27 April 2024
जहाँ सम्पूर्ण विश्व हनुमान जी से ब्रहमचर्य एवं वीरता की प्रेरणा लेता है। वही हनुमान जी के बारे में ठीक इसके विपरीत बातें थाई, जैन और मलय देश की रामायण में मिलती हैं। जैसे
फिलिप नाम के एक लेखक ने तो यह लिख दिया कि सम्पूर्ण वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी के ब्रहमचर्य के विषय में कोई वर्णन नहीं हैं
थाई रामायण में हनुमान जी के बारे में लिखा है कि हनुमान जी की अनेक पत्निया थीं।
जैन लेख में लिखा गया है कि हनुमान ने लंका के रक्षक वज्रमुख की पुत्री लंकासुंदरी से विवाह किया था।
एक अन्य आक्षेप लगा दिया गया कि भरत ने श्री राम की अयोध्या वापिसी पर हनुमान को 16 दासियाँ पुरस्कार के रूप में दी।
कुछ वर्ष पहले 300 रामायण नामक रामानुजम के एक लेख की चर्चा जोरों से उठी थी। जब उसे दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्य क्रम से हटा दिया गया था। इस पुस्तक में रामायण के आदर्श पात्रों के विषय में अनुचित आक्षेप किये गए थे। जैसे प्रभु राम मांसाहारी थे, लक्ष्मण की सीता जी पर आसक्ति थी आदि। इन प्रकार के असत्य तथ्यों का मूल उद्देश्य प्रभु राम के प्रति भारतीय एवं विदेशी दोनों जनमानस के मन में उनके प्रति अश्रद्धा उत्पन्न करना था।
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