Church Scandal और मीडिया का दोहरा रवैया: हिन्दू संतों को ही क्यों निशाना बनाया जाता है?
हिन्दू धर्मगुरुओं के ख़िलाफ़ मीडिया ट्रायल और प्रचार युद्ध
भारत में अक्सर हिन्दू मठ, मंदिर, आश्रम, और संतों को भ्रष्टाचार, यौनाचार या रूढ़िवाद के आरोपों में जबरन घसीटा जाता है। जैसे ही किसी हिन्दू संत से जुड़ा मामला सामने आता है — चाहे वह शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती हों, आसाराम बापू हों या स्वामी नित्यानंद — भारतीय मीडिया तुरंत पूरे देश में इसे ब्रेकिंग न्यूज बना देता है।
एक के बाद एक दिन, लगातार प्राइम टाइम में बहसें होती हैं, चैनल्स TRP बटोरते हैं, और जनता के मन में “संत = अपराधी” की छवि बनाई जाती है।
क्या Church Scandal पर मीडिया इतनी ही तेज़ी दिखाता है?
हाल ही में केरल के एर्नाकुलम चर्च में एक बड़ा Church Scandal सामने आया, जिसमें चर्च प्रमुख कार्डिनल जॉर्ज एलनचेरी पर 27 करोड़ रुपये के ज़मीन घोटाले का आरोप लगा। रिपोर्ट Vatican तक भेजी गई, लेकिन मीडिया में खामोशी रही। कहीं कोई प्राइम टाइम नहीं, कोई चीखता ऐंकर नहीं।
Church Scandal की रिपोर्ट में कहा गया:
“यह चर्च कानूनों का गंभीर उल्लंघन है और विश्वासघात का नग्न उदाहरण है।”
यौन शोषण में लिप्त पादरी, लेकिन चुप क्यों हैं सेक्युलर तबके?
Church Scandal सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि यौन शोषण के मामलों में और भी भयावह है। एक पीड़ित ने Pope Francis को लिखा कि पादरी फर्नांडो कार्डिमा ने उसका कई बार यौन शोषण किया और बिशप जुआन बैरोस सब कुछ देखकर भी चुप रहे।
Pope Francis ने पहले तो बिशप का बचाव किया और बाद में माफ़ी माँगी।
क्या यही रवैया किसी हिन्दू गुरु के साथ होता तो मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवी खामोश रहते?
भारत में भी Church Scandal के ढेरों मामले दबाए जाते हैं
भारत में भी चर्च की कार्यशैली में गोपनीयता का बोलबाला है।
2001 से 2010 के बीच 3,000 से ज़्यादा पादरियों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे, लेकिन चर्च ने सब दबा दिया। “आमीन – The Autobiography of a Nun” में सिस्टर जेसमी ने खुलासा किया कि उन्हें समलैंगिक संबंधों के लिए मजबूर किया गया और सलाह दी गई कि “गर्भवती नहीं होगी, इसलिए चिंता मत करो।”
चर्च में महिलाओं को अधिकार नहीं, सिर्फ आदेश दिए जाते हैं
जहां हिन्दू समाज में सती प्रथा जैसी कुरीतियां समाप्त हो चुकी हैं, वहीं कैथोलिक चर्च आज भी महिलाओं को पादरी बनने की अनुमति नहीं देता। पोप फ्रांसिस स्वयं कह चुके हैं कि “महिला कभी भी पादरी नहीं बन सकती।”
आखिर मीडिया Church Scandal पर चुप क्यों है?
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क्या मीडिया की चुप्पी मिशनरी शक्तियों से डर का परिणाम है?
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क्या पश्चिमी पैसे से चलने वाले मीडिया संस्थानों को सिर्फ हिन्दू धर्म पर वार करने की अनुमति है?
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क्या यह सब विदेशी षड्यंत्र का हिस्सा है?
दोहरे मापदंडों को पहचानिए, सत्य का साथ दीजिए
एक ओर हिन्दू संतों को बदनाम करने की वैश्विक साजिशें चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर Church Scandal के गंभीर अपराध भी चुपचाप दबा दिए जाते हैं। ऐसे समय में ज़रूरत है सच्चाई को पहचानने की और भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए आवाज़ उठाने की।