ऑस्ट्रेलियाई सर्जन और आयुर्वेद: भारतीय चिकित्सा प्रणाली की ओर बढ़ता रुझान

25 January 2025

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ऑस्ट्रेलियाई सर्जन और आयुर्वेद: भारतीय चिकित्सा प्रणाली की ओर बढ़ता रुझान

आयुर्वेद, जिसे “जीवन का विज्ञान” कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्राचीन चिकित्सा पद्धति आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रही है, और अब पश्चिमी देशों के चिकित्सक और सर्जन भी इसे अपनाने लगे हैं। हाल ही में, ऑस्ट्रेलियाई सर्जनों और चिकित्सा विशेषज्ञों ने आयुर्वेद की ओर रुचि दिखाते हुए इसे सीखने और अपने चिकित्सा अभ्यास में शामिल करने का प्रयास किया है।

 

क्यों बढ़ रही है आयुर्वेद की लोकप्रियता?

 

पश्चिमी चिकित्सा (Allopathy) मुख्य रूप से लक्षणों का उपचार करती है, जबकि आयुर्वेद शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर जोर देता है। यह समग्र (holistic) दृष्टिकोण रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करता है।

 

प्राकृतिक उपचार: आयुर्वेद में रसायन-मुक्त, जड़ी-बूटियों पर आधारित उपचार शामिल हैं।

 

रोग की जड़ पर ध्यान: यह प्रणाली केवल रोग के लक्षणों का नहीं बल्कि उसके कारणों का इलाज करती है।

 

जीवनशैली सुधार: आयुर्वेद भोजन, योग, ध्यान और दैनिक दिनचर्या पर भी जोर देता है, जो दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।

 

ऑस्ट्रेलियाई सर्जनों की रुचि

 

ऑस्ट्रेलिया के कुछ प्रमुख चिकित्सा विशेषज्ञ आयुर्वेद की प्राचीन विधियों को आधुनिक चिकित्सा के साथ मिलाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। वे इसे कई कारणों से अपना रहे हैं:

 

सर्जरी के बाद तेजी से ठीक होने के लिए:

 

आयुर्वेद में वर्णित जड़ी-बूटियाँ और पंचकर्म तकनीकें ऑपरेशन के बाद रोगी की तेजी से रिकवरी में सहायक हैं।

 

जीवनीय शक्ति को पुनर्स्थापित करना:

 

आयुर्वेदिक दवाएँ रोगियों को उनकी प्राकृतिक ताकत वापस पाने में मदद करती हैं।

 

मानसिक स्वास्थ्य का उपचार:

 

ऑस्ट्रेलियाई चिकित्सा विशेषज्ञ आयुर्वेदिक योग और ध्यान तकनीकों को तनाव और अवसाद (डिप्रेशन) के उपचार में उपयोग कर रहे हैं।

 

प्रमुख उदाहरण

 

ऑस्ट्रेलियन मेडिकल यूनिवर्सिटी ने 2021 में आयुर्वेद पर एक विशेष सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया। इस कोर्स में कई चिकित्सक, सर्जन और नर्सों ने हिस्सा लिया।

 

डॉ. जेम्स रॉबर्ट्स, जो एक प्रसिद्ध ऑस्ट्रेलियाई सर्जन हैं, ने कहा कि आयुर्वेदिक पद्धतियाँ पोस्ट-ऑपरेटिव केयर (सर्जरी के बाद देखभाल) में आश्चर्यजनक रूप से प्रभावी साबित हो रही हैं।

 

ऑस्ट्रेलियन आयुर्वेद एसोसिएशन (AAA) के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में आयुर्वेदिक चिकित्सा अपनाने वाले लोगों की संख्या हर साल 30% बढ़ रही है।

 

आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा का संगम

 

आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा को मिलाकर “इंटीग्रेटिव मेडिसिन” का एक नया युग शुरू हो रहा है।

 

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ: कई सर्जन और डॉक्टर सर्जरी के बाद रोगी को जल्दी ठीक करने के लिए अश्वगंधा, हल्दी और गिलोय जैसी जड़ी-बूटियों का उपयोग कर रहे हैं।

 

पंचकर्म: सर्जरी के बाद शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने के लिए पंचकर्म तकनीकें प्रभावी पाई गई हैं।

 

योग और ध्यान: रोगियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए योग और ध्यान को उपचार में शामिल किया जा रहा है।

 

भारत का वैश्विक योगदान

 

यह गर्व की बात है कि भारतीय आयुर्वेद प्रणाली, जो हजारों साल पुरानी है, आज विश्व स्तर पर अपनाई जा रही है। यह दिखाता है कि हमारी परंपराएं न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि अत्याधुनिक चिकित्सा में भी योगदान दे रही हैं।

 

निष्कर्ष

 

ऑस्ट्रेलियाई सर्जनों और चिकित्सा विशेषज्ञों का आयुर्वेद की ओर झुकाव यह साबित करता है कि यह प्राचीन चिकित्सा पद्धति हर प्रकार की चिकित्सा प्रणाली के लिए सहायक है। यह भारत के लिए गर्व का विषय है कि आयुर्वेद न केवल हमारे देश में बल्कि पूरी दुनिया में स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई रोशनी फैला रहा है। हमें इसे और बढ़ावा देना चाहिए और अपने प्राचीन ज्ञान को विश्व मंच पर ले जाना चाहिए।

 

 

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