इजरायल तो केवल झांकी मात्र है, पूरी दुनिया को बनाना चाहते है,इस्लामिक स्टेट …..

26 October 2023

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इस्लामी आतंकी संगठन हमास ने इजरायल में जो बर्बरता दिखाई है उससे पूरी दुनिया सन्न है। लेकिन सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक वीडियो से पता चलता है कि इजरायल केवल पहला निशाना है। हमास का प्लान पूरी दुनिया में ऐसी ही बर्बरता अंजाम देने की है। वह पूरी दुनिया पर अपना निजाम चाहता है।

 

वायरल वीडियो हमास के कमांडर महमूद अल जहर का है। इसमें वह बता रहा है कि पूरी दुनिया पर राज उनका लक्ष्य है। कोई यहूदी, कोई ईसाई गद्दार नहीं बचेगा। यह वीडियो ‘मेमरी टीवी’ ने दिसंबर 2022 में प्रकाशित किया था। ताजा हमलों के बाद यह इंटरनेट पर फिर से वायरल हो रहा है।

 

78 साल का महमूद अल जहर (Hamas Commander Mahmoud Al Zahar) 2004 से हमास का सरगना है। वह इस आतंकी संगठन का संस्थापक सदस्य भी है। 2006 में वह फिलिस्तीन की सरकार में विदेश मंत्री भी बना था।

 

करीब एक मिनट के वायरल वीडियो में महमूद कह रहा है, “इजरायल केवल पहला लक्ष्य है। पूरी पृथ्वी का 510 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र एक ऐसे निजाम के अधीन आएगा जहाँ कोई अन्याय नहीं होगा। कोई उत्पीड़न नहीं होगा। वे जुल्म और अपराध नहीं होंगे जो सभी अरब देश, लेबनान, सीरिया और फिलिस्तीन के लोग झेल रहे हैं।”

 

यह बयान बताता है कि हमास का मिशन वह नहीं है जो लिबरल-सेकुलर बुद्धिजीवी बताते हैं। उसका मिशन अन्य इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों की तरह ही पूरी दुनिया में इस्लामी निजाम कायम करना है। इजरायल में महिलाओं के साथ रेप, उनकी शवों के नग्न परेड, बच्चों के सिर काटने से लेकर लोगों को जिंदा जलाने तक की घटनाओं को अंजाम देकर भी उसने यही साबित किया है।

 

खुद महमूद अल जहर भी इजरायल के भीतर बच्चों की हत्या की बात पहले कर चुका है। उसने 2009 में इजरायल पर फिलिस्तीनी बच्चों की हत्या का आरोप लगते हुए कहा था कि इससे अब इजरायल में बच्चों की हत्याएँ जायज हो गई हैं।

 

आपको बता दे की इस्लामिक जिहादी बर्बरता के कुछ साल पहले के आंकड़े हैं, वो न सिर्फ हैरान करने वाले हैं, बल्कि काफी भयावह भी हैं। इस्लामिक जिहादी बर्बरता का आंकड़ा कुछ इस प्रकार है कि 2017 में दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवादियों ने 84 हजार से ज्यादा निर्दोष लोगों की हत्याएं की हैं, हजारों अव्यवस्क लड़कियों की इज्जत लूटी हैं, हजारों अव्यस्क लड़कियों को सेक्स स्लेव यानी गुलाम बना कर रखा, कोई एक नहीं बल्कि 66 देशों में इस्लामिक आतंकवादियों ने हिंसा की खतरनाक साजिश रची है और हिंसा को साजिशपूर्ण ढंग से अंजाम देने का कार्य भी किया है ।

 

इस्लामिक जिहादी बर्बरता के यह आकंडे और यह निष्कर्ष ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की संस्था ‘इस्टीट्यूट फॉर ग्लोबर चेज’ ने दिए हैं । ये आंकडे कोई हवा-हवाई नहीं हैं. बल्कि ये आकंडे चाकचौबंद हैं, यह निष्कर्ष भी चाकचौबंद हैं ।

 

इस्लामिक बर्बरता के आंकड़ों ने दुनिया को शर्मसार कर दिया है, दुनिया को चिंता में डाल दिया है, दुनिया को फिर से यह सोचने के लिए बाध्य कर दिया है कि आखिर इस इस्लामिक बर्बरता के रोकने के सिद्धांत और नीति क्या हैं, अब तक जितने भी प्रयास हुए हैं वे सबके सब नकाफी साबित हुए हैं, बेअसर साबित हुए हैं । इस्लामिक आतंकवाद से जुड़े घृणा और हिंसा का दायरा दिनों-दिन बढ़ता ही चला जा रहा है, सिर्फ बर्बर सामाजिक व्यवस्था वाले देशों की ही बात नहीं है बल्कि सभ्यताशील और विकसित सामाजिक व्यवस्था वाले देशों में भी इस्लामिक घृणा और इस्लामिक हिंसा ने अपने पैर पसारे हैं ।

 

अब यहां यह प्रश्न उठता है कि इस्लामिक बर्बरता के इन घृणित आंकडों से भी दुनिया कोई सबक लेगी और इस्लामिक बर्बरता के खिलाफ कोई चाकचौबंद अभियान चलेगा ?

 

इन आंकड़ों में बताया गया है कि 121 देशों में इस्लामिक आतंकवादी सक्रिय हैं जहां पर उनका नेटवर्क गंभीर रूप से सक्रिय हैं और इस नेटवर्क को सुरक्षा एजेंसियां भी समाप्त करने में विफल रही हैं । सर्वाधिक खतरा उन देशों से पर बढ़ा है जहां पर इस्लामिक राज नहीं है पर इस्लामिक राज के लिए किसी न किसी प्रकार का मजहबी हिंसक अभियान जारी है, इस्लामिक आतंकवादी सरेआम कहते हैं कि दुनिया को कुरान का शासन मानना ही होगा अन्यथा हिंसा का शिकार होना होगा, हम तलवार के बल पर पूरी दुनिया में कुरान का शासन लागू करेंगे।

 

दुनिया में एक मात्र आईएस ही खूंखार, हिंसक या फिर मानवता को शर्मसार करने वाला आतंकवादी संगठन नहीं है, बल्कि दुनिया में दो सौ से अधिक मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं जो सीधे तौर पर इस्लाम की मान्यताओं को लेकर जेहादी हैं । सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर दुनिया में हजारों और लाखों मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं ।

 

स्थानीय स्तर का मुस्लिम आतंकवादी संगठन भी कम खतरनाक नहीं होता है । स्थानीय स्तर का मुस्लिम आतंकवादी संगठन बड़े आतंकवादी संगठनों के लिए जमीन तैयार करता है, आतंकवादी मानसिकताओं का प्रचार-प्रसार करता है, आतंकवाद का बीजारोपण करता है। बड़े आतंकवादी संगठन पर कार्यवाही तो आसान होता है पर स्थानीय स्तर पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों पर कार्यवाही बड़ी मुश्किल होती है, क्योंकि इनकी पहचान अति गोपनीय होती है और मुस्लिम समुदाय ऐसे संगठनों की पहचान जाहिर करना इस्लाम विरोधी मान लेते हैं।

 

ये सारे आंकड़े इस बात का साफ़ संकेत हैं कि आपको आतंक को धर्म से नहीं जोड़ना है तो मत जोड़िए, लेकिन इस्लामिक जिहाद के नाम पर हो रही बर्बरता, नरसंहार के खिलाफ दुनिया को एकजुट होकर खड़ा होना ही होगा अन्यथा, आगे की स्थिति काफी भयावह होने वाली है ।

 

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