आशारामजी बापू ने 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस क्यों शुरू किया?

20 दिसंबर 2021

azaadbharat.org

तुलसी सम्पूर्ण धरा के लिए वरदान है, अत्यंत उपयोगी औषधि है; मात्र इतना ही नहीं, यह तो मानव जीवन के लिए अमृत है! यह केवल शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से ही नहीं, अपितु धार्मिक, आध्यात्मिक, पर्यावरणीय एवं वैज्ञानिक आदि विभिन्न दृष्टियों से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।

एक ओर जहाँ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता जैसे आयुर्वेद के ग्रंथों और पद्म पुराण, स्कंद पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि पुराणों तथा उपनिषदों व वेदों में भी तुलसी की महत्ता, उपयोगिता बतायी गयी है, वहीं दूसरी ओर यूनानी, होमियोपैथी एवं एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में भी तुलसी एक महत्त्वपूर्ण औषधि मानी गयी है तथा इसकी खूब-खूब सराहना की गयी है।

विज्ञान ने विभिन्न शोधों के आधार पर माना है कि तुलसी एक बेहतरीन रोगाणुरोधी, तनावरोधी, दर्द-निवारक, मधुमेहरोधी, ज्वरनाशक, कैंसरनाशक, चिंता-निवारक, अवसादरोधी, विकिरण-रक्षक है। तुलसी इतने सारे गुणों से भरपूर है कि इसकी महिमा अवर्णनीय है।
पद्म पुराण में भगवान शिव कहते हैं, “तुलसी के सम्पूर्ण गुणों का वर्णन तो बहुत अधिक समय लगाने पर भी नहीं हो सकता।”

अपने घर में, आस पड़ोस में अधिक-से-अधिक संख्या में तुलसी के पौधे लगाना-लगवाना माने हजारों-लाखों रूपयों का स्वास्थ्य खर्च बचाना है, पर्यावरण-रक्षा करना है।
हमारी संस्कृति में हर घर आँगन में तुलसी लगाने की परम्परा थी। संत विनोबाभावे की माँ बचपन में उन्हें तुलसी को जल देने के बाद ही भोजन देती थीं।

पाश्चात्य अंधानुकरण के कारण जो लोग तुलसी की महिमा को भूल गये, अपनी सस्कृति के पूजनीय वृक्षों, परम्पराओं को भूलते गये और पाश्चात्य परम्पराओं व तौर तरीकों को अपनाते गये, वे लोग चिंता, तनाव, अशांति एवं विभिन्न शारीरिक-मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हो गये।

इस घोर नैतिक पतन से व्यस्थित होकर हिन्दू संत आशारामजी बापू ने प्रेरणा दी कि तुलसी, पीपल, आँवला, नीम– इन लाभकारी वृक्षों के रोपण का अभियान चलाया जाय। प्रतिदिन तुलसी को जल देकर उसकी परिक्रमा करें, तुलसी पत्रों का सेवन करें। प्रतिवर्ष 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस मनायें।

तुलसी की महत्ता जन-जन तक पहुँच सके और लोग इसका लाभ ले सकें इस उद्देश्य से बापू आशारामजी ने विश्वमांगल्य की दृष्टि से 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाने का आह्वान किया है।

25 दिसम्बर को क्यों मनायें ‘तुलसी पूजन दिवस’?

इन दिनों में बीते वर्ष की विदाई पर पाश्चात्य अंधानुकरण से नशाखोरी, आत्महत्या आदि की वृद्धि होती जा रही है। तुलसी के उत्तम अवसादरोधक एवं उत्साह, स्फूर्ति, सात्त्विकता वर्धक होने से इन दिनों में यह पर्व मनाना वरदानतुल्य साबित होगा।

25 दिसंबर को न क्रिसमस मनायें और न ही बधाई दें; 25 दिसंबर को तुलसी पूजन करें और अपने परिचितों को तुलसी पूजन दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं जरूर दें।

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