अप्रैल फूल मनाते हो तो हो जाइए सावधान, अंग्रेजों ने बनाई थी प्रथा

01 April 2024

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भारतवासी अधिकतर अनजाने में ऐसे त्यौहार मनाते है कि उनको वास्तविकता पता ही नही होती है और अपनी ही संस्कृति का नाश कर लेते है, अंग्रेज भले ही चले गए हो लेकिन उन्होंने जो भारतीय संस्कृति का नाश करने के लिए अनेक षडयंत्र किये थे वो आज भी भारत मे प्रचलित है और भारतीय अनजाने में उसका शिकार बनते है ।

 

ऐसे ही एक भारत मे प्रचलित है कि अप्रैल फूल मनाना, आइये आज उसकी वास्तविकता से अवगत कराते है, अप्रैल फूल की सच्चाई जानकर आप भी उससे नफरत करने लगेंगे ।

 

भारत माता को जब अंग्रेजो ने गुलामी की जंजीरो से जकड़ लिया था तब उन्होंने पूर्ण प्रयास किया कि भारतीय संस्कृति को मिटाया जाए, भारतीय पहले सृष्टि का उदगम दिन पर ही हर साल नववर्ष मनाते थे जो करीब अप्रैल महीने की शुरुआत में ही आता था इसको नष्ट करने के लिए ईसाई अंग्रेजो ने 1 जनवरी को नया साल भारतवासियों पर थोप दिया फिर भी भारतवासी उसी दिन ही नववर्ष मना रहे थे जिसके कारण अंग्रेजो ने 1 अप्रैल को मूर्खता दिवस घोषित कर दिया ।

 

आपको बता दे कि भारतीय सनातन कैलेंडर, जिसका पूरा विश्व अनुसरण करता है उसको मिटाने के लिए 1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कैलेंडर अपनाने का फरमान जारी कर दिया था जिसमें 1 जनवरी को नया साल के प्रथम दिन के रूप में बनाया गया।

 

जिन भारतवासीयों ने इसको मानने से इंकार किया, उनका 1 अप्रैल को मजाक उड़ाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे 1 अप्रैल नया साल का नया दिन होने के बजाय मूर्ख दिवस बन गया।

 

अप्रैल फूल मतलब हिन्दुओं को मूर्ख बनाना ।

ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है।

भारत मे आज भी बही खाते और बैंक के हिसाब-किताब 31 मार्च को बंद होते है और 1 अप्रैल से नये शुरू होते है।

 

भारत में अंग्रेज़ो ने विक्रम संवत का नाश करने के लिए ही 1 जनवरी को नया साल थोपा और अप्रैल में आने वाले हिन्दू नववर्ष की मजाक उड़ाने के लिए ही “अप्रैल फूल” मनाना शुरू किया मतलब हिन्दुओं को मूर्ख बनाये जिससे वे खुद का नया साल भूल जाये ।

 

अंग्रेज़ो की यह साजिश थी जिससे  1 अप्रैल को मूर्खता दिवस “अप्रैल फूल” का नाम दिया ताकि भारतीय संस्कृति मूर्खता भरी लगे ।

 

अब आप स्वयं सोचे कि आपको अप्रैल फूल मनाना चाहिए या अपनी हिन्दू संस्कृति का आदर करना चाहिए।

 

आइये जाने अप्रैल माह के आस पास ऐतिहासिक दिन और त्यौहार कितना महान है।

 

हिन्दुओं का पावन महिना इन दिनों से ही शुरू होता है (शुक्ल प्रतिपदा)

 

हिंदुओं के रीति -रिवाज़ सब इन दिनों में कलेण्डर के अनुसार बनाये जाते है।

 

महाराजा विक्रमादित्य की काल गणना इन दिनों से ही शुरू होती है।

 

भगवान श्री रामजी का अवतरण दिवस भी इन दिनों में आता है।

 

भगवान झूलेलाल, भगवान हनुमानजी, भगवान महावीर,  भगवान स्वामीनारायण आदि का प्रागट्य दिवस भी इन दिनों में ही आता हैं ।

 

अंग्रेज ईसाई सदा से भारतीय सनातन संस्कृति के विरुद्ध थे इसलिए हिंदुओं के त्योहारों को मूर्खता का दिन कहते थे । पर अब हिन्दू भी बिना सोचे समझे बहुत शान से अप्रैल फूल मना रहे है।

 

कुछ भारतवासी आज अपनी ही संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए अप्रैल फूल मना रहे है।

 

भारतवासी अब “अप्रैल फूल” किसी को बनाकर गुलाम मानसिकता का सबूत ना दे ।

 

आज देश विरोधी ताकते हमारे महान भारत देश को तोड़ने के लिए अनेक साजिसे रच रहे है, जिसमे अधिकतर मीडिया, टीवी, फिल्मे, चलचित्रों, अखबार, नॉवेल, इंटरनेट आदि के माध्यम से भारतवासियों को अपने संस्कृति से दूर ले जाने का भरपूर प्रयास चल रहा है, लेकिन हम क्यों अपनी महान संस्कृति भूलकर अंग्रेजो की गुलामी वाली प्रथा अपना रहे है।

 

भारतीय आप सब से निवेदन है कि अपनी संस्कृति के अनुसार ही पर्व त्योहार मनाये अभी जितनी भी अंग्रेजो वाली प्रथायें है वे बन्द करे और भारतीय संस्कृति के अनुसार जो भी प्रथायें हैं उनको शुरू करें ।

 

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