रभाव | विज्ञान से प्रमाणित योग तकनीक

20 June 2025

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भ्रामरी प्राणायाम का मस्तिष्क पर वैज्ञानिक प्रभाव: एक विस्तृत और अर्थपूर्ण लेख

‍♂️परिचय: योग की परंपरा भारत में हजारों वर्षों से चली आ रही है। इनमें से भ्रामरी प्राणायाम एक विशिष्ट श्वसन तकनीक है जो न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि इसके मस्तिष्क पर प्रभाव को विज्ञान भी प्रमाणित करता है।

भ्रामरी प्राणायाम का मस्तिष्क पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  • ध्वनि तरंगों का न्यूरो-स्टिमुलेशन: “ह्म्म्म…” ध्वनि Vagus nerve को उत्तेजित करती है जिससे Amygdala और Hippocampus शांत होते हैं।
  • ब्रेन वेव्स में बदलाव: अल्फा और गामा वेव्स की सक्रियता बढ़ती है, जो ध्यान, स्मृति और रचनात्मकता से संबंधित होती हैं।
  • तनाव और हार्मोन संतुलन: Cortisol स्तर घटता है, जबकि Serotonin व Dopamine में वृद्धि होती है।
  • नींद में सुधार: Melatonin सक्रिय होकर गहरी नींद लाता है।
  • माइग्रेन और सिरदर्द में राहत: Nitric Oxide के कारण रक्त प्रवाह बेहतर होता है और ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है।

प्रमुख वैज्ञानिक अध्ययन

  • AIIMS (2017): 3 सप्ताह में तनाव व BP में गिरावट।
  • IIT खड़गपुर व SVYASA: EEG द्वारा अल्फा वेव्स की पुष्टि।
  • Journal of Clinical Psychology (2020): अल्फा वेव्स में 35% वृद्धि।
  • International Journal of Yoga (2013): माइग्रेन लक्षणों में 50% तक राहत।

‍♂️ भ्रामरी प्राणायाम की विधि

  1. शांत स्थान पर बैठें, आंखें बंद करें।
  2. कान बंद करें, उंगलियों को आंखों व चेहरे पर रखें।
  3. नाक से धीरे-धीरे “ह्म्म्म…” ध्वनि निकालें।
  4. 5–10 बार दोहराएं।

नोट: सुबह खाली पेट या सोने से पहले करना लाभकारी होता है।

निष्कर्ष

भ्रामरी प्राणायाम एक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित योग तकनीक है जो तनाव, अवसाद, नींद, और मानसिक स्वास्थ्य में संपूर्ण सुधार लाती है। यह आत्म-उपचार का सरल और सशक्त माध्यम है।

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