पेनकिलर और एंटीबायोटिक से सावधान रहें: प्राकृतिक उपचार अपनाएं

23/October/2024

 

पेनकिलर और एंटीबायोटिक से सावधान रहें: प्राकृतिक उपचार अपनाएं

 

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में दर्द निवारक दवाइयों (पेनकिलर) और एंटीबायोटिक का इस्तेमाल आम हो गया है। हल्का सा सिरदर्द हो या कोई छोटी सी बीमारी, लोग बिना सोचे-समझे दवाओं का सहारा ले लेते है। हालांकि, पेनकिलर और एंटीबायोटिक की आवश्यकता कभी-कभी हो सकती है, लेकिन इनका नियमित उपयोग आपके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

 

पेनकिलर का अत्याधिक उपयोग – किडनी और लिवर पर प्रभाव

▪️अधिकांश पेनकिलर, जैसे पैरासिटामॉल, शरीर पर विषैले प्रभाव डालते है। इनका लगातार और अनावश्यक सेवन आपकी किडनी और लिवर को धीरे-धीरे खराब कर सकता है। किडनी के काम में बाधा उत्पन्न होती है और लिवर को पेनकिलर के विषैले तत्वों को साफ करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। यह समय के साथ गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है, जिनमें किडनी फेलियर और लिवर सिरोसिस जैसी समस्याएं शामिल है।

 

अक्सर लोग टी.वी. विज्ञापनों या दोस्तों की सलाह से तुरंत पेनकिलर लेने लगते है, लेकिन हमें इस बात को समझना चाहिए कि शरीर की प्राकृतिक हीलिंग प्रक्रिया को बाधित करना दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकता है। शरीर को समय दें और बिना जरूरत पेनकिलर का इस्तेमाल करने से बचें।

 

एंटीबायोटिक के जोखिम – इम्यून सिस्टम को नुकसान

एंटीबायोटिक दवाइयाँ बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए उपयोग की जाती है, लेकिन इनके अधिक उपयोग से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) कमजोर हो जाती है। जब हम एंटीबायोटिक का बार-बार उपयोग करते है, तो हमारा शरीर इन दवाओं के प्रति, प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है जिससे दवाइयाँ भविष्य में असरदार नहीं रहती। इसके साथ ही, एंटीबायोटिक दवाइयाँ शरीर के अच्छे बैक्टीरिया को भी खत्म कर देती है , जो हमें स्वस्थ रखने में मदद करते है।

 

इससे बेहतर है कि हम प्राकृतिक उपचारों का सहारा लें। हल्दी जैसे घरेलू उपाय न केवल सुरक्षित है, बल्कि लंबे समय तक उपयोग करने पर भी कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। हल्दी में मौजूद ‘करक्यूमिन’ शरीर में संक्रमण और सूजन से लड़ने में मदद करता है।

 

हल्दी और जौ – प्राकृतिक उपचार :

हल्दी, जिसे भारतीय रसोई का खजाना कहा जाता है, प्राकृतिक एंटीबायोटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है। गरम दूध में हल्दी डालकर पीने से यह शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है और एंटीबायोटिक के प्राकृतिक विकल्प के रूप में काम करता है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और शरीर की स्वाभाविक रूप से बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।

 

इसी तरह, जौ भी एक प्रभावी घरेलू उपाय है। जौ का दलिया और जौ की रोटी सूजन कम करने और किडनी को स्वस्थ रखने में सहायक होते है। जौ में मौजूद पोषक तत्व शरीर में विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं और रक्त को शुद्ध करते है। नियमित रूप से जौ का सेवन करने से आपका शरीर स्वस्थ रहता है और बुढ़ापे तक किडनी जैसी समस्याएं दूर रहती है।

 

प्राकृतिक उपचार का महत्व

आयुर्वेद में सदियों से प्राकृतिक उपचारों का उपयोग किया जाता रहा है। आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में जहां रासायनिक दवाओं का उपयोग बढ़ रहा है, वहीं हमारे पूर्वज प्राकृतिक उपचारों के द्वारा ही स्वास्थ्य को बनाए रखते थे। हल्दी, अदरक, जौ, आंवला जैसे कई घरेलू उपचार न केवल रोगों को ठीक करते है, बल्कि शरीर को मजबूत बनाते है।

 

इन प्राकृतिक उपायों को अपनाकर हम न केवल बीमारियों से दूर रह सकते है, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से भी बच सकते है। पेनकिलर और एंटीबायोटिक के अधिक उपयोग से बचें और प्राकृतिक उपचारों का लाभ उठाएं।

 

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