28 जुलाई 2021
azaadbharat.org
आयकर के छापों में सच्ची पत्रकारिता का दावा करनेवाले दैनिक भास्कर (Dainik Bhaskar) अखबार के काले कारनामों की कलई खुल गई है। ये ग्रुप सिर से पैर तक बेनकाब हो गया है। पत्रकारिता की आड़ में ये ग्रुप वही सारे काले धंधे कर रहा है जो नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे भगोड़े आर्थिक अपराधी करते आए हैं।
आयकर के छापों में ₹6000 करोड़ के सालाना टर्न ओवरवाले इस ग्रुप का बेईमानी से खड़ा किया ताश के पत्तों का महल रेशा रेशा ढ़ह गया। मीडिया, पावर, टेक्सटाइल्स और रियल एस्टेट में पैठ बना चुके इस समूह के अलग अलग राज्यों में स्थित 9 शहरों के 32 ठिकानों पर रेड की गई। इस रेड में मालूम पड़ा कि ये ग्रुप सौ से अधिक कंपनियों के जरिए कालेधन को जुटाने और फिर उन्हें सफेद में बदलने के अवैध कारोबार में शामिल है। मीडिया, एथिक्स और नैतिकता के प्रवचन देने वाले इस समूह ने पैसा कमाने की इस अंधी हवस में अपने कर्मचारियों तक का मोहरे की तरह इस्तेमाल किया। आयकर छापे में मालूम पड़ा कि इस कथित मीडिया समूह ने अपने कर्मचारियों के नाम पर कई कंपनियां खड़ी कर रखी हैं जिनका इस्तेमाल फर्जी खर्चों और बोगस फंड ट्रांसफर के लिए किया जा रहा है।
इस छानबीन में यह भी पता चला कि दैनिक भास्कर ने अपने जिन कर्मचारियों के नाम इन कंपनियों के शेयर होल्डर्स और डायरेक्टर के तौर पर दे रखा है, उन्हें ये बात मालूम तक ही नहीं है। पूछताछ में भास्कर के इन कर्मियों ने बताया कि उन्होंने यकीन करके इस समूह को अपने आधार कार्ड और डिजिटल सिगनेचर दे दिए थे। उन्हें ख्वाब में भी इस बात का अंदेशा नहीं था कि इनका इस्तेमाल इन अवैध धंधों के लिए किया जाएगा।
इन कंपनियों के जरिए दैनिक भास्कर ने फर्जीवाड़े की पूरी की पूरी चेन तैयार कर रखी थी। इनके जरिए फर्जी खर्चे दिखाए जाते थे और साथ ही लिस्टेड कंपनियों से हुए मुनाफे को खपा दिया जाता था। कंपनियों में फंड ट्रांसफर से लेकर सर्कुलर ट्रांजैक्शन तक के अवैध धंधे इनके ही जरिए अंजाम दिए जाते थे। इस फर्जीवाड़े से भास्कर ने पिछले छह सालों में 700 करोड़ रुपए का वारा न्यारा किया। आयकर के छापे में गलत तरीकों से जमा की गई इस रकम का भी खुलासा हुआ।
अहम बात यह है कि फर्जीवाड़े की यह रकम और भी बड़ी हो सकती है। इसकी वजह लेनदेन के सौदों की अनेक सतहें यानि लेयर्स हैं जो इस ग्रुप ने हजारों करोड़ रुपए के अपने फर्जीवाड़े को सही ठहराने के लिए इस्तेमाल की हैं। दैनिक भास्कर ने इस तरीके से कंपनी एक्ट और सेबी के लिस्टिंग एग्रीमेंट के प्रावधानों का भी खुला उल्लंघन किया है। इस ग्रुप के खिलाफ बेनामी ट्रांजैक्शन ऐक्ट का मामला भी विचाराधीन है। इतना ही नहीं, बल्कि भास्कर समूह की ग्रुप कंपनियों के बीच एक दूसरे से असंबद्ध व्यवसाय से जुड़ी हुई 2200 करोड़ रुपए की साइक्लिक ट्रेडिंग एवं फंड ट्रांसफर का भी पर्दाफाश हुआ है। आयकर छापे के इस खुलासे से मीडिया के नाम पर आर्थिक अपराध का महल खड़ा कर चुके इस समूह का काला चरित्र पूरी तरह बेनकाब हो गया है।
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आपको ये भी बता दें कि भास्कर के मालिक पर भी रेप का आरोप लगा था पर कहीं खबर नहीं छापी थी और अखबार के नाम पर शराब का धंधा करना, जमीन हड़पना, अखबार में विज्ञापन नहीं देने पर व्यापारियों को ब्लैकमेल करना, साधु-संतों के खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर उनको बदनाम करना, हिन्दू त्यौहार का विरोध करना- ये सब भास्कर ग्रुप कर रहा है। अब जनता की मांग है कि ऐसे अखबार पर तुरंत प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
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